भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग पर जोर: राजनाथ सिंह ने की मालदीव के रक्षा मंत्री से मुलाकात
“भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को नई दिल्ली में मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद घासन मौमून के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करना और क्षेत्रीय स्थिरता एवं विकास के लिए मिलकर काम करना था।”
🤝 बैठक में किन मुद्दों पर चर्चा हुई?
राजनाथ सिंह ने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज्जू की हालिया भारत यात्रा का जिक्र करते हुए इसे द्विपक्षीय संबंधों को नई दिशा देने वाली यात्रा बताया। उन्होंने कहा कि भारत और मालदीव के संबंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भाषाई आधारों पर आधारित हैं। भारत की ‘पड़ोसी प्रथम नीति’ में मालदीव एक अहम हिस्सा है, जिसका मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देना है।
बैठक में निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की गई:
- संयुक्त सैन्य अभ्यास
- रक्षा उपकरणों की आपूर्ति
- प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन
- क्षमता निर्माण में सहयोग
राजनाथ सिंह ने भरोसा दिलाया कि भारत, मालदीव को हर संभव सहायता प्रदान करता रहेगा ताकि क्षमता निर्माण और विकास में उसे मदद मिले।
🌊 भारतीय महासागर क्षेत्र में भारत-मालदीव की संयुक्त भूमिका
रक्षा मंत्री ने भारतीय महासागर क्षेत्र में भारत और मालदीव की संयुक्त जिम्मेदारी को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि दोनों देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सागर’ (सभी के लिए सुरक्षा और विकास) ढांचे के तहत मिलकर काम कर रहे हैं। इसका उद्देश्य समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना और क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखना है।
🌐 मालदीव की रणनीतिक स्थिति क्यों है महत्वपूर्ण?
मालदीव, भारत के पश्चिमी तट के पास स्थित है और महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों पर इसकी उपस्थिति इसे रणनीतिक रूप से बेहद अहम बनाती है। मालदीव की भौगोलिक स्थिति और समुद्री व्यापार मार्गों पर इसकी पकड़ के कारण भारत के लिए यह देश सुरक्षा और आर्थिक दोनों दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है।
🏨 मालदीव की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान
मालदीव की अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग का प्रमुख योगदान है।
- सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में पर्यटन का हिस्सा लगभग 25% है।
- पर्यटन उद्योग के कारण मालदीव में रोजगार के बड़े अवसर पैदा होते हैं।
🇮🇳 भारत-मालदीव संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- भारत ने 1965 में मालदीव की स्वतंत्रता को मान्यता दी थी।
- दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और वाणिज्यिक संबंध हैं।
- भारत, मालदीव की क्षमता निर्माण और विकास परियोजनाओं में लगातार सहयोग करता रहा है।
भारत और मालदीव के बीच रक्षा और सामरिक सहयोग में बढ़ोतरी दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है। यह बैठक दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अहम कदम है। मालदीव की रणनीतिक स्थिति और भारत की ‘पड़ोसी प्रथम नीति’ के तहत यह सहयोग भविष्य में भी दोनों देशों के संबंधों को मजबूत करेगा।
