पश्चिम बंगाल में फर्जी पासपोर्ट रैकेट पर ईडी का बड़ा एक्शन, बांग्लादेशी घुसपैठियों को दिए जा रहे थे जाली दस्तावेज
पश्चिम बंगाल में फर्जी पासपोर्ट रैकेट का खुलासा, ईडी की छापेमारी में सामने आया हवाला और घुसपैठ का बड़ा नेटवर्क
"कोलकाता/नादिया, अप्रैल 2025:
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में एक बड़े फर्जी पासपोर्ट रैकेट के खिलाफ छापेमारी और तलाशी अभियान चलाया।
यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी नागरिकों के लिए जाली दस्तावेजों की आपूर्ति के एक संगठित नेटवर्क के खुलासे के बाद की गई।"
बांग्लादेशी घुसपैठियों को दिए जा रहे थे नकली दस्तावेज
ईडी की शुरुआती जांच के अनुसार, रैकेट भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों को नकली भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड और पहचान पत्र उपलब्ध करा रहा था। इसके एवज में घुसपैठियों से भारी धनराशि वसूली जा रही थी।
छापेमारी चकदाहा और कोलकाता में जारी
- छापेमारी मुख्य रूप से नादिया जिले के चकदाहा क्षेत्र में की गई।
- यह अभियान अभी जारी है और ईडी अधिकारियों ने छापे के सटीक विवरण और जब्त सामग्रियों की जानकारी फिलहाल साझा नहीं की है।
सूत्रों के अनुसार, रैकेट के सरगनाओं आलोक नाथ और आजाद मलिक के करीबी सहयोगियों के परिसरों पर छापा मारा गया है।
गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपी
आलोक नाथ
- नादिया जिले के गेडे स्थित कार्यालय से मंगलवार को गिरफ्तार
- गेडे भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा के समीप स्थित है
- आरोप: दस्तावेजों की अवैध आपूर्ति और हवाला लेनदेन में भूमिका
आजाद मलिक
- बांग्लादेश का नागरिक
- कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डे के पास स्थित किराए के घर से गिरफ्तार
- फर्जी दस्तावेजों के साथ भारत में रह रहा था
- साथ ही, हवाला नेटवर्क भी संचालित कर रहा था
हवाला से बांग्लादेश भेजे गए करोड़ों रुपये
ईडी की जांच में सामने आया कि आजाद मलिक ने 2024 में हवाला के ज़रिए ₹2.62 करोड़ रुपये भारत से बांग्लादेश भेजे। यह रकम फर्जी पासपोर्ट बनाने और दस्तावेजों की दलाली से प्राप्त की गई थी।
कोलकाता पुलिस का आरोप पत्र और खुलासे
इससे पहले कोलकाता पुलिस ने एक स्थानीय अदालत में एक आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें चौंकाने वाले खुलासे किए गए:
- 130 आरोपियों में से 120 बांग्लादेशी नागरिक हैं
- इन नागरिकों ने भारतीय पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया
- 10 भारतीय नागरिकों ने उन्हें यह दस्तावेज उपलब्ध कराने में मदद की
पुलिस अधिकारी की संलिप्तता भी उजागर
कोलकाता पुलिस ने पहले ही सेवानिवृत्त सहायक उप निरीक्षक (ASI) अब्दुल हई को गिरफ्तार किया था।
उस पर आरोप है कि उसने 52 मामलों में जाली दस्तावेजों की पुलिस सत्यापन रिपोर्ट को मंजूरी दी, जिससे उसे आर्थिक लाभ मिला।
सुरक्षा और पहचान तंत्र की कमजोरियों पर सवाल
इस मामले ने भारत की आंतरिक सुरक्षा, पहचान प्रमाणन प्रणाली और सीमा नियंत्रण प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए विदेशी नागरिकों का भारतीय नागरिक बन जाना और फिर हवाला के ज़रिए धन भेजना देश की आर्थिक और सुरक्षा संरचना को नुकसान पहुंचा सकता है।
ईडी और पुलिस के लिए आगे की राह
ईडी अब इस मामले को मनी लॉन्ड्रिंग, विदेशी नागरिक अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत विस्तृत जांच के लिए आगे बढ़ा रही है।
संभावना है कि आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां और दस्तावेज जब्त किए जाएंगे।
