वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में 6.4% GDP वृद्धि की उम्मीद: रिपोर्ट
“भारत की अर्थव्यवस्था में मजबूती: वित्त वर्ष 2025 की जीडीपी वृद्धि दर पर अनुमान”
भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक उथल-पुथल, व्यापार तनाव और मौसम से जुड़ी अनिश्चितताओं के बावजूद मजबूती से आगे बढ़ रही है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 6.4-6.5 प्रतिशत रहने की संभावना है। यह रिपोर्ट उन कारकों की गहराई से समीक्षा करती है जो भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा तय कर रहे हैं।
एसबीआई का ‘नाउकास्टिंग मॉडल’ क्या है?
SBI के इकोनॉमिक रिसर्च डिपार्टमेंट ने अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख क्षेत्रों — इंडस्ट्री, सर्विस और वैश्विक आर्थिक गतिविधियों — से जुड़े 36 हाई फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स का विश्लेषण करते हुए एक 'नाउकास्टिंग मॉडल' विकसित किया है।
यह मॉडल डायनेमिक फैक्टर मॉडल का उपयोग करके वित्त वर्ष 2013 की चौथी तिमाही से लेकर 2023 की दूसरी तिमाही तक के आंकड़ों का अध्ययन करता है। इसका मकसद है सांख्यिकीय आधार पर जीडीपी का यथार्थ अनुमान प्रस्तुत करना।
वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में क्या रहेगा जीडीपी अनुमान?
SBI के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर डॉ. सौम्य कांति घोष ने बताया,
“हमारे नाउकास्टिंग मॉडल के मुताबिक वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में GDP ग्रोथ 6.4 से 6.5 प्रतिशत के बीच रह सकती है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों में पहली तीन तिमाहियों में कोई बड़ा संशोधन नहीं होता, तो पूरे वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रह सकती है।
मानसून का असर: फसल उत्पादन पर उम्मीद
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून इस वर्ष सामान्य तिथि 1 जून से पहले ही केरल पहुंच सकता है। यदि ऐसा होता है, तो यह 2009 के बाद का सबसे जल्दी आगमन होगा।
इसकी सीधी छाया कृषि पर पड़ेगी। भारत सरकार ने 2025-26 फसल वर्ष में 354.64 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा है। वहीं 2024-25 में लक्ष्य 341.55 मिलियन टन था, जिसमें अब तक 332.3 मिलियन टन ही प्राप्त हुए हैं।
अच्छा मानसून सीधे ग्रामीण मांग, फसल उत्पादन, और खाद्य मुद्रास्फीति पर असर डालेगा, जिससे आर्थिक स्थिति बेहतर बन सकती है।
वैश्विक अनिश्चितता और व्यापार तनाव का असर
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अपने आकलन में कहा है कि वैश्विक विकास दर 2025 में 2.8 प्रतिशत और 2026 में 3 प्रतिशत तक रह सकती है।
भारत के संदर्भ में, IMF ने वित्त वर्ष 2025 के लिए 6.2 प्रतिशत और 2026 के लिए 6.3 प्रतिशत की ग्रोथ दर का अनुमान लगाया है। हालांकि यह अनुमान पिछले वर्ष के अनुमानों की तुलना में 30 बेसिस पॉइंट कम है। इसका कारण वैश्विक व्यापार तनाव, नीति अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव हैं।
ग्रामीण मांग और उपभोग में मजबूती
SBI की रिपोर्ट में विशेष रूप से यह बताया गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोग में सुधार देखने को मिल रहा है। महंगाई दर में नियंत्रण, रोजगार में वृद्धि और ग्रामीण इनकम में सुधार से जीडीपी में स्थिरता बनी हुई है।
सरकार की नीतियों जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, रूरल रोड नेटवर्क, और रोज़गार गारंटी योजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों की आय और खर्च को प्रभावित कर रही हैं।
क्या है भारतीय जीडीपी के प्रमुख सहायक स्तंभ?
- कृषि क्षेत्र: मानसून और MSP नीतियों पर निर्भर
- उद्योग: मैन्युफैक्चरिंग और कैपिटल गुड्स में निवेश
- सेवा क्षेत्र: बैंकिंग, टेलीकॉम, ट्रैवल और ई-कॉमर्स
- निर्यात: वैश्विक मांग और डॉमेस्टिक सप्लाई चेन
वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर को लेकर सकारात्मक अनुमान भारत के मजबूत आर्थिक संकेतकों की पुष्टि करते हैं। हालांकि वैश्विक अनिश्चितता और मौसम आधारित जोखिमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
भारत को अपने वित्तीय अनुशासन, नीति स्थिरता और बुनियादी ढांचे पर निवेश से आगे बढ़ना होगा। यदि मानसून अच्छा रहता है और वैश्विक स्थितियां संतुलित रहती हैं, तो भारत 6.5% की ग्रोथ को आसानी से पार कर सकता है।
