पीएम मोदी ने किया सतना एयरपोर्ट का उद्घाटन, छह आदिवासी महिलाओं ने भरी पहली उड़ान
"सतना एयरपोर्ट उद्घाटन: एक ऐतिहासिक क्षण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के सतना एयरपोर्ट का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन कर एक और विकास की कहानी लिखी। इस एयरपोर्ट के शुरू होते ही पहली उड़ान ने सबका ध्यान खींचा क्योंकि इसमें यात्रा करने वाली थीं – छह आदिवासी महिलाएं, जिनके लिए यह क्षण केवल एक उड़ान नहीं, बल्कि एक सपने की पूर्ति थी।"
पहली उड़ान में महिलाओं की भागीदारी बनी ऐतिहासिक
सतना से रीवा और फिर रीवा से सतना की यह पहली उड़ान उन महिलाओं के जीवन में एक यादगार लम्हा बन गई, जो अब तक सिर्फ आकाश में उड़ते विमान को देखती थीं। हवाई चप्पल पहनने वाली इन महिलाओं ने विमान की सीट पर बैठकर महसूस किया कि अब बदलाव की हवा गांव-गांव तक पहुंच चुकी है।
महिलाओं के अनुभवों में झलका आत्मविश्वास
“हम हवाई चप्पल पहनते थे, आज हवाई जहाज़ में बैठ गए”
मूल रूप से आदिवासी समुदाय से आने वाली संगीता कोल, छोटी कोल, मुन्नी कोल, सुमित्रा, रितु और चंद्रप्रभा गौतम ने अपने भाव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि जीवन में हवाई यात्रा भी संभव होगी।
“मोदी सरकार ने दिया आत्मविश्वास”
मुन्नी कोल ने बताया कि पीएम मोदी की योजनाओं के कारण उन्हें न केवल घर और राशन मिला, बल्कि अब उन्हें सम्मान और आत्मविश्वास भी मिला है। चंद्रप्रभा गौतम ने इसे महिलाओं के लिए एक "नई उड़ान" का प्रतीक बताया।
सतना एयरपोर्ट से शुरू हुई हवाई सेवा
क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मिलेगा बल
सांसद गणेश सिंह ने जानकारी दी कि फिलहाल एयरपोर्ट से भोपाल और इंदौर के लिए 19-सीटर छोटे विमानों की उड़ान शुरू की गई है। सप्ताह में छह दिन एक 8-सीटर विमान भी भोपाल के लिए चलेगा। रनवे की लंबाई वर्तमान में 1,200 मीटर है, जिसे भविष्य में बढ़ाकर बड़े विमानों के संचालन की योजना बनाई गई है।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में अहम कदम
इस उद्घाटन और उड़ान को केवल एक परिवहन सेवा की शुरुआत नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण और आदिवासी उत्थान की दिशा में एक ठोस पहल माना जा रहा है। यह यात्रा इस बात का प्रमाण है कि जब नीति सही हो, तो बदलाव समाज के सबसे निचले स्तर तक पहुंचता है।
‘लखपति दीदी’ जैसी योजनाओं का लाभ
महिलाओं ने कहा कि मोदी सरकार की ‘लखपति दीदी’, ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ और ‘उज्ज्वला योजना’ जैसी पहलें न केवल आर्थिक मजबूती देती हैं, बल्कि मानसिक सशक्तिकरण भी करती हैं। यह हवाई यात्रा उस व्यापक सोच का हिस्सा है, जिसमें एक गांव की महिला भी अब उड़ान भरने का सपना देख सकती है।
साधारण लोग, असाधारण अनुभव
वो महिलाएं जो पहले अपने गांव से शहर जाना भी कठिन मानती थीं, अब आसमान की ऊंचाई नाप रही हैं। उनकी आंखों में उम्मीद, होठों पर मुस्कान और आत्मविश्वास भरा हुआ था। संगीता कोल ने कहा, “हमें कभी लगा ही नहीं था कि यह सपना कभी पूरा होगा, लेकिन आज हम उस सपने में जी रहे हैं।”
विकास और सम्मान का प्रतीक बना एयरपोर्ट
सतना एयरपोर्ट अब केवल एक इमारत नहीं, बल्कि परिवर्तन का प्रतीक बन गया है। यह ग्रामीण और आदिवासी महिलाओं के लिए एक ऐसा अवसर है, जो उन्हें दुनिया से जोड़ता है, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाता है, और उनकी भावनाओं को नया पंख देता है।
नारी सशक्तिकरण की नई उड़ान
यह पूरी यात्रा महिला सशक्तिकरण के उस युग की शुरुआत है, जिसमें हर महिला को यह विश्वास दिलाया गया है कि वह भी उड़ सकती है। चाहे वह किसी भी वर्ग, जाति या क्षेत्र से आती हो – अब आसमान सभी के लिए खुला है।
