शिवराज सिंह चौहान का बड़ा कदम: नकली और घटिया उर्वरकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का बड़ा ऐलान: नकली और घटिया उर्वरकों पर चलेगा सख्त अभियान
“भारत सरकार के केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने देशभर में नकली और घटिया उर्वरकों की बढ़ती समस्या को गंभीरता से लेते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को विशेष निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने संबंधित मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर साफ कहा है कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए नकली और घटिया उर्वरकों के खिलाफ एक व्यापक और सख्त कार्रवाई की जाए। यह निर्देश विशेष रूप से उन क्षेत्रों में लागू होंगे जहां नकली उर्वरकों की बिक्री, सब्सिडी वाले उर्वरकों की कालाबाजारी और जैविक उत्पादों के साथ जबरन टैगिंग जैसे गैरकानूनी कार्य आम हो गए हैं।”
नकली और घटिया उर्वरक: एक राष्ट्रीय संकट
नकली और घटिया उर्वरक का मुद्दा केवल किसानों की उपज पर असर नहीं डालता बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक ढांचे को भी नुकसान पहुंचाता है। शिवराज सिंह चौहान ने इस बात को रेखांकित किया कि खेती हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, और किसानों को सही समय पर, सुलभ दरों पर गुणवत्तापूर्ण उर्वरक देना अत्यंत आवश्यक है।
कृषि मंत्री के प्रमुख निर्देश
1. राज्य स्तर पर निगरानी और नियंत्रण
राज्यों को कहा गया है कि वे उर्वरकों की उपलब्धता, वितरण और कीमतों पर सख्त निगरानी रखें। सब्सिडी वाले उर्वरकों की कालाबाजारी और डायवर्जन पर तुरंत रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
2. नियमित सैंपलिंग और परीक्षण
नकली और घटिया गुणवत्ता वाले उत्पादों की पहचान के लिए सभी राज्यों में उर्वरक सैंपलिंग और गुणवत्ता परीक्षण की नियमित प्रक्रिया को अपनाना अनिवार्य किया गया है।
3. जबरन टैगिंग पर रोक
परंपरागत उर्वरकों के साथ नैनो उर्वरक या बायो-स्टिमुलेंट उत्पादों की जबरन टैगिंग को अविलंब बंद करने के निर्देश दिए गए हैं।
4. कानूनी कार्रवाई और लाइसेंस रद्दीकरण
जो कंपनियां या व्यक्ति नकली उर्वरक बनाते या बेचते हैं, उनके खिलाफ लाइसेंस निरस्तीकरण, एफआईआर दर्ज करना और न्यायिक कार्यवाही सुनिश्चित करने को कहा गया है।
5. किसानों को जागरूक करना
राज्यों को निर्देशित किया गया है कि वे किसान समूहों को निगरानी प्रक्रिया में शामिल करें, और असली तथा नकली उत्पादों की पहचान करने के लिए जागरूकता अभियान चलाएं।
फर्टिलाइज़र कंट्रोल ऑर्डर 1985 की भूमिका
केंद्रीय मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि नकली और घटिया उर्वरकों की बिक्री पर पहले से ही फर्टिलाइज़र कंट्रोल ऑर्डर, 1985 के तहत रोक है, जो Essential Commodities Act, 1955 का हिस्सा है। अब इस कानून को और कड़ाई से लागू करने के लिए राज्यों को आगे बढ़ने की जरूरत है।
किसानों को क्यों मिलना चाहिए गुणवत्तापूर्ण उर्वरक
- अच्छी उपज के लिए
- मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए
- आर्थिक नुकसान से बचाव के लिए
- जैविक संतुलन बनाए रखने के लिए
नकली उर्वरकों के इस्तेमाल से किसानों की मेहनत बर्बाद होती है और उनका आर्थिक नुकसान होता है। इससे केवल फसल की गुणवत्ता नहीं घटती बल्कि भूमि की उपजाऊ शक्ति भी प्रभावित होती है।
राज्यव्यापी अभियान का आह्वान
श्री चौहान ने सभी मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया है कि वे उपरोक्त निर्देशों के अनुसार एक राज्यव्यापी अभियान प्रारंभ करें, जिससे नकली और घटिया गुणवत्ता वाले कृषि इनपुट्स की समस्या को जड़ से समाप्त किया जा सके।
उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकारें इस कार्य की नियमित निगरानी करेंगी, तो यह किसानों के हित में एक स्थायी समाधान सिद्ध होगा।
छोटे कदम, बड़ा असर: किसानों की भागीदारी आवश्यक
राज्य सरकारों को यह भी कहा गया है कि वे किसानों को निगरानी प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल करें। अगर किसान सही उत्पादों की पहचान कर सकें, तो नकली उत्पादों की बाजार में मौजूदगी काफी हद तक कम की जा सकती है।
“नकली और घटिया उर्वरकों के खिलाफ यह अभियान न केवल एक सरकारी पहल है, बल्कि यह भारत के किसानों के हितों की सुरक्षा की दिशा में एक मजबूत कदम है। यदि सभी संबंधित पक्ष एकजुट होकर इस दिशा में काम करें, तो आने वाले समय में किसानों को उनकी मेहनत का पूरा फल मिल सकेगा और देश की कृषि व्यवस्था और भी मजबूत होगी।”
