डी गुकेश ने मैग्नस कार्लसन को हराया: नॉर्वे शतरंज 2025 में ऐतिहासिक जीत
"19 वर्षीय गुकेश ने दिखाया दम भारत के 19 वर्षीय शतरंज खिलाड़ी डी गुकेश ने नॉर्वे शतरंज 2025 के छठे दौर में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। उन्होंने विश्व शतरंज के बादशाह और पाँच बार के विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन को क्लासिकल प्रारूप में मात देकर सभी को चौंका दिया। यह पहली बार है जब गुकेश ने क्लासिकल फॉर्मेट में कार्लसन को हराया है।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की सराहना
इस शानदार जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर डी गुकेश की सराहना करते हुए लिखा,
“गुकेश की असाधारण उपलब्धि! सर्वश्रेष्ठ पर विजय पाने के लिए उन्हें बधाई। नॉर्वे शतरंज 2025 के राउंड 6 में मैग्नस कार्लसन के खिलाफ उनकी पहली जीत उनकी प्रतिभा और समर्पण को दर्शाती है। आगे की यात्रा में उनकी निरंतर सफलता की कामना करता हूं।”
कार्लसन की एक चूक बनी हार की वजह
यह मुकाबला नॉर्वे के स्टावेंगर शहर में हुआ, जहां स्थानीय हीरो मैग्नस कार्लसन को भारी समर्थन प्राप्त था। लेकिन जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ा, कार्लसन समय की कमी में फंस गए और उन्होंने एक बड़ी गलती कर दी। गुकेश ने मौके का पूरा फायदा उठाया और मैच को अपने नाम कर लिया।
डी गुकेश ने जीत पर क्या कहा?
खेल के बाद गुकेश ने कहा,
“मैं ज्यादा कुछ नहीं कर सकता था, मुझे बस इसका पूरा फायदा उठाना था। मैं ऐसे मूव बना रहा था जो उसके लिए मुश्किल थे, और सौभाग्य से वह समय की कमी में फंस गया।”
उन्होंने आगे जोड़ा,
“इस टूर्नामेंट से मैंने सीखा कि समय की कमी बहुत खतरनाक हो सकती है और इसका नियंत्रण जरूरी है।”
कार्लसन की निराशा
मैच हारने के बाद मैग्नस कार्लसन visibly निराश दिखे। उन्होंने गुस्से में टेबल पर मुक्का मारा और आयोजन स्थल से बाहर निकल गए। यह घटना शतरंज प्रेमियों के लिए चौंकाने वाली थी लेकिन दिखाता है कि खेल में भावनाओं का कितना गहरा असर होता है।
टूर्नामेंट का प्रारूप
नॉर्वे शतरंज 2025 टूर्नामेंट डबल राउंड-रॉबिन प्रारूप में खेला जा रहा है, जिसमें कुल छह खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। इस प्रारूप में हर खिलाड़ी दूसरे से दो बार मुकाबला करता है – एक बार सफेद मोहरों से और एक बार काले मोहरों से। गुकेश की यह जीत उनके लिए टूर्नामेंट में एक बड़ी बढ़त साबित हो सकती है।
गुकेश की कोचिंग और तैयारी
गुकेश के कोच ग्रेजगोरज गजेवस्की ने भी इस जीत को खास बताया और कहा कि,
“गुकेश का मानसिक संतुलन और रणनीतिक सोच मैच का निर्णायक पहलू बना। कार्लसन के खिलाफ संयम बनाए रखना आसान नहीं होता, लेकिन उसने इसे बखूबी निभाया।”
पहले राउंड में हार का बदला
इससे पहले टूर्नामेंट के शुरुआती दौर में गुकेश को कार्लसन से हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार उन्होंने न केवल बदला लिया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि वह बड़े मंचों पर भी दबाव में बेहतरीन प्रदर्शन कर सकते हैं।
भारत के लिए गौरव का क्षण
गुकेश की यह ऐतिहासिक जीत केवल उनके करियर का मील का पत्थर नहीं है, बल्कि यह भारत के लिए भी गर्व का विषय है। भारत में शतरंज तेजी से लोकप्रिय हो रहा है और डी गुकेश जैसे खिलाड़ी आने वाले समय में भारत को और ऊंचाई पर पहुंचा सकते हैं।