पीएम मोदी ने अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर जारी किया 300 रुपये का विशेष सिक्का
"प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 मई 2025 को भोपाल के जम्बूरी मैदान में आयोजित महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन के अवसर पर लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर 300 रुपये का विशेष स्मृति सिक्का जारी किया। यह सिक्का संस्कृति मंत्रालय द्वारा जारी किया गया है और वित्त मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया है। इस सिक्के का उद्देश्य न केवल एक ऐतिहासिक महिला शासक को श्रद्धांजलि देना है, बल्कि महिला सशक्तिकरण, सांस्कृतिक गौरव, और राष्ट्रीय विरासत को सम्मान देना भी है।"
विशेष सिक्के में क्या है खास ?
इस 300 रुपये के सिक्के पर अहिल्याबाई होल्कर की उभरी हुई छवि अंकित है, जो उनकी दार्शनिक और नेतृत्व गुणों को दर्शाता है। सिक्का भारत सरकार द्वारा संचालित स्मृति सिक्का श्रृंखला का हिस्सा है, जिसे ऐतिहासिक महापुरुषों और घटनाओं की स्मृति में जारी किया जाता है। इस सिक्के की खास बात यह है कि यह उनकी 300वीं जयंती के अवसर पर जारी किया गया है, जिससे यह संग्रहणीय और ऐतिहासिक महत्व का हो गया है।
पीएम मोदी ने दी श्रद्धांजलि और दिया सम्मान
सिक्का जारी करने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अहिल्याबाई होल्कर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की और उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने अपने संबोधन में कहा:
“अहिल्याबाई होल्कर नारी शक्ति की प्रतीक थीं। उनका जीवन हमें न्याय, समर्पण और सेवा की प्रेरणा देता है।”
देवी अहिल्याबाई पुरस्कार से सम्मानित हुईं डॉ. जयमति कश्यप
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने देवी अहिल्याबाई होल्कर पुरस्कार भी प्रदान किया। इस वर्ष यह पुरस्कार छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले की डॉ. जयमति कश्यप को दिया गया। उन्हें यह सम्मान गोंडी भाषा के संरक्षण, आदिवासी महिलाओं की शिक्षा, और मानव तस्करी से बचाव के लिए किए गए कार्यों के लिए दिया गया है। यह पुरस्कार महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को हर वर्ष दिया जाता है।
अहिल्याबाई होल्कर: एक दार्शनिक रानी का जीवन परिचय
जन्म: 31 मई, 1725 – चोंडी गांव, महाराष्ट्रशासन: 1767 में पति और पुत्र की मृत्यु के बाद इंदौर की गद्दी संभालीकाल: लगभग तीन दशकों तक प्रभावशाली शासनउपाधि: “मालवा की दार्शनिक रानी”
अहिल्याबाई होल्कर का कार्यकाल भारतीय इतिहास में सामाजिक न्याय, मंदिरों के पुनर्निर्माण, व्यापारिक मार्गों के विकास, और जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए जाना जाता है।
उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर, सुप्रसिद्ध घाट, और सार्वजनिक जलस्रोतों के पुनर्निर्माण में अहम भूमिका निभाई।
महिला सशक्तिकरण सम्मेलन: सामाजिक बदलाव की दिशा में पहल
भोपाल में आयोजित यह महिला सशक्तिकरण महासम्मेलन न केवल एक जयंती समारोह था, बल्कि यह 10 दिनों से चल रही राज्य स्तरीय गतिविधियों का समापन भी था।
इस मौके पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य सरकार की महिला सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराया और कहा:
“अहिल्याबाई होल्कर आज भी हमारे लिए प्रेरणा हैं, जो हमें समावेशी विकास की ओर अग्रसर करती हैं।”
कार्यक्रम की अन्य विशेषताएं
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद पीएम मोदी का यह पहला सार्वजनिक दौरा था।सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, महिला नेतृत्व पर पैनल डिस्कशन, और स्थानीय महिला उद्यमियों की प्रदर्शनी भी इस आयोजन का हिस्सा रहीं।अहिल्याबाई के कार्यों पर आधारित डॉक्यूमेंट्री का भी प्रदर्शन किया गया।
ऐतिहासिक महत्त्व और आधुनिक संदर्भ
अहिल्याबाई होल्कर न केवल एक ऐतिहासिक महिला शासक थीं, बल्कि उनके कार्य आज के समाज के लिए भी प्रासंगिक हैं। उनके जीवन से हमें यह शिक्षा मिलती है:
नेतृत्व में संवेदनशीलता जरूरी हैसत्ता का प्रयोग सेवा के लिए होना चाहिएधर्म और संस्कृति के संरक्षण में समर्पण अनिवार्य है
सिक्का नहीं, प्रेरणा का प्रतीक
अहिल्याबाई होल्कर विशेष सिक्का केवल एक मुद्रा नहीं है, बल्कि यह एक विचारधारा का प्रतीक है जो सामाजिक न्याय, महिला नेतृत्व और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की बात करता है। प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम न केवल ऐतिहासिक स्मृति को ताज़ा करता है, बल्कि आज की पीढ़ी को यह समझने का अवसर देता है कि महिला नेतृत्व कोई नया विचार नहीं, बल्कि भारत की परंपरा का हिस्सा है।
