जगन्नाथ रथयात्रा 2025: अलवर में होगा दिव्य आयोजन
“राजस्थान के अलवर शहर में इस बार जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव का आयोजन विशेष रूप से भव्य होने जा रहा है। यह पहली बार है जब इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) की ओर से 29 जून 2025 को शाम 4 बजे रथयात्रा का आयोजन किया जा रहा है।”
500 किलो फूलों से होगा भगवान का शृंगार
इस रथयात्रा की सबसे विशेष बात यह होगी कि भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा के विग्रहों का
500 किलो फूलों से भव्य शृंगार किया जाएगा। इसके साथ ही रथ को भी सुंदर फूलों, रंगीन झंडों और पारंपरिक सजावट से सजाया जाएगा।
रथयात्रा का मार्ग और व्यवस्था
रथयात्रा की शुरुआत पुलिस कंट्रोल रूम से होगी और यह
2 किलोमीटर लंबी यात्रा होप सर्कस, घंटाघर, मन्नी का बड़ होते हुए कंपनी बाग स्थित रिवाज रिसॉर्ट तक पहुंचेगी।
इस भव्य यात्रा की व्यवस्था करीब
200 स्वयंसेवकों (वॉलियंटर) द्वारा संभाली जाएगी, जो मार्ग पर अनुशासन, सुरक्षा और भक्ति के वातावरण को बनाए रखेंगे।
शुभारंभ से लेकर समापन तक की तैयारियां
गणेश पूजन के साथ प्रारंभ
रथयात्रा महोत्सव का शुभारंभ
23 जून को सुभाष चौक स्थित जगन्नाथ मंदिर में गणेश पूजन के साथ किया गया। इसके पश्चात प्रतिदिन मंदिर में सुबह-शाम कीर्तन और वैवाहिक गीतों की प्रस्तुति हो रही है।
27 जून को कंगन डोरे बांधने की रस्म
27 जून को दोज पूजन के दिन भगवान जगन्नाथ की मूर्ति के कंगन डोरे बांधे जाएंगे, जो पारंपरिक रूप से रथयात्रा से पूर्व होती है।
3 जुलाई को होगा निशान ध्वजा पूजन
3 जुलाई को सुबह
9 बजे विशेष निशान ध्वजा का पूजन होगा। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव इस विशेष ध्वजा पूजन में शामिल होंगे और ध्वजा रोहण करेंगे। यह ध्वजा
5 रंगों (लाल, नीला, पीला, हरा और सफेद) में होगी, जिसकी चौड़ाई
5.5 फीट और लंबाई
6 फीट होगी।
अंतरराष्ट्रीय महत्व की रथयात्रा परंपरा
इस्कॉन के प्रतिनिधि रास प्रयाण ने बताया कि रथयात्रा की परंपरा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर
1968 में संयुक्त राज्य अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर से प्रारंभ हुई थी।
1966 में स्वामी प्रभुपाद द्वारा स्थापित इस्कॉन संस्था आज विश्व के अनेक देशों में कृष्ण भक्तों और सांस्कृतिक आयोजनों का केंद्र बन चुकी है।
जगन्नाथ रथयात्रा: परंपरा और आस्था का संगम
जगन्नाथ रथयात्रा सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि भगवान के भक्तों के बीच प्रेम, भक्ति और सेवा का अनूठा संगम है। इस दौरान भगवान को रथ में बैठाकर नगर भ्रमण कराया जाता है, ताकि वे आम जनों को दर्शन दे सकें। यह एक धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का संदेश देने वाला आयोजन होता है।
भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का महत्व
- यह यात्रा अहंकार के विनाश और भक्ति मार्ग की स्वीकार्यता का प्रतीक है।
- इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा अपनी मौसी के घर जाते हैं, जिसे गुंडिचा यात्रा कहा जाता है।
- इसे पवित्र तीर्थयात्रा माना जाता है, जिसमें भाग लेने मात्र से पुण्य की प्राप्ति होती है।
भविष्य की योजनाएं और भक्तों का उत्साह
रथयात्रा के आयोजकों के अनुसार, आने वाले वर्षों में अलवर की रथयात्रा को एक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्थल के रूप में विकसित करने की योजना है। इस आयोजन को लेकर स्थानीय लोगों और भक्तों में जबरदस्त उत्साह है।