अमेरिकी टैरिफ: 50 प्रतिशत शुल्क के प्रभाव और प्रतिक्रिया
“अमेरिका टैरिफ 50 प्रतिशत: भारतीय आयातों पर नये व्यापारिक दबाव का असर अमेरिका ने भारतीय आयातों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू करने का आदेश दिया है, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 6 अगस्त, 2025 को जारी किए गए कार्यकारी आदेश 14329 के तहत स्वीकार किया है। यह कदम उस समय उठाया गया जब अमेरिकी सरकार ने भारत से आने वाले आयातों पर टैरिफ बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने का फैसला किया। आइए, इस नये व्यापारिक फैसले का प्रभाव और भारत की प्रतिक्रिया को समझते हैं।”
अमेरिका द्वारा टैरिफ लागू करने का कारण अमेरिका द्वारा लागू किया गया यह
50 प्रतिशत टैरिफ भारतीय उत्पादों पर भारी शुल्क लगाने के लिए है, जिससे अमेरिकी बाजार को अधिक प्रतिस्पर्धात्मक बनाया जा सके। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ व्यापार असंतुलित हुआ है और भारत सरकार द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ अमेरिका के लिए असमर्थनीय हो गए हैं।
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, "भारत हमारे लिए एक दोस्त है, लेकिन हम उनके साथ व्यापार में असमानता महसूस कर रहे हैं। उनके टैरिफ दुनिया में सबसे ऊंचे हैं।" यही कारण है कि ट्रंप ने भारत से आने वाली अधिकांश वस्तुओं पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, ताकि अमेरिका के व्यापारियों को बेहतर अवसर मिल सकें।
भारत की प्रतिक्रिया: आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ता कदम जैसे ही अमेरिका ने टैरिफ बढ़ाए, भारत ने इस कदम का विरोध किया और इसे अपने व्यापारिक हितों के खिलाफ बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "भारत किसी भी दबाव को सहन करने के लिए तैयार है। भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है और वह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में अपनी स्थिति को मजबूत करेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में हुई एक जनसभा को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने कहा, "यह कोई पहली बार नहीं है कि भारत पर आर्थिक दबाव डाला जा रहा है। हमारे देश ने हमेशा मुश्किलों का सामना किया है और अब भी हम अपने व्यापारिक रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए कार्य करेंगे।"
अमेरिका टैरिफ के तहत प्रभावित उत्पाद अनुसार सीबीपी (कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन) द्वारा जारी अधिसूचना,
50 प्रतिशत टैरिफ अमेरिका में उपभोग के लिए आने वाले सभी भारतीय उत्पादों पर लगाया जाएगा। जहां तक बाहर रखे गए प्रमुख उत्पादों का सवाल है, उनमें लोहा, इस्पात, एल्युमीनियम और वाहन जैसी प्रमुख ब्रीदवास्तुओं के उत्पाद हैं।
इसका सीधा प्रभाव उन भारतीय उत्पादकों पर पड़ेगा जो अमेरिका को निर्यात करते हैं। वहीं, फार्मास्युटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कुछ महत्वपूर्ण श्रेणियों को इस टैरिफ से छूट प्रदान की गई है, जिससे इन उत्पादों का निर्यात अमेरिकी बाजार में बिना अतिरिक्त शुल्क के जारी रहेगा।
भारत के निर्यात में प्रमुख उत्पाद: फार्मास्युटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स अमेरिका से
50 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बावजूद, भारत के कुछ प्रमुख निर्यात जैसे फार्मास्युटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और रिफाइंड लाइट ऑयल को इस टैरिफ से छूट मिली है।
भारत का फार्मास्युटिकल्स क्षेत्र विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका निर्यात अमेरिका में बहुत बड़ी मांग में है। इस क्षेत्र से अमेरिका को लगभग
12.7 बिलियन डॉलर का निर्यात होता है, जिसमें कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह और दर्द निवारक दवाएं शामिल हैं। इस निर्यात को अमेरिकी टैरिफ से छूट मिलना भारतीय व्यापार के लिए राहत की बात है।
इसके साथ ही, भारत का स्मार्टफोन, चिप्स, वेफर्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का निर्यात अमेरिका में भी बढ़ रहा है। इनकी कीमत करीब
8.18 बिलियन डॉलर है, जो टैरिफ से प्रभावित नहीं होंगे।
भारत की व्यापारिक रणनीति: नई साझेदारियां और विकास के अवसर बहावृक्षी अमेरिका के द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ के अलावा, भारत ने कभी भी अपनी व्यापारिक रणनीति में परिवर्तन नहीं किया है।
भारत
आज भी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का हिस्सा बने रहने के लिए नए साझेदारों के साथ व्यापारिक संबंधों को स्थापित करने में सक्रिय है।
भारत के फार्मास्युटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग ने पहले ही आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़े कदम उठाए हैं। इस क्षेत्र में भारत की उत्पादन क्षमता अब पहले से कहीं अधिक है, और यह उसे अमेरिका के नए टैरिफ के बावजूद अमेरिकी बाजार में बने रहने में मदद करेगा।
निष्कर्ष: भारत का वैश्विक व्यापार में भविष्य
Despite 50 % टैरिफ
imposed by अमेरिका, भारत के पास वैश्विक व्यापार में अपने स्थान को बनाए रखने के लिए बहुत सारे मौके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की है कि भारत आत्मनिर्भरता की दिशा में निरंतर काम करता रहेगा, और वह किसी भी दबाव के कारण अपनी नीति में बदलाव नहीं करेगा।
भारत के लिए यह समय अपने व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करने, नए साझेदारों से समझौते करने और उत्पादन क्षमता को बढ़ाने का है। अमेरिका द्वारा उठाए गए इस कदम के बावजूद, भारत के पास ऐसे कई उपाय हैं जिनसे वह वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को और बेहतर बना सकता है।