नक्शा क्षमता निर्माण कार्यक्रम: दूसरे बैच की शुरुआत, भू-स्थानिक सर्वेक्षण को मिलेगी गति
"नक्शा क्षमता निर्माण कार्यक्रम के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय का भूमि संसाधन विभाग (DoLR) आज 16 जून से प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे बैच का शुभारंभ कर रहा है। यह कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा शहरी भूमि सर्वेक्षण को भू-स्थानिक तकनीकों के माध्यम से आधुनिक, पारदर्शी और जनहितैषी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।"
शुरुआत वर्चुअल माध्यम से, 128 अधिकारी होंगे प्रशिक्षित
इस बैच का उद्घाटन भूमि संसाधन विभाग के सचिव मनोज जोशी द्वारा वर्चुअल माध्यम से किया गया। इस बार देश के 74 शहरी स्थानीय निकायों (ULBs) से नामित 128 अधिकारी भाग ले रहे हैं। इन अधिकारियों को प्रभावी शहरी संपत्ति सर्वेक्षण के लिए उन्नत भू-स्थानिक तकनीकों में व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।
चार प्रमुख उत्कृष्टता केंद्रों (CoEs) में होगा प्रशिक्षण
नक्शा कार्यक्रम के इस चरण का प्रशिक्षण एक सप्ताह का होगा, जिसे भारत के चार प्रमुख उत्कृष्टता केंद्रों में आयोजित किया जा रहा है:
- वाईएएसएचएडीए, पुणे (महाराष्ट्र)
- पूर्वोत्तर क्षेत्र उत्कृष्टता केंद्र, गुवाहाटी (असम)
- महात्मा गांधी राज्य लोक प्रशासन संस्थान, चंडीगढ़ (पंजाब)
- प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान, मैसूर (कर्नाटक)
इन केंद्रों को देशभर के शहरी भूमि प्रबंधन और प्रशासन के लिए कौशल वृद्धि का आधार बनाया गया है।
नक्शा कार्यक्रम क्या है?
नक्शा (शहरी आवासों का राष्ट्रीय भू-स्थानिक ज्ञान-आधारित भूमि सर्वेक्षण) कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा भारतीय सर्वेक्षण विभाग, एनआईसीएसआई, एमपीएसईडीसी, और पांच CoEs के सहयोग से एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चलाया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य:
- सटीक, डिजिटल और सत्यापन योग्य भूमि अभिलेख तैयार करना
- ULBs में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना
- शहरी संपत्तियों का डिजिटल सर्वेक्षण करना
अब तक की प्रगति
- पहले चरण में 160 मास्टर प्रशिक्षकों को हैदराबाद के NIGST में मई 2025 में प्रशिक्षित किया गया
- चरण 2 के पहले बैच में 2–7 जून 2025 तक 151 ULB अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया
अब दूसरा बैच 16 जून 2025 से प्रारंभ हुआ है।
अभ्यासात्मक प्रशिक्षण की विशेषताएं
प्रशिक्षण में प्रतिभागियों को निम्नलिखित विषयों पर व्यावहारिक ज्ञान दिया जा रहा है:
- ड्रोन आधारित भूमि सर्वेक्षण तकनीक
- जियो-रेफरेंसिंग और मैपिंग
- डिजिटल डेटा संग्रहण और एनालिटिक्स
- GIS और रिमोट सेंसिंग टूल्स का उपयोग
इसका उद्देश्य है कि अधिकारी अपने नगर पालिकाओं में भविष्य के स्मार्ट भूमि प्रबंधन सिस्टम को साकार कर सकें।
2031 तक 600 करोड़ शहरी आबादी का अनुमान: क्यों जरूरी है यह कार्यक्रम?
वर्तमान जनसंख्या वृद्धि और शहरीकरण की गति को देखते हुए अनुमान है कि 2031 तक भारत की शहरी आबादी 600 करोड़ से अधिक हो सकती है। ऐसे में:
- सटीक भूमि रिकॉर्ड की आवश्यकता अत्यधिक महत्वपूर्ण है
- नक्शा कार्यक्रम इस चुनौती का समाधान तकनीकी दृष्टिकोण से करता है
- डिजिटल इंडिया मिशन के अंतर्गत यह एक रणनीतिक पहल बन चुकी है
कवर किए गए क्षेत्र: अब तक 27 राज्य, 3 केंद्र शासित प्रदेश और 157 ULB
अब तक 27 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के 157 ULBs में नक्शा कार्यक्रम को पायलट स्तर पर शुरू किया गया है। यह आंकड़ा आने वाले समय में और भी बढ़ने की संभावना है।
नक्शा से क्या लाभ होंगे?
नागरिकों के लिए:
- संपत्ति स्वामित्व को लेकर कानूनी स्पष्टता
- संपत्ति टैक्स निर्धारण में पारदर्शिता
- ऑनलाइन रिकॉर्ड उपलब्धता और कम समय में प्रमाणन
प्रशासन के लिए:
- राजस्व संग्रह में वृद्धि
- शहरी नियोजन में डेटा-संचालित निर्णय
- भूमि विवादों और अतिक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण
"नक्शा क्षमता निर्माण कार्यक्रम भारत के शहरी विकास ढांचे को भविष्य-प्रेरित, डिजिटल, और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। दूसरे बैच की शुरुआत इस बात का प्रमाण है कि सरकार इस दिशा में गंभीर और सक्रिय है। आने वाले वर्षों में, यह कार्यक्रम देश भर में शहरी प्रशासन के लिए मानक मॉडल बन सकता है।"
