भारत में तेल और गैस खोज में 76% की बढ़ोतरी: ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम
"भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा संकेत देते हुए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया है कि पिछले 10 वर्षों में देश में तेल और गैस खोज में 76 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। यह घोषणा उन्होंने हाल ही में दिल्ली में आयोजित CII वार्षिक बिजनेस समिट में की। यह वृद्धि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ऊर्जा क्षेत्र में लाई गई नीतिगत सक्रियता और रणनीतिक योजनाओं का प्रत्यक्ष परिणाम मानी जा रही है। इस लेख में हम जानेंगे कि यह वृद्धि कैसे हुई, इसके पीछे कौन-से कारक हैं और इसका भारत की ऊर्जा रणनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा।"
तेल और गैस खोज के आंकड़ों में ऐतिहासिक परिवर्तन
हरदीप पुरी ने जानकारी दी कि 2014 के बाद से भारत के तलछटी बेसिन क्षेत्र (sedimentary basins) में की जा रही तेल और गैस खोज में 76% की वृद्धि दर्ज की गई है। इस अवधि में भारत में जिन क्षेत्रों को खोज के लिए खोला गया, उनकी कुल हिस्सेदारी 6% से बढ़कर 10% हो गई है और सरकार का लक्ष्य इसे 15% तक ले जाने का है।
2030 तक 1 मिलियन वर्ग किमी क्षेत्र का लक्ष्य
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार का दीर्घकालिक लक्ष्य है कि 2030 तक भारत के पास 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर भूभाग ऐसा हो, जो तेल और गैस खोज के लिए सक्रिय हो। इससे भारत को ऊर्जा संसाधनों के लिए आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी और आयात पर निर्भरता में कमी आएगी।
वैश्विक ऊर्जा अस्थिरता के बीच भारत की स्थिति
हरदीप पुरी ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भू-राजनीतिक अस्थिरता, जलवायु प्रतिबद्धताएं और ऊर्जा संसाधनों की अनिश्चितता महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ऐसे समय में भारत की ऊर्जा सुरक्षा केवल एक आवश्यकता नहीं, बल्कि एक रणनीतिक प्राथमिकता बन चुकी है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने करीब 242.4 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात किया, जिस पर 137 अरब डॉलर खर्च हुए। यही नहीं, भारत अब पहले के मुकाबले 27 से बढ़कर 40 देशों से तेल आयात कर रहा है, जिससे आपूर्ति श्रृंखला अधिक विविध और लचीली बनी है।
कीमतें स्थिर, रणनीति सफल
जब विश्व भर में ईंधन की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर थीं, भारत ने उपभोक्ता स्तर पर स्थिरता बनाए रखी। हरदीप पुरी ने बताया कि यह संभव हो सका प्रधानमंत्री मोदी की सक्रिय नीतियों, प्रभावी कर संरचना, और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के कारण।
तीन स्तंभ: उपलब्धता, वहन योग्यता और टिकाऊपन
पुरी ने भारत की ऊर्जा नीति को तीन स्तंभों पर आधारित बताया:
उपलब्धता(Availability)– ऊर्जा संसाधनों तक निरंतर पहुंच।वहन योग्यता(Affordability)– आम जनता के लिए सस्ती दरों पर ईंधन।टिकाऊपन(Sustainability)– पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा विकल्पों को बढ़ावा।
हरित ऊर्जा की ओर भारत का कदम
ऊर्जा आत्मनिर्भरता के साथ-साथ हरित ऊर्जा संक्रमण (Green Energy Transition) भी सरकार की प्राथमिकता है। पुरी ने बताया कि एथनॉल मिलाने की पहल इस दिशा में एक प्रमुख कदम है।
एथनॉल ब्लेंडिंग में तेजी
2013-14 में जहां पेट्रोल में एथनॉल की मिलावट मात्र 1.53% थी, वहीं अब यह बढ़कर 20% तक पहुँचने की ओर अग्रसर है। इसका लक्ष्य अप्रैल 2025 तक प्राप्त करना है। यह भारत की कार्बन उत्सर्जन में कटौती और आयात पर निर्भरता कम करने की रणनीति का हिस्सा है।
बुनियादी ढांचे और नवाचार को मिल रहा है बल
ऊर्जा क्षेत्र में भारत ने बुनियादी ढांचे के विस्तार और तकनीकी नवाचार पर भी ध्यान केंद्रित किया है।
तेल भंडारण सुविधाओं का विस्तारपाइपलाइन नेटवर्क का डिजिटलीकरणगैस आधारित अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहनअपतटीय खोज(Offshore Exploration)में निजी निवेश
इन सभी उपायों से भारत न केवल घरेलू मांग की पूर्ति करेगा बल्कि भविष्य में ऊर्जा निर्यातक देश बनने की दिशा में भी बढ़ सकता है।
ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत
हरदीप पुरी ने कहा कि भारत की ऊर्जा नीति अब केवल उपभोक्ता केंद्रित नहीं रही, बल्कि यह उत्पादन और प्रबंधन केंद्रित बन चुकी है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे Open Acreage Licensing Policy (OALP) और Hydrocarbon Exploration and Licensing Policy (HELP) जैसे कार्यक्रम तेल-गैस खोज में तेजी लाने में सहायक रहे हैं।
"भारत में तेल और गैस खोज में 76% की बढ़ोतरी न केवल एक आंकड़ा है, बल्कि यह एक ऐसे भविष्य की झलक है जिसमें भारत ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर, पर्यावरण अनुकूल, और वैश्विक प्रतिस्पर्धी शक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है। हरदीप पुरी द्वारा प्रस्तुत आंकड़े इस बात का संकेत हैं कि भारत अब ऊर्जा सुरक्षा को रणनीतिक दृष्टिकोण से देखता है और इसके लिए बहुआयामी प्रयास किए जा रहे हैं — खोज से लेकर वितरण तक, परंपरागत ईंधन से लेकर नवीकरणीय ऊर्जा तक।"
