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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया आचार्य विद्यानंद जी की 100वीं जयंती के स्मृति वर्ष का शुभारंभ

नई दिल्ली, 28 जून 2025 — भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आचार्य विद्यानंद जी 100वीं जयंती समारोह का विधिवत उद्घाटन किया। यह भव्य आयोजन संस्कृति मंत्रालय और भगवान महावीर अहिंसा भारती ट्रस्ट के संयुक्त प्रयास से संपन्न हुआ प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर आचार्य विद्यानंद जी की जीवनगाथा, उनके दार्शनिक योगदान और समाज में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला। इस समारोह का उद्देश्य देशभर में एक वर्ष तक चलने वाले कार्यक्रमों की शुरुआत करना है, जो जैन धर्म के इस महान संत की स्मृति में आयोजित किए जाएंगे।”


आचार्य विद्यानंद जी: जैन धर्म के दार्शनिक और समाज सुधारक

आचार्य विद्यानंद जी महाराज को जैन धर्म के प्रमुख विद्वानों में गिना जाता है। उन्होंने जीवनभर अहिंसा, नैतिकता और शिक्षा के प्रचार में योगदान दिया। उनके द्वारा रचित 50 से अधिक ग्रंथ आज भी धार्मिक और दार्शनिक शोध के लिए महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।

वे संस्कृत और प्राकृत भाषा के संरक्षक रहे। उनका कार्यक्षेत्र न केवल धार्मिक रहा, बल्कि समाजिक सुधार की दिशा में भी वे अग्रणी थे। आचार्य विद्यानंद जी 100वीं जयंती का यह आयोजन उनके इन्हीं योगदानों को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम है।


विज्ञान भवन में हुआ उद्घाटन समारोह

इस समारोह में प्रधानमंत्री के साथ केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और राष्ट्रसंत प्रज्ञासागर जी मुनिराज भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में आचार्य विद्यानंद जी के दृष्टिकोण को समावेशी और सार्वभौमिक बताया।

उन्होंने कहा कि उनका जीवन भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का आदर्श उदाहरण है। समारोह में देशभर से जैन धर्म के अनुयायी, विद्वान, संत और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित हुए।


सालभर चलने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा

आचार्य विद्यानंद जी 100वीं जयंती के अवसर पर देशभर में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक, धार्मिक, साहित्यिक और शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इनमें सम्मेलनों, व्याख्यानों, सेमिनारों, पुस्तकों के विमोचन और आध्यात्मिक सभाओं का समावेश रहेगा।

इन कार्यक्रमों का उद्देश्य है —


आचार्य विद्यानंद जी का जीवन दर्शन

वे प्राचीन जैन मंदिरों के जीर्णोद्धार में सक्रिय रहे। उन्होंने समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना के लिए कठोर तपस्या और सत्संग का मार्ग अपनाया। उनका जीवन त्याग, सेवा और सत्य के आदर्शों पर आधारित रहा।

उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं, विशेषकर आज की युवा पीढ़ी के लिए जो आधुनिकता के साथ भारतीय मूल्यों को अपनाना चाहती है।


मीडिया और डिजिटल प्रचार

संस्कृति मंत्रालय ने इस स्मृति समारोह को डिजिटल माध्यमों के जरिए भी लोगों तक पहुंचाने की योजना बनाई है। सोशल मीडिया, वेबसाइट्स और अन्य प्लेटफॉर्म्स पर आचार्य विद्यानंद जी 100वीं जयंती को समर्पित विशेष सामग्री साझा की जाएगी।


प्रधानमंत्री मोदी की श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के अंत में कहा,

“आचार्य विद्यानंद जी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उनका आदर्श मार्ग, समाज में शांति और सद्भाव के बीज बोने वाला है। मैं इस समारोह के माध्यम से उन्हें अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।”


आचार्य विद्यानंद जी 100वीं जयंती का यह आयोजन न केवल एक श्रद्धांजलि है, बल्कि यह भारतीय समाज के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और नैतिक पुनर्जागरण की ओर एक कदम है। यह समारोह आचार्य जी के विचारों और जीवनशैली को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास है, ताकि हम सब मिलकर एक अधिक शांतिपूर्ण, नैतिक और संवेदनशील समाज की दिशा में अग्रसर हो सकें।”

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