अब साल में दो बार होंगी CBSE बोर्ड परीक्षाएं, छात्रों को मिलेगा दूसरा मौका
“ केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 10वीं और 12वीं की CBSE बोर्ड परीक्षाएं अब साल में दो बार आयोजित करने का फैसला लिया है। इस कदम का उद्देश्य छात्रों पर परीक्षा का दबाव कम करना और बेहतर प्रदर्शन के लिए दूसरा मौका देना है।“
CBSE बोर्ड परीक्षाएं अब साल में दो बार होंगी।
छात्रों के लिए दोनों परीक्षाएं देना अनिवार्य नहीं होगा।
बेहतर स्कोर वाले परीक्षा परिणाम को मान्यता मिलेगी।
परीक्षा पैटर्न में बदलाव, 50% प्रश्न होंगे MCQ आधारित।
11वीं-12वीं के छात्रों को विषयों के चयन में अधिक आजादी मिलेगी।
छात्रों के लिए क्यों फायदेमंद है यह बदलाव?
परीक्षा का दबाव होगा कम: छात्रों को परीक्षा की टेंशन कम होगी, क्योंकि वे एक साल में दो बार परीक्षा दे सकते हैं।
बेहतर स्कोर करने का मौका: यदि पहली परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं होता, तो वे दूसरी बार सुधार कर सकते हैं।
कॉन्सेप्ट-बेस्ड लर्निंग: नए परीक्षा पैटर्न में समझ आधारित सवाल होंगे, जिससे रटकर पढ़ाई करने की प्रवृत्ति घटेगी।
कोचिंग पर निर्भरता होगी कम: MCQ और एनालिटिकल प्रश्नों के कारण छात्रों को कोचिंग की जरूरत कम होगी।
विषय चयन में आजादी: 11वीं-12वीं के छात्र अपनी पसंद के विषयों को अधिक स्वतंत्रता से चुन सकेंगे।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा:
“हम छात्रों पर परीक्षा का बोझ कम करना चाहते हैं। उन्हें बेहतर स्कोर करने का एक और मौका दिया जाएगा, ताकि वे बिना दबाव के पढ़ाई कर सकें।”
कैसे काम करेगी नई परीक्षा प्रणाली?
साल में दो बार परीक्षा:
- पहली परीक्षा मार्च-अप्रैल में होगी।
- दूसरी परीक्षा सितंबर-अक्टूबर में होगी।
- छात्रों को दोनों परीक्षाएं देने की जरूरत नहीं, वे सिर्फ एक भी दे सकते हैं।
बेहतर स्कोर मान्य होगा:
- यदि छात्र दोनों परीक्षाएं देते हैं, तो जिस परीक्षा में अधिक स्कोर होगा, वही फाइनल रिजल्ट में जोड़ा जाएगा।
परीक्षा पैटर्न में बदलाव:
- 50% सवाल MCQ (बहुविकल्पीय प्रश्न) होंगे।
- शेष 50% सवाल छोटे उत्तर और विश्लेषणात्मक प्रश्न होंगे।
- छात्रों की समझ को परखने के लिए नए तरह के प्रश्न जोड़े जाएंगे।
विषय चयन में लचीलापन:
- अब 11वीं और 12वीं के छात्र पारंपरिक स्ट्रीम (साइंस, कॉमर्स, आर्ट्स) के बजाय अपनी रुचि के अनुसार विषय चुन सकेंगे।
शिक्षा मंत्रालय के अनुसार:
“इस नई प्रणाली से छात्रों को तनाव से मुक्ति मिलेगी और वे अपनी रुचि व क्षमताओं के अनुसार बेहतर प्रदर्शन कर सकेंगे।”
छात्र, अभिभावक और शिक्षकों से मांगी जाएगी राय
CBSE जल्द ही इस नई परीक्षा प्रणाली का एक मसौदा तैयार करेगा।
इसे सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया जाएगा।
छात्र, अभिभावक और शिक्षक इस पर अपनी राय साझा कर सकेंगे।
फीडबैक के आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
एक शिक्षक ने कहा:
“यह कदम बहुत उपयोगी है। अब छात्रों को एक ही परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव नहीं रहेगा। वे अपनी गति से पढ़ाई कर सकेंगे।”
CBSE 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाएं अब साल में दो बार होंगी।
छात्रों के लिए दोनों परीक्षाएं अनिवार्य नहीं होंगी, वे किसी एक को चुन सकते हैं।
बेहतर स्कोर वाले परीक्षा परिणाम को फाइनल मार्कशीट में जोड़ा जाएगा।
परीक्षा पैटर्न में बदलाव से छात्रों की समझ बढ़ेगी और कोचिंग पर निर्भरता कम होगी।
11वीं-12वीं के छात्रों को विषयों के चयन में अधिक स्वतंत्रता मिलेगी।