भारतीय नौसेना में नया आयाम: एंटी-सबमरीन क्राफ्ट ‘अजय’ का जलावतरण
भारतीय नौसेना को मिली नई ताकत: ‘अजय’
“भारतीय नौसेना को समुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी युद्ध में नई शक्ति प्रदान करने के उद्देश्य से एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट ‘अजय’ को सोमवार, 21 जुलाई 2025 को कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) शिपयार्ड में जलावतरण किया गया। यह अत्याधुनिक पोत भविष्य में हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की समुद्री सुरक्षा और पनडुब्बी रोधी क्षमताओं को और सशक्त बनाएगा।”
‘अजय’ की तकनीकी विशेषताएं
आधुनिक सोनार प्रणाली से सुसज्जित
इस पोत में अत्याधुनिक हुल माउंटेड सोनार और लो फ्रीक्वेंसी वेरिएबल डेप्थ सोनार लगे हैं, जो समुद्र की गहराइयों में भी दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने में सक्षम हैं।
घातक मारक क्षमता
‘अजय’ पोत में निम्नलिखित हथियार लगे हैं:
- उन्नत टॉरपीडो
- पनडुब्बी रोधी रॉकेट्स
- एनएसजी-30 गन
- 12.7 मिमी एसआरसीजी गन
ये हथियार पोत को गहन समुद्री युद्ध की परिस्थितियों में भी दुश्मन का प्रभावी रूप से मुकाबला करने में सक्षम बनाते हैं।
डीजल इंजन और वाटर जेट संचालित
‘अजय’ पोत डीजल इंजनों द्वारा संचालित है और इसकी चाल में वाटर जेट्स का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह पोत तेज़ और कुशल गति से चल सकता है।
पारंपरिक जलावतरण समारोह
इस अवसर पर भारतीय नौसेना के चीफ ऑफ मटेरियल वाइस एडमिरल किरण देशमुख मुख्य अतिथि रहे। नौसेना की परंपरा के अनुसार प्रिया देशमुख ने ‘अजय’ का जलावतरण किया।
इस मौके पर GRSE और नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
निर्माण: मेक इन इंडिया का प्रमाण
‘अजय’ को गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से डिज़ाइन और निर्मित किया है। इसके निर्माण में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है।
यह पोत आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियानों के तहत रक्षा क्षेत्र में भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
पहले पोत ‘अर्नाला’ की सफलता
इस सीरीज़ का पहला पोत ‘अर्नाला’ 18 जून 2025 को नौसेना में शामिल किया गया था। दूसरे पोत की डिलीवरी अगस्त 2025 में प्रस्तावित है। यह श्रृंखला भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी क्षमता के विस्तार का प्रमाण है।
रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्व
अंडरवाटर सर्विलांस की मजबूती
‘अजय’ की तैनाती से भारतीय नौसेना को समुद्र के अंदर दुश्मनों की गतिविधियों पर निगरानी रखने की बेहतर क्षमता मिलेगी।
समुद्री क्षेत्र में माइन बिछाने की क्षमता
यह पोत न केवल हमला करने की क्षमता रखता है, बल्कि समुद्र में माइन बिछाने जैसे रक्षात्मक कदम उठाने में भी कुशल है।
भारतीय समुद्री सीमा की रक्षा
विशेषज्ञों के अनुसार, ‘अजय’ जैसे पोत हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की रणनीतिक स्थिति को मजबूत करेंगे और चीन जैसे प्रतिस्पर्धी देशों के मुकाबले भारत को बढ़त दिलाएंगे।
रक्षा विशेषज्ञों की राय
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ‘अजय’ का जलावतरण भारतीय नौसेना की "नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर" रणनीति में एक मजबूत कड़ी होगा।
यह पोत भारत की उन्नत संचार, सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली की क्षमताओं को और बढ़ाएगा।
‘अजय’ बना आत्मनिर्भर भारत की नई पहचान
‘अजय’ केवल एक युद्धपोत नहीं, बल्कि भारत की रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी निर्माण की क्षमता और संकल्प का प्रतीक है।
“इस जलावतरण से भारतीय नौसेना को नई ताकत मिली है और यह आने वाले वर्षों में भारत की समुद्री सीमा को और अधिक सुरक्षित और मजबूत बनाएगा।”
