राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन 2025 में 5.41 लाख शिकायतें: दक्षिण भारत से 23% का योगदान
"भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2025 में राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) को कुल 5.41 लाख शिकायतें प्राप्त हुईं, जिनमें से 23 प्रतिशत शिकायतें दक्षिणी राज्यों से दर्ज की गईं। यह आंकड़ा क्षेत्रीय जुड़ाव और उपभोक्ता जागरूकता में दक्षिण भारत की भागीदारी को दर्शाता है। चेन्नई में आयोजित “दक्षिणी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में उपभोक्ता संरक्षण” विषयक एक क्षेत्रीय कार्यशाला में उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव निधि खरे ने यह जानकारी साझा की।"
दक्षिण भारत में उपभोक्ता अधिकारों की मजबूत पकड़
कार्यशाला में खरे ने बताया कि कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों ने न केवल शिकायतों का प्रभावी निपटारा किया, बल्कि दर्ज शिकायतों से अधिक मामलों का समाधान भी किया।
मुख्य बिंदु:
- दक्षिण भारत में लंबित मामले केवल 13.34%
- कई जिला आयोगों ने लगातार तीन वर्षों तक 100% से अधिक डिस्पोजल रेट हासिल किया
- वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से 11,900 से अधिक मामलों की सुनवाई हो चुकी है
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन 2025: डिजिटल युग की दिशा में कदम
निधि खरे ने डिजिटल युग में तेज और प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि मुकदमेबाजी से पहले ही समाधान की दिशा में कई डिजिटल प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रमुख पहलें:
- राइट टू रिपेयर पोर्टल: उपभोक्ताओं को उत्पादों की मरम्मत का अधिकार
- ई-जागृति प्लेटफॉर्म: डिजिटल शिकायत पंजीकरण का एकीकृत मंच
- चैटबॉट-बेस्ड रजिस्ट्रेशन, बहुभाषी इंटरफेस, और दिव्यांग-अनुकूल सेवाएं
ई-जागृति: एक एकीकृत AI-पावर्ड प्लेटफॉर्म
ई-जागृति एक AI-सक्षम एकीकृत डिजिटल मंच है जो उपभोक्ता शिकायत निवारण की प्रक्रिया को सरल और कुशल बनाता है।
इसमें शामिल प्रणालियाँ:
- ई-दाखिल: ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा
- कॉन्फोनेट: उपभोक्ता आयोगों की पारदर्शिता
- कानूनी पेशेवरों के लिए एक्सेस, दिव्यांग उपयोगकर्ताओं की सहायता
उपभोक्ता हितों के लिए नियामक कदम
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने उपभोक्ताओं को भ्रामक सूचनाओं से बचाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
हालिया कार्रवाई:
- डार्क पैटर्न को रोकने के लिए दिशानिर्देश
- फर्जी समीक्षाओं पर प्रतिबंध
- भ्रामक विज्ञापनों पर निगरानी
इन नियमों से ई-कॉमर्स और ऑनलाइन मार्केटप्लेस की पारदर्शिता में सुधार की उम्मीद है।
उपभोक्ता आयोगों की भूमिका में हो रहा बदलाव
कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में एनसीडीआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप साहि ने कहा कि अब उपभोक्ता मुकदमे पारंपरिक अदालतों की बजाय उपभोक्ता आयोगों में स्थानांतरित हो रहे हैं।
मुख्य टिप्पणियां:
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का दायरा विस्तृत हो रहा है
- वर्चुअल सुनवाई ने न्याय प्रणाली को तेज किया है
- न्यायिक प्रक्रिया में तकनीकी समावेश से पारदर्शिता बढ़ी है
