अमरनाथ यात्रा 2025: अब तक 2.73 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, सुरक्षा व्यवस्था सख्त
अमरनाथ यात्रा 2025: श्रद्धा, सुरक्षा और शिवभक्ति का संगम
“अमरनाथ यात्रा 2025 की इस बार शांति और कठोर सुरक्षा व्यवस्था में अनवरत जारी है। 3 जुलाई से शुरू हुई इस पवित्र यात्रा में अब तक 2.73 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए हैं। शनिवार को 6,365 नए श्रद्धालुओं का जत्था भगवती Nagar बेस कैंप जम्मू से रवाना हुआ।”
हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा बर्फानी के दर्शन को निकले
यात्रियों का पहला जत्था सुबह
3:25 बजे
92 वाहनों के साथ बालटाल के लिए रवाना हुआ, जिसमें 2,851 श्रद्धालु सवार थे। वहीं दूसरा जत्था
119 वाहनों में
3,514 यात्री लेकर
3:53 बजे पहलगाम के लिए निकला। यह जत्था सुरक्षा दस्तों के संरक्षण में रवाना किया गया।
छड़ी मुबारक की पूजा और अंतिम यात्रा की तैयारी
10 जुलाई को भगवान शिव की पवित्र छड़ी मुबारक का भूमि पूजन पहलगाम के गौरीशंकर मंदिर में हुआ। महंत स्वामी दीपेन्द्र गिरि की अगुवाई में साधुओं के समूह द्वारा यह छड़ी श्रीनगर के दशमी अखाड़ा भवन से लाई गई थी। पूजन के बाद यह छड़ी फिर से श्रीनगर लौटाई गई।
अब यह
4 अगस्त को अपनी आखिरी यात्रा पर निकलेगी और
9 अगस्त को बाबा बर्फानी की गुफा पर पहुंचेगी। यह दिन श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन जैसे पवित्र पर्व के साथ मेल खाता है और इसी दिन यात्रा का औपचारिक समापन होगा।
इस बार सुरक्षा व्यवस्था और अधिक कड़ी
हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा के व्यापक और कड़े इंतजाम किए गए हैं। सेना,
BSF, CRPF, SSB और स्थानीय पुलिस के साथ-साथ
180 अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की कंपनियाँ भी तैनात की गई हैं।
अमरनाथ यात्रा के दो मुख्य मार्ग
अमरनाथ की पवित्र गुफा समुद्र तल से
3,888 मीटर ऊंचाई पर है। वहां जाने के लिए दो मुख्य रूट हैं:
पहलगाम रूट:
यह पारंपरिक और घुमावदार रूट है। श्रद्धालुओं की अमरतलाई, शेषनाग और पंचतरिणी होते हुएकरीब
46 किलोमीटर की पदयात्रा चार दिनों में उन्हें गुफा तक पहुंचते हैं।
बालटाल रूट:
यह संक्षिप्त और भयानक रास्ता है। यहाँ से श्रद्धालु एक दिन में
14 किलोमीटर की यात्रा कर आवागमन सम्भव करते हैं।
इस बार हेलीकॉप्टर सेवा नहीं
सुरक्षा कारणों के चलते इस बार यात्रा में हेलीकॉप्टर सेवा सम्भव नहीं कराई गई है। इसलिए सभी श्रद्धालुओं को पैदल या खच्चरों के माध्यम से यात्रा करनी पड़ रही है।
शिवलिंग का चमत्कारिक स्वरूप
अमरनाथ गुफा में श्रद्धालु प्राकृतिक रूप से घने बर्फ के आकार जैसी एक आकृति बनाते हैं, जिसे वे भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति का प्रतीक मानते हैं। यह आकृति चंद्रमा की घटने-बढ़ने के अनुसार अपने आकार में बदल जाती है, जैसा देखकर हर वर्ष लाखों श्रद्धालु यहाँ आते हैं।
स्थानीय प्रशासन की सतर्क भूमिका
स्थानीय प्रशासन द्वारा यात्रियों की सुविधा के लिए स्वास्थ्य शिविर, पानी, भोजन, मोबाइल टॉयलेट, कंट्रोल रूम और सहायता केंद्र लगाए गए हैं। साथ ही मौसम की सटीक जानकारी के लिए स्मार्ट ऐप्स और डिस्प्ले बोर्ड का भी सहारा लिया जा रहा है।
भक्तों की श्रद्धा और सरकार की तैयारी
सरकार और सुरक्षा बलों की तत्परता के साथ-साथ भक्तों की आस्था और विश्वास इस पवित्र यात्रा को सफल और सुरक्षित बना रहे हैं। इस बार की यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह सुरक्षा और आयोजन क्षमता का भी परिचायक बन चुकी है।