योग गुरु बाबा शिवानंद का निधन: एक प्रेरणादायक युग का अंत
"योग गुरु बाबा शिवानंद, जिनकी साधना, सादगी और अनुशासित जीवनशैली ने करोड़ों लोगों को प्रेरित किया, का 128 वर्ष की आयु में वाराणसी में निधन हो गया। वे बीते शनिवार रात को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) अस्पताल में अंतिम सांस ली। उन्हें कुछ दिन पहले स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते भर्ती कराया गया था।"
पद्मश्री से सम्मानित जीवन
2022 में भारत सरकार ने बाबा शिवानंद को योग और समाजसेवा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया था। जब वे राष्ट्रपति भवन में सम्मान ग्रहण करने पहुंचे, तो उनकी सादगी, नंगे पांव उपस्थिति और 100 से भी अधिक उम्र ने पूरे देश को भावुक कर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा शिवानंद के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा:
“काशी निवासी योग-साधक शिवानंद बाबा जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। योग और साधना को समर्पित उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा। बाबा जी का शिवलोक गमन असंख्य लोगों के लिए अपूरणीय क्षति है। इस शोक की घड़ी में मैं अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।”
योगी आदित्यनाथ ने भी दी श्रद्धांजलि
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बाबा शिवानंद के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने लिखा:
“योग क्षेत्र में अद्वितीय योगदान देने वाले काशी के प्रसिद्ध योग गुरु ‘पद्मश्री’ स्वामी शिवानंद जी महाराज के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। उनकी तपस्या एवं योग के प्रति समर्पित जीवन समाज के लिए प्रेरणास्त्रोत बना रहेगा।”
बचपन से तपस्वी जीवन की ओर अग्रसर
बाबा शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को बांग्लादेश के सिलहट जिले में हुआ था। जब वे केवल 6 वर्ष के थे, तब उनके माता-पिता का निधन भुखमरी के कारण हो गया। इसके बाद संत ओंकारानंद जी ने उन्हें संरक्षण दिया और योग के मार्ग पर आगे बढ़ाया।
योग और संयम का जीवन
बाबा शिवानंद का जीवन पूरी तरह से योग, ध्यान, संयम और सेवा को समर्पित था। वे सादा भोजन, सुबह जल्दी उठना, नियमित ध्यान और आयुर्वेदिक जीवनशैली का पालन करते थे। उनका मानना था कि जीवन की दीर्घता का रहस्य सादगी और शुद्ध विचारों में है।
भारत को दिया योग का अमूल्य योगदान
बाबा शिवानंद ने ना केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी योग के संदेश को फैलाया। वे समाज को यह संदेश देते रहे कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धि का मार्ग है। उन्होंने हजारों लोगों को नशा-मुक्ति, संयम और अनुशासन का पाठ पढ़ाया।
योग गुरु बाबा शिवानंद का सामाजिक योगदान
| क्षेत्र | योगदान |
|---|---|
| योग शिक्षा | हज़ारों युवाओं को निःशुल्क योग प्रशिक्षण |
| आयुर्वेद | देसी चिकित्सा और आयुर्वेदिक जीवनशैली का प्रचार |
| समाजसेवा | वृद्धों, अनाथों और निर्धनों की सहायता |
| प्रेरणा स्रोत | संयमित जीवनशैली का उदाहरण |
बाबा शिवानंद का प्रभाव और भविष्य की प्रेरणा
बाबा शिवानंद का जाना भारत की योग-परंपरा के लिए एक युग का अंत है, लेकिन उनकी शिक्षाएं आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा मार्गदर्शक बनी रहेंगी। उन्होंने दिखा दिया कि अनुशासन, सेवा और संयम से जीवन को अर्थपूर्ण और दीर्घ बनाया जा सकता है।
श्रद्धांजलि
योग गुरु बाबा शिवानंद का 128 वर्षों का जीवन हमें बताता है कि सच्चा संत वह है जो समाज की सेवा में जीवन बिताए। उनका जाना केवल वाराणसी या भारत की ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व की एक महान आध्यात्मिक शक्ति की विदाई है। बाबा शिवानंद की शिक्षाएं और आदर्श सदैव जीवित रहेंगे।
