तमिलनाडु मिनी बस योजना का शुभारंभ: राज्य में परिवहन कनेक्टिविटी को मिलेगी नई रफ्तार
“तमिलनाडु मिनी बस योजना आज से शुरू हो गई है, जिसका औपचारिक उद्घाटन मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने तंजावुर से किया। इस बहुप्रतीक्षित योजना का उद्देश्य राज्य के ग्रामीण और उपनगरीय इलाकों में परिवहन की पहुंच को सुलभ और किफायती बनाना है।”
राज्य भर में 2084 नए मिनी बस रूट, चेन्नई में शुरुआत
परिवहन विभाग के अनुसार, इस योजना के तहत तमिलनाडु में कुल 2084 नए मिनी बस रूट शुरू किए जाएंगे। साथ ही राज्य में पहले से संचालित 1000 से अधिक मिनी बसों को भी एकीकृत किया जाएगा ताकि कनेक्टिविटी और सेवा गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सके।
चेन्नई में योजना की शुरुआत दक्षिण चेन्नई में 9 और उत्तर चेन्नई में 11 मिनी बसों के संचालन से हुई। कुल 72 रूटों की पहचान की गई है:
- उत्तर चेन्नई: 33 रूट
- दक्षिण चेन्नई: 39 रूट
योजना की प्रमुख विशेषताएं
नए रूटों की लंबाई और कवरेज
- एक रूट की अधिकतम लंबाई 25 किलोमीटर तक हो सकती है।
- कम से कम 65% रूट ऐसे क्षेत्रों में होंगे जहां अभी नियमित बस सेवाएं नहीं हैं।
- बाकी 35% रूट पहले से मौजूद बस रूटों से ओवरलैप कर सकते हैं।
सार्वजनिक सुविधाओं को भी मिलेगा लाभ
मिनी बस रूट ऐसे बनाए जाएंगे कि वे स्कूल, अस्पताल, पुस्तकालय, सरकारी कार्यालयों से 1 किमी के दायरे में हों। इससे आम जनता को सुविधाजनक सार्वजनिक परिवहन मिलेगा।
विभिन्न शहरों में मंत्री करेंगे शुभारंभ
- डिप्टी सीएम उदयनिधि स्टालिन थेनी में योजना का उद्घाटन करेंगे।
- स्वास्थ्य मंत्री मा. सुब्रमण्यम चेन्नई में शुरुआत करेंगे।
- अन्य कैबिनेट मंत्री अपने-अपने जिलों में इस योजना की शुरुआत करेंगे।
ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन क्षेत्र में भी मिली निजी बसों को अनुमति
संशोधित अधिसूचना में पहली बार चेन्नई महानगर पालिका सीमा के भीतर (मुख्य शहर क्षेत्रों को छोड़कर) निजी ऑपरेटरों को सेवा संचालन की अनुमति दी गई है। चेन्नई में इस योजना के तहत 20 निजी मिनी बसें जल्द शुरू होंगी।
सुपरवाइज़री और परमिट प्रक्रिया पर जोर
विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सभी चिन्हित रूटों के लिए निजी ऑपरेटरों से आवेदन मिल चुके हैं, लेकिन रूट परमिट केवल उन्हीं को दिए जाएंगे जो अपनी बसों के साथ सभी वैध दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे।
बस ऑपरेटरों की प्रतिक्रिया: प्रगतिशील कदम
तमिलनाडु मिनी बस मालिक संघ के अध्यक्ष के. कोडियारासन ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा:
“यह ऑपरेटरों और यात्रियों दोनों के लिए एक प्रगतिशील कदम है। हालांकि, हम मांग करते हैं कि डीजल कीमतों को देखते हुए किराया संरचना में संशोधन हो।”
उन्होंने कहा कि संगठन योजना के त्वरित क्रियान्वयन का समर्थन करता है, क्योंकि इससे रोजगार और आवागमन सुविधा दोनों को बढ़ावा मिलेगा।
योजना में देरी क्यों हुई?
असल में इस योजना को 1 मई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन मूल अधिसूचना को वापस ले लिया गया और नई अधिसूचना 16 जून के लिए घोषित हुई।
इस देरी की वजह बनी CITU समर्थित परिवहन निगम कर्मचारी संघ की याचिका, जिसमें निजी ऑपरेटरों को शामिल करने का विरोध किया गया था।
इस योजना से आम नागरिकों को कैसे मिलेगा लाभ?
ग्रामीण क्षेत्रों की कनेक्टिविटी बढ़ेगी
जहां अभी तक बड़ी बसें नहीं जा सकतीं, वहां अब मिनी बसें चलेंगी। इससे गांवों और कस्बों के लोग आसानी से शहरों तक पहुंच सकेंगे।
छात्रों और बुजुर्गों को सुविधा
स्कूल, कॉलेज और अस्पताल जाने वालों के लिए सस्ती और विश्वसनीय परिवहन सेवा उपलब्ध होगी।
रोजगार के नए अवसर
निजी ऑपरेटरों को अवसर मिलने से ड्राइवर, कंडक्टर और मैकेनिक जैसे रोजगार क्षेत्र विकसित होंगे।
चुनौतियां भी हैं सामने
हालांकि योजना व्यापक है, पर निजीकरण को लेकर कर्मचारियों की चिंता, ट्रैफिक नियमन, यात्री सुरक्षा, और किराया निर्धारण जैसे मुद्दे भविष्य में चुनौती बन सकते हैं।
"तमिलनाडु मिनी बस योजना राज्य के दूरदराज और कम सेवा प्राप्त क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल परिवहन व्यवस्था सुधरेगी, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी। समय पर क्रियान्वयन और निगरानी से यह योजना एक मॉडल पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम के रूप में उभर सकती है।"
