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वक्फ संशोधन कानून 2025 को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती: DMK ने मुसलमानों के अधिकारों पर बताया खतरा

DMK ने वक्फ संशोधन कानून 2025 को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, कहा- मुसलमानों के अधिकारों का उल्लंघन

“वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर देश की राजनीति में नई बहस छिड़ गई है। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) ने इस नए कानून को भारत के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। पार्टी का दावा है कि यह कानून न केवल असंवैधानिक है, बल्कि यह भारत के करीब 20 करोड़ मुसलमानों के अधिकारों पर सीधा हमला करता है।”

DMK ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर यह भी कहा है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों की स्वतंत्रता, धार्मिक अधिकारों और समुदाय के स्वशासन के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है।


क्या है वक्फ संशोधन कानून 2025? वक्फ संपत्तियों से जुड़ा नया कानून

वक्फ संशोधन कानून 2025 केंद्र सरकार द्वारा लागू किया गया एक नया कानून है, जिसका उद्देश्य वक्फ बोर्ड के अधिकारों को सीमित करना, संपत्तियों के उपयोग और प्रबंधन पर नई शर्तें लगाना बताया जा रहा है। इसके तहत वक्फ बोर्ड को सरकार की मंजूरी के बिना संपत्ति बेचने, किराए पर देने या उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी।

वक्फ क्या है?

वक्फ एक धार्मिक संपत्ति होती है, जिसे किसी मुस्लिम व्यक्ति द्वारा अल्लाह के नाम पर दान किया जाता है। इसका उपयोग मस्जिद, कब्रिस्तान, मदरसा, गरीबों की सहायता और अन्य धार्मिक-सामाजिक कार्यों के लिए होता है।


DMK ने क्यों दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती ? मुसलमानों के अधिकारों पर चोट

DMK का कहना है कि यह कानून मुसलमानों के धार्मिक, सामाजिक और संपत्ति से जुड़े अधिकारों पर आघात करता है। पार्टी ने दावा किया कि नए कानून में केंद्र सरकार को अत्यधिक शक्तियां दी गई हैं, जिससे वक्फ बोर्ड और समुदाय की स्वायत्तता समाप्त हो जाएगी।

संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन

DMK ने अपने याचिका में यह भी कहा कि यह कानून भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 25, 26 और 29 का उल्लंघन करता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता, समानता और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करते हैं।


वक्फ संपत्ति विवादों पर पहले भी रही बहस ऐतिहासिक संदर्भ

भारत में वक्फ संपत्तियों पर लंबे समय से विवाद होते रहे हैं। कई बार स्थानीय प्रशासन और वक्फ बोर्ड के बीच अधिकारों को लेकर टकराव हुआ है। कई संपत्तियों पर अतिक्रमण, बेजा कब्जा और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं।

क्यों जरूरी है वक्फ बोर्ड की स्वतंत्रता ?

वक्फ बोर्ड एक संवैधानिक संस्था है जिसे मुस्लिम धार्मिक-सामाजिक गतिविधियों को स्वतंत्र रूप से संचालित करने की जिम्मेदारी दी गई है। यदि इस पर सरकार का अत्यधिक नियंत्रण हो जाए, तो इसका उपयोग राजनीतिक या गैर-धार्मिक उद्देश्यों के लिए हो सकता है।


अन्य विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया विपक्ष का साथ मिलने की संभावना

DMK की इस पहल का अन्य विपक्षी दलों द्वारा समर्थन मिलने की संभावना है। कांग्रेस, टीएमसी, आम आदमी पार्टी जैसे दल पहले भी अल्पसंख्यक अधिकारों के मुद्दे पर केंद्र सरकार की आलोचना कर चुके हैं।

केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया

सरकार की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, सरकार का मानना है कि यह कानून संपत्तियों के सही प्रबंधन और पारदर्शिता के उद्देश्य से लाया गया है।


धार्मिक समुदायों में चिंता मुस्लिम समुदाय की चिंता

भारत के कई मुस्लिम संगठनों ने इस कानून पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि इससे धार्मिक संस्थानों का संचालन प्रभावित होगा, और दान की गई संपत्तियों की उपयोगिता सीमित हो जाएगी।

सामूहिक विरोध की आशंका

अनेक मुस्लिम संगठनों और सामाजिक संस्थाओं ने चेतावनी दी है कि अगर इस कानून को वापस नहीं लिया गया तो वे देशव्यापी आंदोलन शुरू कर सकते हैं।


वक्फ संशोधन कानून 2025 पर राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक स्तर पर विवाद बढ़ता जा रहा है। DMK द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती से यह मुद्दा अब न्यायिक जांच के दायरे में आ गया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अदालत इस पर क्या रुख अपनाती है और क्या यह कानून मुसलमानों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है या नहीं।

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