भारत-मध्य एशिया साझेदारी: क्षेत्रीय और वैश्विक चुनौतियों से निपटने की बहुगुणक शक्ति – पीएम मोदी
"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भारत-मध्य एशिया वार्ता के बाद एक अहम बैठक में कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों से मुलाकात की। बैठक का उद्देश्य भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच आर्थिक, रणनीतिक और तकनीकी साझेदारी को गहराई देना था।"
ऐतिहासिक संबंधों पर आधारित आधुनिक साझेदारी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा:
“भारत के लिए मध्य एशियाई देश हमेशा से विदेश नीति की प्राथमिकता रहे हैं। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्तों की गहरी नींव पर हम अब रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी का विस्तार करना चाहते हैं।”
साझा प्राथमिकताएं: सुरक्षा, संपर्क और नवाचार
बैठक में जिन क्षेत्रों पर विशेष चर्चा हुई, उनमें शामिल हैं:
- सड़क और रेल संपर्क (Connectivity)
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग
- फिनटेक, डिजिटल टेक्नोलॉजी और साइबर सुरक्षा
- ऊर्जा और हरित ऊर्जा पहल
- खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य
प्रधानमंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि यह साझेदारी “आतंकवाद के खिलाफ हमारी सामूहिक लड़ाई को भी मजबूत करती है।”
पीएम मोदी का सोशल मीडिया संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
“भारत मध्य एशिया के देशों के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों को गहराई से संजोता है। व्यापार, कनेक्टिविटी, ऊर्जा, फिनटेक, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने की आशा है।”
आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता
मध्य एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा की और भारत के सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ रुख का समर्थन किया। यह सहयोग क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन: अगला कदम
प्रधानमंत्री मोदी ने पांचों देशों के राष्ट्राध्यक्षों को अगले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने का औपचारिक निमंत्रण भी दिया। इसका उद्देश्य:
- सामरिक सहयोग को संस्थागत रूप देना
- भविष्य की क्षेत्रीय परियोजनाओं की रूपरेखा बनाना
- इंडो-सेंट्रल एशिया संवाद को राजनीतिक नेतृत्व स्तर तक ले जाना
भारत-मध्य एशिया साझेदारी का नया युग
भारत-मध्य एशिया साझेदारी केवल कूटनीतिक संवाद नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता, वैश्विक चुनौतियों से निपटने की रणनीति और साझा समृद्धि का एजेंडा है। प्रधानमंत्री मोदी की पहल से यह स्पष्ट होता है कि भारत इस क्षेत्र में एक विश्वसनीय और निर्णायक भागीदार के रूप में अपनी भूमिका निभा रहा है।
