आपदा प्रबंधन में भारत का नया दृष्टिकोण: पीएम मोदी ने दी मजबूत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की वकालत
"नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर (ICDRI) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि भारत और विश्व को आपदाओं से लड़ने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, लचीला बुनियादी ढांचा, और समन्वित प्रयासों की सख्त जरूरत है।"
प्राकृतिक आपदाओं से खतरे में हैं तटीय और द्वीपीय क्षेत्र
प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और लगातार बढ़ रही प्राकृतिक आपदाएं तटीय क्षेत्रों और छोटे द्वीपीय विकासशील देशों के लिए बड़ा खतरा बन चुकी हैं। हाल ही में भारत और बांग्लादेश में चक्रवात रेमल, अमेरिका में हैरिकेन हेलेन, और अफ्रीका में साइक्लोन चिडो जैसी घटनाओं ने दिखा दिया है कि अगर तैयारी मजबूत न हो, तो नुकसान अपार हो सकता है।
प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है
प्रधानमंत्री मोदी ने 1999 के सुपर साइक्लोन और 2004 की सुनामी का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत ने इन त्रासदियों से सीखते हुए देश के संवेदनशील तटीय इलाकों में चक्रवात आश्रय केंद्रों का निर्माण किया और 29 देशों के लिए एक सुनामी चेतावनी प्रणाली विकसित करने में मदद की।
उन्होंने कहा, “अगर समय रहते चेतावनी दी जाए और समन्वय मजबूत हो, तो हम जान-माल की हानि को काफी हद तक रोक सकते हैं।”
डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर: भारत की वैश्विक भूमिका
भारत द्वारा शुरू किया गया Coalition for Disaster Resilient Infrastructure (CDRI) अब 25 छोटे द्वीपीय देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है। इसका उद्देश्य है:
- मजबूत घरों का निर्माण
- सुरक्षित अस्पताल और स्कूल
- जल और ऊर्जा की सुरक्षा
- प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली
यह सहयोग इन देशों को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार कर रहा है।
शिक्षा और कौशल विकास: भविष्य की तैयारी
प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि हमें एक कुशल कार्यबल चाहिए जो आपदा प्रबंधन में विशेषज्ञ हो। इसके लिए उन्होंने उच्च शिक्षा प्रणाली में आपदा प्रबंधन से संबंधित कोर्स, प्रैक्टिकल मॉड्यूल, और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम जोड़ने का सुझाव दिया।
वैश्विक डिजिटल रिपॉजिटरी का प्रस्ताव
पीएम मोदी ने एक ऑनलाइन वैश्विक ज्ञानकोष (Global Digital Repository) बनाने का भी प्रस्ताव दिया। इसमें दुनिया भर से आपदा पुनर्निर्माण से जुड़ी सफल कहानियां और सीख साझा की जाएंगी। इससे विभिन्न देशों को एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने का मौका मिलेगा।
वित्तीय नवाचार और सहयोग की जरूरत
प्रधानमंत्री ने बताया कि नवाचार आधारित वित्तीय मॉडल समय की मांग है। इसके जरिए विकासशील देशों को आवश्यक वित्तीय संसाधनों की पहुंच मिल सकेगी। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से आग्रह किया कि वे आपदा से निपटने के प्रयासों में सक्रिय रूप से सहयोग करें।
प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली भारत की प्राथमिकता
अपने संबोधन के अंत में पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा, “शुरुआती चेतावनी प्रणाली और समन्वय को मजबूत करना बहुत जरूरी है।” इससे त्वरित निर्णय लेने में सहायता मिलेगी और हर नागरिक तक समय पर सटीक सूचना पहुंचाई जा सकेगी।
भारत की आपदा रणनीति: एक वैश्विक मॉडल
भारत अब सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक आपदा प्रबंधन मॉडल के रूप में उभर रहा है। चाहे वह तटीय आश्रय हों, चेतावनी प्रणालियां हों या वैश्विक सहयोग—भारत आपदाओं से लड़ने की दिशा में एक सशक्त नेतृत्वकर्ता बन चुका है।
"प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली भारत के लिए न केवल आपदा से रक्षा का माध्यम है, बल्कि यह लाखों लोगों की जान बचाने का एक शक्तिशाली उपकरण है। प्रधानमंत्री मोदी का संदेश साफ है—हमें अब आपदा के बाद नहीं, आपदा से पहले की तैयारी में निवेश करना होगा।"