सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों पर आदेश के खिलाफ दिल्ली में पशु प्रेमियों का जोरदार प्रदर्शन
सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों पर आदेश के खिलाफ पशु प्रेमियों का प्रदर्शन
“दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते कुत्तों के काटने और रेबीज के मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आदेश दिया कि सभी आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में भेजा जाए। इस आदेश के खिलाफ बुधवार को राजधानी दिल्ली में कई पशु प्रेमियों ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया।”
“स्वतंत्रता दिवस, किसके लिए?” थी प्रदर्शन की थीम
प्रदर्शनकारियों ने हाथों में "स्वतंत्रता दिवस, किसके लिए?", "हमारे कुत्तों को बचाओ", और "दिल्ली सरकार, आदेश वापस लो" जैसे नारे लिखी तख्तियां थामीं। मौके पर "हम होंगे कामयाब" गीत भी गाया गया।
कौन-कौन शामिल हुए विरोध में
इस विरोध में कई जानी-मानी हस्तियां और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। इनमें अंबिका शुक्ला (पीपल फॉर एनिमल्स की संस्थापक और मेनका गांधी की बहन), अनीश गवांडे (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी – शरदचंद्र पवार गुट के प्रवक्ता), राय मानवी, और कई पशु अधिकार कार्यकर्ता शामिल थे।
अंबिका शुक्ला ने क्या कहा
अंबिका शुक्ला ने कहा कि समाज में अब केवल धर्म और भाषा के आधार पर ही नहीं, बल्कि पशु प्रेमियों और पशु-द्वेषियों के बीच भी विभाजन हो गया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को "क्रूर" करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की।
लंबे समय से कुत्तों की देखभाल करने वालों की चिंता
प्रदर्शन में शामिल विद्या पांडे ने बताया कि उनका परिवार पिछले
10 साल से अधिक समय से आवारा कुत्तों को खाना खिला रहा है। उन्होंने कहा,
"इन कुत्तों के साथ खेलते हुए एक बार हमें खरोंच लग गई थी और हमें रेबीज के इंजेक्शन भी लगे, लेकिन कभी कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या नहीं हुई। दिल्ली में कोई स्थायी आश्रय स्थल नहीं है। आखिर इन कुत्तों को रखा कहां जाएगा?"
सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्या कहता है
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार, गुरुग्राम, नोएडा और गाजियाबाद के नगर निकायों को निर्देश दिया कि सड़कों से सभी आवारा कुत्तों को हटाकर आश्रय स्थलों में रखा जाए।
साथ ही आदेश में कहा गया:
- आश्रय स्थलों में पर्याप्त कर्मचारी होने चाहिए।
- कुत्तों का बधियाकरण और टीकाकरण किया जाए।
- कुत्तों की नियमित देखभाल हो।
- केंद्रों पर सीसीटीवी निगरानी हो ताकि कोई भी कुत्ता न छोड़ा जाए और न बाहर ले जाया जाए।
आदेश पर उठ रहे सवाल
पशु प्रेमियों का कहना है कि यह आदेश कुत्तों के अधिकारों और मानव-पशु सह-अस्तित्व के सिद्धांत के खिलाफ है। उनका तर्क है कि अगर दिल्ली-एनसीआर में पर्याप्त आश्रय स्थल ही नहीं हैं, तो आदेश का पालन संभव नहीं होगा।
“सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश एक तरफ जन सुरक्षा के लिए जरूरी माना जा रहा है, तो दूसरी ओर पशु अधिकार कार्यकर्ता इसे कुत्तों के लिए क्रूर और अव्यवहारिक बता रहे हैं। आने वाले दिनों में देखना होगा कि सरकार और अदालत इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं।”