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अटाला मस्जिद मामला पहुंचा हाई कोर्ट, ओवैसी ने जताई नाराजगी

प्रयागराज: अटाला मस्जिद से जुड़े विवादित मामले ने अब कानूनी मोड़ ले लिया है। यह मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है, जिसके बाद राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। इस बीच एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश बताया।


क्या है अटाला मस्जिद का मामला?

अटाला मस्जिद को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। स्थानीय स्तर पर इसे धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व से जोड़ा जा रहा है। हाल ही में एक याचिका के जरिए मस्जिद के स्वरूप और उसके इतिहास को लेकर सवाल उठाए गए, जिसे हाई कोर्ट में दायर किया गया है।

  • विवाद का मुख्य बिंदु: मस्जिद की संरचना को लेकर कानूनी और ऐतिहासिक जांच की मांग।
  • याचिकाकर्ताओं की दलील: ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर मस्जिद की जांच की जरूरत।

ओवैसी की प्रतिक्रिया

इस मामले पर असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा कि भारत के लोगों को इतिहास के उन झगड़ों में धकेला जा रहा है जहां उनका कोई अस्तित्व ही नहीं था। कोई भी देश महाशक्ति नहीं बन सकता अगर उसकी 14% आबादी लगातार ऐसे दबावों का सामना करती रहे। प्रत्येक “वाहिनी” “परिषद” “सेना” आदि के पीछे सत्ताधारी दल का अदृश्य हाथ होता है।  

इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह मामला जानबूझकर तूल दिया जा रहा है ताकि समाज में सांप्रदायिक तनाव पैदा किया जा सके।

ओवैसी का बयान:
“अटाला मस्जिद जैसे मामलों को उठाकर देश का माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है। यह हमारे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।”

उन्होंने सरकार और प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसे मुद्दे धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए उछाले जा रहे हैं, जो समाज के लिए खतरनाक है।


हाई कोर्ट में अगली सुनवाई पर नजर

हाई कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई जल्द होने वाली है। कोर्ट का फैसला इस विवाद की दिशा तय करेगा। इस बीच प्रशासन ने इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को टाला जा सके।

अटाला देवी मंदिर’ होने का दावा

सोसिएशन और संतोष कुमार मिश्रा द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि अटाला मस्जिद, मूल रूप से ‘अटाला देवी मंदिर’ थी। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह स्थान सनातन धर्म के अनुयायियों का धार्मिक स्थल है, और उन्हें वहां पूजा-अर्चना करने का अधिकार मिलना चाहिए।

याचिका में यह भी मांग की गई है कि अदालत प्रतिवादियों और अन्य गैर-हिंदुओं को इस संपत्ति में प्रवेश करने से रोकने का आदेश जारी करे। साथ ही, याचिकाकर्ताओं ने संपत्ति पर पूर्ण कब्जे की प्रार्थना की है ताकि इसे फिर से धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उपयोग में लाया जा सके।

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