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ओम बिरला की ताशकंद यात्रा से मजबूत हुए भारत-उज्बेकिस्तान सांस्कृतिक रिश्ते

भारत-उज्बेकिस्तान सांस्कृतिक संबंधों में नई ऊर्जा: ओम बिरला की ताशकंद यात्रा भारत और उज्बेकिस्तान के बीच बढ़ते सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंधों को नई दिशा तब मिली जब लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने हाल ही में ताशकंद का दौरा किया। इस यात्रा के दौरान उन्होंने वहां हिंदी भाषा सीख रहे छात्रों से मुलाकात की और भारत की संस्कृति, भाषा और लोकतंत्र की सराहना करते हुए उज्बेकिस्तान के लोगों की भारतीय मूल्यों में रुचि की तारीफ की।”

हिंदी सीख रहे उज्बेक छात्रों से संवाद

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लाल बहादुर शास्त्री स्कूल का दौरा किया, जहां उन्होंने छात्रों से सीधा संवाद किया। उन्होंने बताया कि इस स्कूल में 600 से अधिक छात्र हिंदी भाषा सीख रहे हैं, जो भारत के प्रति उनकी गहरी रुचि को दर्शाता है। इस बातचीत से साफ जाहिर हुआ कि भारत-उज्बेकिस्तान सांस्कृतिक संबंध समय के साथ और प्रगाढ़ होते जा रहे हैं।


भारतीय भाषाओं और संस्कृति में उज्बेक छात्रों की रुचि

बिरला ने कहा कि केवल हिंदी ही नहीं, उज्बेक विद्वानों ने संस्कृत जैसी प्राचीन भारतीय भाषाओं का भी अध्ययन किया है। इतना ही नहीं, कई विद्वानों ने अपने लेखन व शोध कार्यों में भी इन भाषाओं का उपयोग किया है। इससे दोनों देशों की संस्कृतियों के बीच संवाद और समझ को नई ऊंचाई मिली है।


भारतविदों को मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान

ओम बिरला ने गर्व के साथ बताया कि उज्बेकिस्तान के कई भारतविद (Indologists) को न सिर्फ भारत से, बल्कि अन्य देशों से भी विशेष सम्मान प्राप्त हुआ है। यह दर्शाता है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत की अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता लगातार बढ़ रही है।


उज्बेक-हिंदी शब्दकोश: एक अहम योगदान

उन्होंने उज्बेक शिक्षकों द्वारा तैयार किए गए उज्बेक-हिंदी शब्दकोश का भी विशेष रूप से उल्लेख किया, जिसे स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जारी किया था। यह शब्दकोश दोनों भाषाओं के बीच सेतु का काम करता है और भाषा के स्तर पर सहयोग को बढ़ावा देता है।


भारतीय सिनेमा और संगीत की लोकप्रियता

ओम बिरला ने याद दिलाया कि 2012 में उज्बेक रेडियो ने हिंदी प्रसारण के 50 वर्ष पूरे किए थे। साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय फिल्में और संगीत उज्बेकिस्तान में बेहद लोकप्रिय हैं। इससे साफ है कि भारत की सांस्कृतिक शक्ति सीमाओं से परे असर डाल रही है।


21वीं सदी में भारत-उज्बेक सहयोग की भूमिका

बिरला ने कहा कि 21वीं सदी में भारत और उज्बेकिस्तान मिलकर शांति, स्थिरता और मानवता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। शिक्षा, पर्यावरण, भाषा और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में बढ़ते सहयोग से आपसी समझ और सहयोग को नई दिशा मिलेगी।


भारत-उज्बेक संसदों के बीच संवाद

लोकसभा अध्यक्ष ने उज्बेकिस्तान के संसद के निचले सदन के अध्यक्ष नूर्दिनजोन इस्माइलोव से भी मुलाकात की। उन्होंने भारत की चुनाव प्रणाली की पारदर्शिता और लोकतंत्र में जनता की भागीदारी की सराहना की। इस दौरान दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि संसदीय संवाद और प्रतिनिधिमंडल आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच रिश्तों को और मजबूत करेंगे।


भारत और उज्बेकिस्तान की बहुस्तरीय साझेदारी

बिरला ने यह भी बताया कि भारत और उज्बेकिस्तान ने राजनीतिक, व्यापारिक, रक्षा, विज्ञान और शैक्षिक क्षेत्रों में भी मजबूत साझेदारी स्थापित की है। यह भागीदारी दोनों देशों की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए अहम मानी जा रही है।


उज्बेकिस्तान में भारत की सॉफ्ट पावर की छवि

भारत की सॉफ्ट पावर का प्रभाव उज्बेकिस्तान में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। हिंदी भाषा, भारतीय फिल्में, योग, शास्त्रीय संगीत और साहित्य उज्बेक नागरिकों को न सिर्फ आकर्षित करते हैं बल्कि उनके जीवन का हिस्सा भी बनते जा रहे हैं।

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