टैरिफ विवाद पर एलन मस्क की ट्रंप से अपील हुई बेअसर, क्या था कारण ?
“टैरिफ युद्ध: एलन मस्क की ट्रंप से टैरिफ अपील क्यों असफल रही ? एलन मस्क की ट्रंप से टैरिफ अपील व्यापार जगत में बड़ी चर्चा का विषय रही है। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ युद्ध के असर को देखते हुए, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्यक्तिगत स्तर पर अपील की थी कि इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके पुर्जों पर लगने वाले भारी शुल्कों को हटाया जाए। लेकिन यह अपील नाकाम रही।”
क्या थी मस्क की अपील ?
एलन मस्क का तर्क था कि भारी टैरिफ के कारण अमेरिकी कंपनियां, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता जैसे टेस्ला, वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रही हैं। उन्होंने ट्रंप को सीधे सुझाव दिया कि टैरिफ कम किए जाएं या दोनों देशों के बीच अधिक संतुलित व्यापार नीति लागू की जाए।
टैरिफ युद्ध का पृष्ठभूमि
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध की शुरुआत 2018 में हुई थी। ट्रंप प्रशासन ने चीन पर सैकड़ों अरब डॉलर के टैरिफ लगा दिए थे। इसका उद्देश्य अमेरिकी बाजारों की रक्षा करना और चीन को व्यापार में अधिक पारदर्शिता के लिए मजबूर करना था।
चीन ने भी इसके जवाब में अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाए। इस प्रक्रिया में टेक कंपनियों, वाहन निर्माताओं और कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ।
मस्क क्यों हुए चिंतित ?
टेस्ला की कई प्रमुख सप्लाई चेन चीन से जुड़ी हुई हैं। बैटरियों से लेकर चिप्स और अन्य अहम पुर्जे चीन से आयात होते हैं। टैरिफ के कारण इन वस्तुओं की लागत बढ़ गई थी। इससे टेस्ला की उत्पादन लागत और प्राइसिंग प्रभावित हो रही थी।
एलन मस्क की ट्रंप से टैरिफ अपील इसी दबाव को कम करने के लिए की गई थी। लेकिन ट्रंप का नजरिया पूरी तरह अलग था।
ट्रंप की प्रतिक्रिया
ट्रंप ने मस्क की चिंता को समझने के बावजूद टैरिफ नीति में कोई ढील नहीं दी। उनका मानना था कि टैरिफ ही एकमात्र तरीका है जिससे चीन को अनुशासन में लाया जा सकता है। वे अमेरिकी उत्पादन को बढ़ावा देना चाहते थे और आयात को सीमित करना चाहते थे।
अपील नाकाम क्यों रही ?
- ट्रंप का ‘अमेरिका फर्स्ट’ दृष्टिकोण
- चीन के साथ जारी रणनीतिक दबाव
- घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने की नीति
- मस्क की अपील को निजी हित मानकर खारिज करना
इसका असर टेस्ला और अन्य कंपनियों पर
टैरिफ के चलते टेस्ला को कई बार अपने वाहनों की कीमतों में बदलाव करना पड़ा। इससे ग्राहकों में भ्रम की स्थिति बनी और बिक्री प्रभावित हुई।
अन्य कंपनियों जैसे एप्पल, जीएम, फोर्ड आदि पर भी इस व्यापार युद्ध का प्रतिकूल असर पड़ा। कंपनियों को वैकल्पिक सप्लाई चैन ढूंढनी पड़ी या कुछ मामलों में उत्पादन ही घटाना पड़ा।
मस्क की रणनीति में बदलाव
जब ट्रंप ने टैरिफ हटाने से इनकार कर दिया, तब मस्क ने अपनी रणनीति बदली। उन्होंने शंघाई में टेस्ला की गीगाफैक्ट्री खोलने का फैसला किया। इससे कंपनी को चीन में उत्पादन करने और स्थानीय स्तर पर बिक्री का लाभ मिला।
यह मस्क की ओर से एक स्मार्ट रणनीतिक बदलाव था ताकि कंपनी वैश्विक दबावों से बाहर निकल सके।
व्यापार युद्ध का व्यापक प्रभाव
एलन मस्क की ट्रंप से टैरिफ अपील एक उदाहरण थी कि कैसे निजी कंपनियों को सरकार की नीतियों से जूझना पड़ता है। इस टैरिफ युद्ध ने अमेरिकी और चीनी दोनों अर्थव्यवस्थाओं पर गहरा असर डाला।
ट्रेड वॉल्यूम में कमी, सप्लाई चेन में अड़चनें, उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ और निवेश में गिरावट इसके प्रमुख परिणाम रहे।
क्या अब भी टैरिफ नीति जारी है ?
हालांकि ट्रंप के बाद जो बाइडन प्रशासन ने कुछ क्षेत्रों में टैरिफ समीक्षा की है, लेकिन अधिकतर नीतियां अभी भी बरकरार हैं। व्यापार में संतुलन लाना और अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा देना अभी भी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है।
आगे का रास्ता क्या है ?
- सरकार और उद्योगों के बीच संवाद बढ़ाना चाहिए।
- लंबी अवधि की रणनीति बनानी चाहिए जिससे कंपनियों को स्थिरता मिले।
- चीन के साथ समझदारीपूर्ण व्यापार नीति अपनानी होगी।
समाधान की ओर कदम
टैरिफ नीति से उद्योगों पर प्रभाव पड़ता है, लेकिन यदि रणनीति संतुलित हो तो फायदे भी हो सकते हैं। एलन मस्क की ट्रंप से टैरिफ अपील भले ही असफल रही हो, लेकिन इससे यह स्पष्ट होता है कि बड़े उद्यमी भी सरकार की नीति के खिलाफ अकेले खड़े नहीं हो सकते।
