भारत का आतंकवाद से लड़ने का संकल्प न्यूयॉर्क में दोहराया गया, शशि थरूर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल की अहम भूमिका
"भारत ने एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ अपनी अडिग नीति को वैश्विक मंच पर स्पष्ट किया है। कांग्रेस सांसद डॉ. शशि थरूर के नेतृत्व में एक सर्वदलीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन में प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवाद से लड़ने के भारतीय संकल्प को पूरी मजबूती से दोहराया।"
न्यूयॉर्क में भारत की वैश्विक उपस्थिति का प्रतीक
संयुक्त राष्ट्र मंच पर भारतीय दृष्टिकोण
इस दौरे के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव कार्यालय, संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक समिति, और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इन बैठकों में आतंकवाद के खात्मे के लिए भारत की प्रतिबद्धता को प्रमुखता से रखा गया।
शशि थरूर का बयान: आतंकवाद पर भारत का रुख स्पष्ट और कठोर
डॉ. शशि थरूर ने कहा कि भारत की नीति हमेशा ‘जीरो टॉलरेंस’ की रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी आतंकवादी गतिविधि धर्म, जाति या क्षेत्र से जुड़ी नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे मानवता के विरुद्ध अपराध माना जाना चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल में सभी प्रमुख दलों के नेता शामिल
राजनीतिक एकजुटता का उदाहरण
इस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न दलों जैसे भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और बीजद से सांसद शामिल थे। सभी दलों ने मिलकर भारत की एकजुट नीति को सामने रखा, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि आतंकवाद के मुद्दे पर राजनीतिक मतभेद नहीं, बल्कि एकता है।
आतंकवाद से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग की आवश्यकता
भारत ने की वैश्विक रणनीति की मांग
भारत ने इस मंच पर यह भी कहा कि अकेले प्रयास से आतंकवाद खत्म नहीं किया जा सकता। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग, सूचना साझा करने की व्यवस्था और समान कानूनों की जरूरत है।
भारतीय प्रयासों का असर और वैश्विक समर्थन
भारत की पहल को समर्थन मिला
प्रतिनिधिमंडल की बातों को अमेरिकी और अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने गंभीरता से सुना। कई देशों ने भारत की चिंताओं को उचित बताया और वैश्विक आतंकवाद विरोधी रणनीति में सहयोग की इच्छा जताई।
आतंकवाद से लड़ने का भारतीय संकल्प और उसके मुख्य पहलू
1. कूटनीतिक दबाव और रणनीतिक साझेदारी
भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की बात उठाता रहा है। हाल के वर्षों में कई आतंकवादियों को वैश्विक आतंकी घोषित कराना, भारत की सक्रिय कूटनीति का परिणाम है।
2. कड़े घरेलू कानून और सुरक्षा तंत्र का विकास
भारत में UAPA जैसे कानून, NIA की भूमिका, और राज्यों के एटीएस बलों को लगातार मजबूत किया गया है, जिससे आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगी है।
3. भारत की डिजिटल और साइबर सुरक्षा रणनीति
डिजिटल युग में भारत ने साइबर आतंकवाद से निपटने के लिए भी ठोस कदम उठाए हैं। तकनीकी सहायता, डिजिटल ट्रैकिंग और सोशल मीडिया निगरानी अब सुरक्षा नीति का हिस्सा हैं।
4. युवाओं के बीच जागरूकता और कट्टरपंथ रोकने के प्रयास
सरकार और सामाजिक संस्थाओं ने मिलकर कट्टरपंथ के खिलाफ जागरूकता अभियान शुरू किए हैं, खासकर उन इलाकों में जहां आतंकवादी संगठन युवाओं को बरगलाते हैं।
शांतिपूर्ण और आतंकमुक्त विश्व
दुनिया के सामने भारत का संदेश
भारत का यह स्पष्ट मानना है कि जब तक आतंकवाद को विश्वस्तरीय अपराध नहीं माना जाएगा और सभी देशों द्वारा एक जैसी प्रतिक्रिया नहीं दी जाएगी, तब तक शांति संभव नहीं है।
भारत की कूटनीति ने आतंकवाद विरोधी नीति को नया स्वरूप दिया
भारत केवल शब्दों से नहीं, बल्कि नीतियों, कानूनों, और वैश्विक सहयोग के माध्यम से आतंकवाद से लड़ रहा है। यह संकल्प अब केवल भारत का नहीं, बल्कि वैश्विक शांति की आवश्यकता बन चुका है।
