Newsदिल्ली/एनसीआरमौसम

बारिश की पहली फुहार में ही खुली दिल्ली के विकास की पोल

"देश की राजधानी नई दिल्ली, जहां से लाखों लोग रोज़ अपने काम के लिए गुजरते हैं, वहां बारिश की पहली ही बूंदों में सड़कों का समंदर बन जाना एक शर्मनाक सच्चाई है। साकेत और महिपालपुर के बीच की सड़कें एक बार फिर जलमग्न हो गईं। ऐसा लग रहा है कि हर साल की तरह इस साल भी सरकार और प्रशासन ने बरसात को "सरप्राइज टेस्ट" मानकर तैयारियां नहीं कीं।"


क्या बस एक-दूसरे पर कीचड़ उछालना ही बचा है?

जब सड़कें कीचड़ से लबालब भर जाती हैं, तो राजनीतिक दल एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने लगते हैं।

  • बीजेपी कहती है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली में फेल है।
  • आम आदमी पार्टी कहती है कि एलजी साहब उनके हाथ बांधकर बैठे हैं।

तो जनता पूछती है:
"जब दोनों को पता है कि हर साल यही हाल होता है, तो क्या कोई स्थायी समाधान नहीं है?"


इंजीनियरिंग का ऐसा अभाव कि नाला तक नहीं बना सकते?

देश में आईआईटी और एनआईटी से पढ़े इंजीनियर्स की भरमार है। करोड़ों का बजट भी पास होता है। फिर क्यों नहीं बन पाता एक ऐसा नाला, जो बारिश का पानी सड़कों से हटा सके?

क्या दिल्ली को हर साल तैरता हुआ देखना ही अब प्रशासन की मजबूरी बन गया है?


हर साल एक ही नाटक: नाला साफ़ी का ‘ड्रामा’

बरसात शुरू होते ही निगम और पीडब्ल्यूडी की गाड़ियाँ बाहर निकल आती हैं। नाले कीचड़ से उफनते हैं और फोटो खिंचाई शुरू हो जाती है।

लेकिन सवाल है:
नाले बारिश के समय ही क्यों साफ़ होते हैं?
क्या साल भर अफसर छुट्टी पर रहते हैं?


किसकी है असली जिम्मेदारी?

सड़कों पर जलभराव होता है तो:

  • एमसीडी कहती है ये हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
  • पीडब्ल्यूडी कहती है पाइपलाइन पुरानी है।
  • नेता कहते हैं जनता धैर्य रखे।

तो आखिर करे तो कौन?


जनता कब तक सहती रहेगी?

हर साल यही हाल होता है, और हर साल जनता चुपचाप सहती है। लेकिन अब वक्त है सवाल पूछने का:

  • क्या दिल्ली की सड़कों का यह हाल ‘विश्वस्तरीय शहर’ की पहचान है?
  • क्या टैक्स देने वाले नागरिकों को यही सुविधा मिलनी चाहिए?
  • क्या वोट मिलने के बाद नेता पांच साल तक गायब ही रहेंगे?

समाधान क्या हो सकता है?

  1. सभी विभागों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।
  2. सालभर नालों की निगरानी की जाए।
  3. जनता को समय पर अपडेट मिलें – कहां काम चल रहा है, कहां होगा।
  4. फुटपाथ और सड़क के डिज़ाइन को बारिश के अनुकूल बनाया जाए।
  5. राजनीति से ऊपर उठकर स्थायी योजना बनाई जाए।

अब बहानों का वक्त नहीं, कार्रवाई का वक्त है

दिल्ली जलभराव समस्या अब सिर्फ एक प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि नागरिकों के जीवन का खतरा बन चुकी है। जब साकेत से महिपालपुर तक सड़कें तालाब बन जाएं, तो ये कोई सामान्य बात नहीं। अब समय आ गया है कि नेता कीचड़ उछालना बंद करें और वो कीचड़ साफ करने की जिम्मेदारी निभाएं, जो सच में जनता के लिए जरूरी है।

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