पीएम मोदी के संदेश से ग्रामीण भारत में योग दिवस 2025 बना जन आंदोलन
"योग दिवस 2025 अब सिर्फ एक दिन का आयोजन नहीं रहा, बल्कि यह पूरे भारत में खासतौर पर गांव-गांव में एक बड़ा सामाजिक आंदोलन बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीधी अपील के बाद ग्रामीण भारत में योग को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।"
“वन अर्थ, वन हेल्थ”: योग दिवस 2025 की प्रेरणादायक थीम
इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 की थीम “योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ” रखी गई है, जो इस बात पर जोर देती है कि व्यक्ति का स्वास्थ्य, समाज की भलाई और पर्यावरण का संतुलन आपस में जुड़े हुए हैं। इस विषय ने ग्रामीण समुदायों में विशेष रुचि जगाई है, जहां लोग प्राकृतिक जीवनशैली से पहले से ही जुड़े हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की अपील ने जगाई नई चेतना
प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर के ग्राम प्रधानों को एक पत्र लिखकर योग को अपनाने और इसे समुदाय स्तर पर बढ़ावा देने का आग्रह किया। उन्होंने पत्र में कहा:
"योग ने न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है।"
इस संदेश ने ग्रामीण भारत को सक्रिय कर दिया है। गांवों में पंचायत भवनों से लेकर आंगनवाड़ियों तक, सभी स्थानों पर योग गतिविधियाँ शुरू हो चुकी हैं।
योग दिवस 2025 का असर: गांवों से आई प्रेरणादायक कहानियाँ
परियार गांव, जौनपुर, उत्तर प्रदेश
ग्राम प्रधान ओम प्रकाश यादव ने बताया कि प्रधानमंत्री के पत्र से प्रेरित होकर गांव में हर हफ्ते पंचायत भवन में सामूहिक योग सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। साथ ही बच्चों के लिए योग प्रतियोगिताएं और "योग यात्रा" का आयोजन भी किया गया है।
बंदकपुर गांव, दमोह, मध्य प्रदेश
ग्राम प्रधान सुनील कुमार डब्ल्यू ने बताया कि गांव में सैकड़ों की संख्या में लोग सामूहिक योग सत्र में भाग ले रहे हैं। प्रचार-प्रसार के माध्यम से हर घर तक योग का महत्व पहुंचाया जा रहा है।
खेरा कुरसी गांव, कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश
ग्राम सरपंच पावनी मिश्रा ने बताया कि गांव में एक खुला योग स्थल विकसित किया गया है। यहां महिलाओं ने “स्वास्थ्य ही संपत्ति है” अभियान चलाया और बच्चों के लिए योग पर निबंध और चित्रकला प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं।
ग्रामीण जीवन में योग का समावेश
योग दिवस 2025 को लेकर गांवों में जो जागरूकता दिख रही है, वह केवल आयोजन तक सीमित नहीं है। अब योग को ग्रामीण जीवनशैली का हिस्सा बनाया जा रहा है। महिलाएं, बुजुर्ग, युवा और बच्चे—सभी वर्ग इसमें भागीदारी कर रहे हैं।
स्कूल और आंगनवाड़ी में योग
सरकारी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चों को योग सिखाया जा रहा है। इससे उनमें बचपन से ही स्वस्थ जीवन की आदतें विकसित हो रही हैं।
महिलाओं की भूमिका
महिला स्व-सहायता समूहों ने योग के प्रचार में अहम भूमिका निभाई है। वे "योग से समृद्धि" और "स्वस्थ नारी, स्वस्थ समाज" जैसे अभियानों से जुड़ रही हैं।
आयुष मंत्रालय की सराहना
केंद्रीय आयुष मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने प्रधानमंत्री मोदी की पहल की प्रशंसा करते हुए कहा:
"प्रधानमंत्री के भावनात्मक आह्वान ने योग दिवस को एक सशक्त जन आंदोलन में बदल दिया है।"
उन्होंने यह भी कहा कि गांवों में जो प्रयास हो रहे हैं, वे देश की संपूर्ण स्वास्थ्य संस्कृति को मजबूत करने में मदद करेंगे।
सामूहिक प्रयासों से बन रहा है राष्ट्रीय उत्सव
प्रधानमंत्री मोदी ने ग्राम प्रधानों से यह भी कहा कि योग दिवस के आयोजन में सभी—बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग—सक्रिय रूप से भाग लें। इस दिशा में विभिन्न राज्यों के गांवों ने नए-नए प्रयोग किए हैं:
- ओपन योगा ग्राउंड का निर्माण
- योग गीत और भजन संध्या
- पोस्टर प्रतियोगिताएं
- स्वास्थ्य जांच शिविरों के साथ योग प्रदर्शन
योग दिवस 2025 बना ग्रामीण भारत का उत्सव
योग दिवस 2025 अब केवल एक अंतरराष्ट्रीय आयोजन नहीं, बल्कि भारत के गांवों का उत्सव बन चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल और “वन अर्थ, वन हेल्थ” जैसे संदेश ने यह साबित कर दिया है कि जब नेतृत्व और जनभागीदारी एक साथ आते हैं, तो परिणाम अभूतपूर्व होते हैं। गांवों में योग की बढ़ती पहुंच न केवल स्वास्थ्य के लिए बल्कि सामाजिक एकता और पर्यावरण संतुलन के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है।
