भारत में टीबी उन्मूलन की ओर मजबूत कदम: पीएम मोदी ने स्वच्छता और जनभागीदारी पर दिया जोर
"प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली स्थित अपने आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) की समीक्षा बैठक की। इस बैठक में प्रधानमंत्री ने भारत में टीबी उन्मूलन के लिए किए जा रहे प्रयासों और हाल के नवाचारों पर गहन चर्चा की। उन्होंने टीबी मरीजों के लिए तेज निदान, बेहतर उपचार और पोषण सुधार की दिशा में हुई प्रगति की सराहना की। टीबी उन्मूलन की रणनीति में सरकार और समाज के साझा प्रयासों पर बल देते हुए पीएम मोदी ने स्वच्छता को एक महत्वपूर्ण साधन बताया। उन्होंने देशभर में चल रहे 100-दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान के नतीजों की भी समीक्षा की और इसे पूरे देश में तेजी से लागू करने का आह्वान किया।"
100-दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान की सफलता
भारत में टीबी उन्मूलन के प्रयासों को मजबूती देने के लिए सरकार ने 100-दिवसीय टीबी मुक्त भारत अभियान चलाया। इस दौरान 12.97 करोड़ व्यक्तियों की जांच की गई और 7.19 लाख नए टीबी मामलों का पता चला। इनमें 2.85 लाख लक्षणविहीन टीबी रोगी भी शामिल थे। इस अभियान के अंतर्गत 1 लाख से अधिक नए नि-क्षय मित्रों ने सहभागिता निभाई।
भारत में टीबी उन्मूलन के इस मॉडल को जनभागीदारी का उदाहरण बताते हुए प्रधानमंत्री ने इसे और अधिक जिलों में फैलाने पर जोर दिया।
वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2024 के उत्साहजनक निष्कर्ष
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2024 पर भी प्रकाश डाला। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रति लाख जनसंख्या पर टीबी के मामलों में 18 प्रतिशत की कमी आई है, जो वैश्विक औसत से दोगुनी है।
टीबी से मृत्यु दर में भी 21 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। इन आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में टीबी नियंत्रण कार्यक्रम अधिक प्रभावी और व्यापक बनता जा रहा है।

बुनियादी ढांचे में सुधार और तकनीकी नवाचार
प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में टीबी डायग्नोस्टिक नेटवर्क के विस्तार और अन्य बुनियादी ढांचागत सुधारों की भी समीक्षा की।
देश में अब 8,540 न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्टिंग (NAAT) प्रयोगशालाएं और 87 कल्चर और ड्रग ससेप्टिबिलिटी टेस्टिंग लैब्स मौजूद हैं।
साथ ही, 26,700 से अधिक एक्स-रे यूनिट्स स्थापित की गई हैं, जिनमें से 500 एआई-सक्षम हैंडहेल्ड एक्स-रे मशीनें हैं। 1000 अतिरिक्त इकाइयां जल्द ही जुड़ने वाली हैं।
आयुष्मान भारत स्वास्थ्य मंदिरों के माध्यम से टीबी के मुफ्त जांच, निदान और उपचार सेवाओं को विकेंद्रीकृत किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में भी सेवाएं सुगमता से उपलब्ध हो रही हैं।
नई पहलें और योजनाएं
भारत में टीबी उन्मूलन के लिए कई नई पहलों की शुरुआत की गई है:
एआई-संचालित पोर्टेबल एक्स-रे मशीनेंदवा प्रतिरोधी टीबी के लिए कम समय वाली उपचार व्यवस्थानए स्वदेशी आण्विक निदान उपकरणपोषण संबंधी सहायता, विशेषकर खनन, चाय बागान, निर्माण स्थल और शहरी मलिन बस्तियों में काम करने वाले लोगों के लिए
नि-क्षय पोषण योजना के तहत 2018 से अब तक 1.28 करोड़ टीबी रोगियों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से पोषण सहायता दी गई है। वर्ष 2024 में इस प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 1,000 रुपये कर दिया गया है।
नि-क्षय मित्र पहल के तहत, 2.55 लाख स्वयंसेवकों ने 29.4 लाख खाद्य टोकरियां वितरित कर टीबी रोगियों की सहायता की है।
विश्लेषण और भविष्य की दिशा
प्रधानमंत्री मोदी ने सुझाव दिया कि टीबी रोगियों के डेटा का विश्लेषण शहरी, ग्रामीण और पेशेवर आधार पर किया जाना चाहिए। इससे उन समूहों की पहचान आसान होगी जो संक्रमण के अधिक खतरे में हैं, जैसे निर्माण श्रमिक, खनन कर्मचारी और कपड़ा मिलों में काम करने वाले मजदूर।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जैसे-जैसे स्वास्थ्य सेवाओं में तकनीक का दखल बढ़ रहा है, वैसे-वैसे नि-क्षय मित्रों को भी टेक्नोलॉजी का उपयोग कर टीबी रोगियों से बेहतर संवाद स्थापित करना चाहिए।
जागरूकता अभियान की आवश्यकता
टीबी अब नियमित उपचार से पूरी तरह ठीक हो सकती है। इस तथ्य को जनता के बीच व्यापक रूप से फैलाना जरूरी है ताकि रोग के प्रति अनावश्यक भय कम हो और समय पर निदान और उपचार सुनिश्चित किया जा सके।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में निरंतर नवाचार और जनभागीदारी भारत को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के लक्ष्य की ओर तेजी से ले जा रहे हैं।
