मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में पीएम मोदी की अध्यक्षता, उत्तराखंड के यूसीसी मॉडल पर सीएम धामी का प्रस्तुतीकरण
“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की बैठक एक बार फिर सुर्खियों में रही। इस अहम बैठक में देशभर के मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर राज्य में एक समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के अनुभव, प्रक्रिया और परिणामों पर विस्तार से चर्चा की।”
यूसीसी पर उत्तराखंड का मॉडल: एक नई दिशा
क्या है यूसीसी
एक समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, संपत्ति और गोद लेने जैसे नागरिक मामलों में एक समान कानून लागू करना है, चाहे उनका धर्म, जाति या लिंग कुछ भी हो।
उत्तराखंड बना पहला राज्य
उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना, जिसने यूसीसी को कानूनी रूप से लागू किया है। मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि यह निर्णय समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
सीएम धामी ने यूसीसी लागू करने की प्रक्रिया की दी जानकारी
मुख्यमंत्री धामी ने बैठक में बताया कि यूसीसी लागू करने से पहले राज्य सरकार ने व्यापक स्तर पर जन संवाद, विशेषज्ञों से परामर्श और सर्वेक्षण कराया। उन्होंने यह भी बताया कि इस प्रक्रिया में महिलाओं, अल्पसंख्यकों और जनजातीय समुदायों की राय को प्राथमिकता दी गई।
कानूनी समिति का गठन
राज्य सरकार ने एक विशेष समिति का गठन किया था, जिसने सभी वर्गों से बातचीत कर यूसीसी का मसौदा तैयार किया। इसके बाद इसे राज्य विधानसभा में पारित किया गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने की सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक के दौरान उत्तराखंड सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि इस पहल से देशभर में समान नागरिक संहिता पर नई बहस शुरू हुई है। उन्होंने अन्य राज्यों को भी समाज में समानता और एकता सुनिश्चित करने वाले मॉडल अपनाने के लिए प्रेरित किया।
मुख्यमंत्री परिषद की बैठक: राष्ट्रीय विकास पर फोकस
समावेशी विकास की चर्चा
बैठक में पीएम मोदी ने सभी मुख्यमंत्रियों से समावेशी विकास, डिजिटल गवर्नेंस, युवाओं के लिए रोजगार, और गरीबी उन्मूलन जैसे मुद्दों पर फोकस करने का आह्वान किया।
राज्य-केंद्र समन्वय
प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकारों के बीच मजबूत समन्वय से ही भारत को विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है।
यूसीसी पर विपक्ष और विशेषज्ञों की राय
विरोध की आवाजें भी
हालांकि उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद कुछ वर्गों ने संवैधानिक और सामाजिक चिंताओं को उठाया है। उनका कहना है कि धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को ध्यान में रखते हुए ही कोई कानून बनाया जाना चाहिए।
विशेषज्ञों की राय
कई संवैधानिक विशेषज्ञों और समाजशास्त्रियों ने यूसीसी को समाज में समानता की दिशा में सकारात्मक पहल बताया है। उनका मानना है कि यह महिलाओं के अधिकारों को मजबूती देगा और कई सामाजिक विसंगतियों को खत्म करेगा।
यूसीसी लागू होने के बाद के प्रारंभिक प्रभाव
महिलाओं में जागरूकता बढ़ी
उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने के बाद महिलाओं के अधिकारों और कानूनी संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ी है।
सामाजिक समानता की दिशा में कदम
धामी सरकार का कहना है कि इससे धर्म आधारित भेदभाव में कमी आई है और लोग अब एक समान कानून के तहत अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझने लगे हैं।
भविष्य की राह: यूसीसी और राष्ट्रीय एकता
उत्तराखंड सरकार का यूसीसी मॉडल यदि सफल रहता है, तो यह अन्य राज्यों के लिए एक नज़ीर बन सकता है। केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई राष्ट्रीय यूसीसी मसौदा सामने नहीं आया है, लेकिन इस पहल से एक राष्ट्रीय विमर्श की शुरुआत ज़रूर हो चुकी है।
मुख्यमंत्री परिषद की बैठक बनी नई नीतियों का आधार
पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई यह बैठक केवल औपचारिक चर्चा नहीं थी। इसमें विभिन्न राज्यों की नई नीतियों, चुनौतियों और नवाचारों को साझा किया गया, जिससे केंद्र सरकार को नीतिगत निर्णयों में सहयोग मिलेगा।
संवाद की निरंतरता
मुख्यमंत्री परिषद की बैठक सिर्फ एक मंच नहीं, बल्कि एक संविधानिक और प्रशासनिक संवाद का जरिया है। उत्तराखंड के यूसीसी मॉडल की प्रस्तुति ने इस संवाद को एक नई दिशा दी है, जिससे भारत के भविष्य की रूपरेखा तैयार हो रही है।
