दिल्ली दंगा मामला: सुप्रीम कोर्ट ने छात्र कार्यकर्ताओं की जमानत सुनवाई 19 सितंबर तक टाली
“सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में छात्र कार्यकर्ताओं द्वारा दायर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई शुक्रवार (12 सितंबर, 2025) को स्थगित कर दी। यह मामला गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत दर्ज है और इसमें कई चर्चित नाम आरोपी के रूप में शामिल हैं।”
दिल्ली दंगा मामला: किन-किन पर है आरोप दिल्ली दंगा मामला छात्र कार्यकर्ताओं उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर से जुड़ा है। इन सभी ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत की याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने इस पर सुनवाई करते हुए अगली तारीख 19 सितंबर तय की।
दिल्ली दंगा मामला और हाईकोर्ट का फैसला इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ—न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर—ने आरोपियों को जमानत देने से इनकार किया था। अदालत ने कहा था कि फरवरी 2020 की हिंसा कोई सामान्य विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि यह एक पूर्व-नियोजित और सुनियोजित साजिश थी।
अदालत की टिप्पणी दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली दंगा मामला सुनते हुए उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि अगर विरोध प्रदर्शन की आड़ में किसी को भी हिंसा फैलाने की छूट दी गई तो यह संवैधानिक ढांचे और कानून-व्यवस्था दोनों के लिए हानिकारक होगा। अदालत ने अभियुक्तों की भूमिका को “प्रथम दृष्टया गंभीर” माना। आरोप है कि उन्होंने भीड़ को भड़काने के लिए उत्तेजक भाषण दिए और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाया।
2020 से जेल में बंद आरोपी दिल्ली दंगा मामला लंबे समय से अदालतों में चल रहा है। आरोपी छात्र कार्यकर्ता 2020 से ही हिरासत में हैं और अब तक विचाराधीन कैदी के रूप में जेल में बंद हैं। उनके वकीलों का कहना है कि मुकदमे में पहले ही काफी देरी हो चुकी है। इस आधार पर वे सह-आरोपियों के समानता सिद्धांत पर जमानत की मांग कर रहे हैं।
किन्हें पहले मिली थी राहत दिल्ली दंगा मामले में कुछ आरोपी पहले ही जमानत पा चुके हैं।
- नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तन्हा को जून 2021 में जमानत दी गई थी।
- पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां को मार्च 2022 में रिहाई मिली थी।
इन उदाहरणों का हवाला देकर मौजूदा आरोपी भी अदालत से राहत की उम्मीद कर रहे हैं।
दिल्ली दंगा मामला: सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई अब सभी की नज़रें 19 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई पर हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या अदालत जमानत पर कोई ठोस निर्णय देती है या फिर सुनवाई और आगे बढ़ती है।
THE MORNING STAR की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली दंगा मामला केवल अदालतों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोकतांत्रिक अधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून-व्यवस्था की बहस को भी गहराई से प्रभावित कर रहा है। छात्र संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से लगातार यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या लंबी अवधि तक हिरासत न्यायसंगत है।
