ईरान इजराइल तनाव: पीएम मोदी और नेतन्याहू की वार्ता में भारत की शांति की अपील
"पिछले कुछ दिनों से ईरान और इजराइल के बीच गहराते तनाव ने न सिर्फ पश्चिम एशिया को प्रभावित किया है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चिंता बढ़ा दी है। इसी संदर्भ में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बीच शुक्रवार को फोन पर एक महत्वपूर्ण बातचीत हुई। इस वार्ता में नेतन्याहू ने पीएम मोदी को ईरान और इजराइल के बीच हाल के घटनाक्रमों की जानकारी दी। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की चिंता जाहिर करते हुए क्षेत्र में जल्द से जल्द शांति और स्थिरता बहाल करने की आवश्यकता पर बल दिया।"
इजराइल ने किया ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ लॉन्च
इजराइल ने ईरान के नतांज परमाणु संयंत्र और तेहरान के सैन्य ठिकानों पर एक बड़े हवाई हमले को अंजाम दिया है। इस अभियान को 'ऑपरेशन राइजिंग लॉयन' नाम दिया गया है। इजराइल का दावा है कि यह हमला उसके अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे को रोकने के लिए किया गया। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अपने संबोधन में कहा, “ईरान तीन वर्षों में 10,000 बैलिस्टिक मिसाइल तैयार करने की योजना पर काम कर रहा है। ये मिसाइलें इजराइल के लिए बड़ा खतरा बन सकती हैं। इसलिए यह ऑपरेशन ज़रूरी था।”
परमाणु कार्यक्रम पर इजराइल की चिंता
इजराइल का कहना है कि ईरान ने नौ परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त उच्च-संवर्धित यूरेनियम का भंडार कर लिया है। यह इजराइल के लिए सीधा खतरा माना जा रहा है, क्योंकि यदि इन बमों का इस्तेमाल हुआ, तो छोटे से देश इजराइल के अस्तित्व पर सवाल खड़े हो सकते हैं। इस हमले में कई वरिष्ठ ईरानी सैन्य अधिकारियों और परमाणु वैज्ञानिकों के मारे जाने की खबरें हैं। साथ ही इजराइल ने अपने देश में विशेष आपातकाल की घोषणा कर दी है।
भारत की चिंता और सतर्कता
भारत ने इस पूरे घटनाक्रम पर चिंता जताई है। पीएम मोदी ने ट्विटर (अब X) पर जानकारी दी कि नेतन्याहू ने उन्हें फोन कर मौजूदा स्थिति से अवगत कराया। मोदी ने लिखा, “मैंने भारत की चिंताओं को साझा किया और क्षेत्र में शांति और स्थिरता की शीघ्र बहाली पर बल दिया।” साथ ही, इजराइल में रह रहे भारतीय नागरिकों के लिए तेल अवीव स्थित भारतीय दूतावास ने एक अर्जेंट एडवाइजरी जारी की है। इसमें सभी भारतीयों को सतर्क रहने, अनावश्यक यात्रा से बचने और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है।
भारत की भूमिका: शांति और कूटनीति का पक्षधर
भारत हमेशा से अंतरराष्ट्रीय संकटों के समाधान के लिए कूटनीतिक रास्ते को प्राथमिकता देता रहा है। इस बार भी भारत ने इसी नीति को दोहराया है। भारत चाहता है कि ईरान और इजराइल दोनों ही पक्ष संयम बरतें और बातचीत के जरिए हल निकालें। पश्चिम एशिया में भारत के कई आर्थिक और सामरिक हित जुड़े हुए हैं। इस कारण भारत वहां किसी भी प्रकार के संघर्ष को टालना चाहता है।
क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ने से पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में अस्थिरता की आशंका पैदा हो गई है। यह संकट न केवल ऊर्जा आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है, बल्कि वैश्विक तेल कीमतों पर भी असर डाल सकता है। भारत जैसे देश, जो ऊर्जा के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर हैं, इन परिस्थितियों से प्रभावित हो सकते हैं।
इजराइल-भारत संबंध: सामरिक साझेदारी और भरोसा
भारत और इजराइल के बीच संबंध काफी मजबूत हैं, खासकर रक्षा, कृषि, और तकनीक के क्षेत्र में। पीएम मोदी और नेतन्याहू की दोस्ती भी वैश्विक मंचों पर चर्चा का विषय रही है। इस बातचीत के माध्यम से दोनों नेताओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे संपर्क में रहेंगे और किसी भी आपात स्थिति में एक-दूसरे से संवाद बनाए रखेंगे।
"ईरान इजराइल तनाव के बीच प्रधानमंत्री मोदी और नेतन्याहू की बातचीत यह संकेत देती है कि भारत विश्व मंच पर एक संतुलित और जिम्मेदार भूमिका निभा रहा है। साथ ही, भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा को लेकर भी सतर्क है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि क्या यह कूटनीतिक प्रयास क्षेत्रीय शांति स्थापित कर पाएंगे या संकट और गहराएगा।"
