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बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के खिलाफ इस्कॉन मंदिरों में प्रदर्शन, सरकार से हस्तक्षेप की अपील

“नई दिल्ली: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को लेकर इस्कॉन मंदिरों में देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। इस्कॉन भक्तों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह बांग्लादेश सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाए और हिंदू समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।”

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमले

हाल के दिनों में बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों, पूजा स्थलों, और समुदाय के लोगों पर हमले की कई घटनाएं सामने आई हैं। इन घटनाओं में संपत्ति को नुकसान, धार्मिक स्थलों को तोड़ने और जान-माल की हानि की खबरें शामिल हैं।

इस्कॉन भक्तों का विरोध प्रदर्शन

  1. देशव्यापी प्रदर्शन: भारत के प्रमुख इस्कॉन मंदिरों में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए जा रहे हैं। भक्त बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
  2. प्रार्थना और जागरूकता: इस्कॉन भक्त विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित कर रहे हैं और आम जनता को इस मुद्दे के प्रति जागरूक कर रहे हैं।
  3. अंतरराष्ट्रीय अपील: इस्कॉन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी अपील की है कि वे इस मामले पर बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाएं।

सरकार से की गई मांग

  • कूटनीतिक हस्तक्षेप: भक्तों ने भारत सरकार से मांग की है कि वह इस मुद्दे पर बांग्लादेश सरकार से कूटनीतिक वार्ता करे।
  • हिंदुओं की सुरक्षा: हिंदू समुदाय के धार्मिक अधिकारों और सुरक्षा की गारंटी दी जाए।
  • अंतरराष्ट्रीय कदम: संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संगठनों के माध्यम से इस मुद्दे पर कार्रवाई की मांग की गई है।

धार्मिक सहिष्णुता की अपील

इस्कॉन भक्तों ने बांग्लादेश के नागरिकों और सरकार से धार्मिक सहिष्णुता बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का सम्मान और उनके अनुयायियों की सुरक्षा मानवता की बुनियादी आवश्यकता है।

विरोध का उद्देश्य

इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य न केवल बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोकना है, बल्कि पूरे विश्व को धार्मिक हिंसा के खिलाफ एकजुट करना भी है।

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है। इस्कॉन मंदिरों के माध्यम से हो रहे ये प्रदर्शन धार्मिक सौहार्द और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक मजबूत संदेश हैं। भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की अपील की गई है।

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