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आपदा प्रबंधन विधेयक 2025: जलवायु परिवर्तन से लड़ने की नई नीति

भारत जैसे विशाल और विविधता से भरे देश में प्राकृतिक आपदाएं अक्सर जन-धन की भारी हानि का कारण बनती हैं। इन्हें नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यसभा में “आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक 2025” पेश किया है। इस विधेयक को गृह मंत्री अमित शाह ने प्रस्तुत करते हुए बताया कि “जलवायु परिवर्तन और आपदाओं के बीच सीधा संबंध है”, और इसी को ध्यान में रखकर यह विधेयक लाया गया है।”

🔹 विधेयक की मुख्य बातें

  • डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (DDMA) को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं
  • संघीय ढांचे को बिना प्रभावित किए, राज्य और केंद्र दोनों की भूमिका को बरकरार रखा गया है
  • जलवायु परिवर्तन की रोकथाम और जागरूकता को योजना में अहम स्थान
  • स्थानीय प्रशासन, पंचायतों और नागरिकों को योजना में जोड़ने पर बल
  • कोई सत्ता का केंद्रीकरण नहीं, बल्कि विकेन्द्रीकृत आपदा प्रबंधन की योजना

🔹 जलवायु परिवर्तन और आपदा का संबंध

गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि आपदाएं अब केवल प्राकृतिक घटना नहीं रह गई हैं। मानवजनित जलवायु परिवर्तन ने इनकी तीव्रता और आवृत्ति दोनों बढ़ा दी हैं।

उदाहरण के तौर पर:

  • अनियमित मानसून और बाढ़
  • अचानक तूफानों की संख्या में वृद्धि
  • सूखा और जल संकट
  • ग्लेशियर पिघलने से आने वाली आपदाएं

उन्होंने कहा, “आपदा को रोकने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि हम जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करें।”


🔹 संघीय ढांचे पर सवाल और उसका जवाब

कई सांसदों ने यह सवाल उठाया कि यह विधेयक राज्यों की शक्तियों में कटौती कर सकता है, लेकिन गृह मंत्री ने स्पष्ट किया:

  • आपदा प्रबंधन केंद्र और राज्य दोनों का विषय है
  • राज्य सरकारों की भूमिका में कोई कटौती नहीं की गई
  • ज़िला स्तर पर अधिक शक्ति देकर स्थानीय सशक्तिकरण का प्रयास किया गया है
  • यह सत्ता के केंद्रीकरण के बजाय साझा उत्तरदायित्व का मॉडल है

🔹 पीएम मोदी का 10 सूत्रीय एजेंडा

अमित शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए एक 10 सूत्री वैश्विक एजेंडा प्रस्तुत किया था, जिसे 40 से अधिक देशों ने स्वीकार किया है। इसमें शामिल हैं:

  1. सभी आपदाओं के लिए समग्र नीति
  2. जोखिम को कम करने की रणनीति
  3. विज्ञान और तकनीक का इस्तेमाल
  4. स्थानीय और सामुदायिक भागीदारी
  5. पुनर्निर्माण और पुनर्वास में समावेशिता
  6. वित्तीय ढांचा मजबूत करना
  7. शिक्षा और जागरूकता
  8. अंतरराष्ट्रीय सहयोग
  9. जलवायु अनुकूलन की नीति
  10. सभी को जोड़ना – शासन से नागरिक तक

🔹 इतिहास में भी था आपदा प्रबंधन का स्थान

गृह मंत्री ने यह भी बताया कि आपदा प्रबंधन भारत की सभ्यताओं का पुरातन हिस्सा है:

  • सिंधु और हड़प्पा सभ्यताओं में सुनियोजित जल निकासी और भवन निर्माण
  • मौर्य साम्राज्य को माना जाता है भारत की पहली हाइड्रोलिक सभ्यता
  • यजुर्वेद में प्रकृति के संतुलन और शांति पाठ का उल्लेख
  • यज्ञों में पर्यावरण संतुलन का भाव

🔹 2005 का अधिनियम और अब का संशोधन

2005 में लाए गए “आपदा प्रबंधन अधिनियम” के तहत बनाए गए:

  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)
  • राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA)
  • जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA)

अब 2025 के संशोधन में इन्हें और अधिक सक्रिय, उत्तरदायी और संसाधनयुक्त बनाने पर जोर है। साथ ही, स्थानीय स्तर की योजनाओं और फंडिंग को अधिक प्राथमिकता दी गई है।


🔹 वित्‍तीय पहलुओं को लेकर सफाई

कुछ सदस्यों ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। अमित शाह ने इसे नकारते हुए कहा:

  • 2005 के कानून की ही वैज्ञानिक वित्‍तीय व्यवस्था को जारी रखा गया है
  • केंद्र ने सभी राज्यों को निर्धारित से अधिक सहायता दी
  • वित्त आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू किया गया है
  • आपदा राहत फंड राज्य और जिला दोनों स्तर पर उपलब्ध हैं

🔹 पंचायत और आम नागरिक की भागीदारी

सरकार चाहती है कि आपदा प्रबंधन केवल सरकारी जिम्मेदारी न होकर हर नागरिक की सामूहिक जिम्मेदारी बने। इसमें पंचायतों की विशेष भूमिका तय की गई है:

  • ग्राम स्तर पर आपदा प्रबंधन समितियाँ
  • प्रशिक्षण और अभ्यास (mock drills)
  • स्कूलों और कॉलेजों में आपदा शिक्षा
  • महिलाओं और युवाओं की भागीदारी

निष्कर्ष

“आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक 2025” केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि एक समाज और शासन के बीच साझेदारी की नई परिभाषा है। इसमें न केवल सरकार की तैयारी बढ़ाने की बात है, बल्कि आम जनता को भी जागरूक और सक्षम बनाने का संदेश है।

यदि हम जलवायु परिवर्तन और आपदाओं से सुरक्षित भारत चाहते हैं, तो यह संशोधन हमारी नीति और नीयत दोनों को मजबूत करता है।

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सुनील शर्मा

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