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बिहार में आकाशीय बिजली गिरने से 41 लोगों की दर्दनाक मौत: पूरी रिपोर्ट

बिहार में बिजली गिरने से भयावह त्रासदी

“बिहार में प्रकृति का कहर एक बार फिर सामने आया है। पिछले 48 घंटों में आकाशीय बिजली गिरने से 41 लोगों की मौत हो गई। यह घटना मानसून के दौरान बिहार में होने वाली सबसे भीषण त्रासदियों में से एक है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, अधिकांश मौतें खेतों में काम कर रहे किसानों और बच्चों की हुई हैं।”

प्रभावित जिलों की स्थिति:

  • गोपालगंज: 12 मौतें
  • मधुबनी: 9 मौतें
  • पूर्वी चंपारण: 7 मौतें
  • अन्य जिले: 13 मौतें

क्यों हो रही है इतनी अधिक मौतें?

1. मौसम विभाग की चेतावनी को नजरअंदाज करना

  • IMD ने पहले ही भारी बारिश और बिजली गिरने की चेतावनी जारी की थी
  • ग्रामीण क्षेत्रों में लोग खुले मैदानों में काम करते पाए गए

2. सुरक्षा उपायों का अभाव

  • अधिकांश गांवों में लाइटनिंग अरेस्टर नहीं लगे
  • लोगों को बिजली गिरने के खतरों के बारे में जागरूकता की कमी

3. प्रकृति का बदलता स्वरूप

  • जलवायु परिवर्तन के कारण बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ रही हैं
  • इस साल बिहार में सामान्य से 30% अधिक बिजली गिरने की घटनाएं दर्ज की गई हैं

सरकारी प्रतिक्रिया और मदद

1. मुख्यमंत्री ने जताया दुख

  • नीतीश कुमार ने घटना पर दुख व्यक्त किया
  • प्रत्येक मृतक के परिवार को 4 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा

2. राहत कार्य तेज

  • आपदा प्रबंधन टीमें प्रभावित क्षेत्रों में तैनात
  • घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जा रहा है

3. दीर्घकालिक योजनाएं

  • सभी गांवों में लाइटनिंग अरेस्टर लगाने का प्रस्ताव
  • जागरूकता अभियान चलाने की योजना

कैसे बचें बिजली गिरने के खतरे से?

1. तुरंत बरतें ये सावधानियां

  • बिजली चमकते ही घर के अंदर चले जाएं
  • पेड़ों के नीचे खड़े होने से बचें
  • मोबाइल फोन और धातु की वस्तुओं से दूर रहें

2. लंबी अवधि के उपाय

  • घरों में लाइटनिंग अरेस्टर लगवाएं
  • मौसम अपडेट पर नजर रखें
  • स्कूलों में सुरक्षा प्रशिक्षण दें

पिछले वर्षों के आंकड़े और तुलना

वर्षमौतों की संख्यासबसे अधिक प्रभावित जिले
202341 (2 दिन में)गोपालगंज, मधुबनी
2022287 (पूरे वर्ष)पूर्णिया, कटिहार
2021215 (पूरे वर्ष)मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी

सामूहिक प्रयास की आवश्यकता

बिहार में बिजली गिरने से हुई 41 मौतें एक भयावह त्रासदी हैं। इससे निपटने के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर काम करना होगा। जहां एक ओर बेहतर पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है, वहीं आम जनता को भी सुरक्षा उपायों के प्रति जागरूक होना पड़ेगा। प्रकृति के इस कहर से बचाव के लिए तैयारियां अब समय की मांग बन चुकी हैं।

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