राष्ट्रनिर्माण के अग्रदूत: डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि
“भारत की एकता और अखंडता के लिए जीवन अर्पित करने वाले डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को आज पूरे देश में बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि दी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें नमन किया।”
पीएम मोदी ने किया डॉ. मुखर्जी को नमन
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:
प्रधानमंत्री के इस संदेश में यह स्पष्ट है कि डॉ. मुखर्जी केवल एक राजनेता नहीं बल्कि भारत की आत्मा के संरक्षक थे।
डॉ. मुखर्जी: सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के ध्वजवाहक
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का पुरोधा बताया। उनके अनुसार, डॉ. मुखर्जी ने:
- भारत की एकता और अखंडता के लिए अपना जीवन समर्पित किया
- जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल को भारत के अभिन्न हिस्से के रूप में बनाए रखने हेतु संघर्ष किया
- भारतीय जनसंघ की स्थापना करके एक वैकल्पिक राजनीतिक विचारधारा को जन्म दिया
उन्होंने अपने वक्तव्य में यह भी कहा कि उनके विचार और कार्य हमेशा देशवासियों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेंगे।
शिवराज सिंह चौहान ने दी प्रेरणादायक श्रद्धांजलि
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डॉ. मुखर्जी के जीवन को “त्याग, तपस्या और राष्ट्रभक्ति की अमिट गाथा” बताया। उन्होंने लिखा:
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का योगदान: मुख्य बिंदु
| क्षेत्र | योगदान |
|---|---|
| शिक्षा | कोलकाता विश्वविद्यालय के सबसे युवा कुलपति, शिक्षा सुधारों में अग्रणी भूमिका |
| राजनीति | भारतीय जनसंघ की स्थापना, राष्ट्रीय एकता के लिए मुखर भूमिका |
| सांस्कृतिक राष्ट्रवाद | एक देश, एक संविधान के सिद्धांत के समर्थक |
| जम्मू-कश्मीर | अनुच्छेद 370 का विरोध करते हुए गिरफ्तारी और बलिदान |
‘एक देश – एक संविधान’ की भावना के प्रतीक
डॉ. मुखर्जी का यह प्रसिद्ध नारा —
“एक देश में दो निशान, दो विधान, दो प्रधान – नहीं चलेंगे”
— आज भी भारतीय एकता का सबसे सशक्त प्रतीक है।
आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जीवन आज के युवाओं को यह सिखाता है कि देश के लिए सोचने और संघर्ष करने का कोई विकल्प नहीं होता। राष्ट्रभक्ति केवल भावनाओं तक सीमित नहीं, बल्कि विचार, संघर्ष और बलिदान में प्रकट होती है।
