जुलाई में घरेलू रसोई को राहत: थाली की कीमतों में 14% तक गिरावट, सब्जियों और दालों ने निभाई बड़ी भूमिका
क्रिसिल रिपोर्ट से घरेलू रसोई को राहत की खबर
"क्रिसिल की फूड प्लेट कॉस्ट मंथली रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई
2025 में भारतीय उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है। रिपोर्ट में बताया गया कि इस महीने शाकाहारी थाली की कीमत
14% और मांसाहारी थाली की कीमत
13% कम रही, जो घरेलू बजट के लिए अच्छी खबर है।"
सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट बनी मुख्य वजह
इस गिरावट का प्रमुख कारण सब्जियों की कीमतों में भारी कमी है, खासकर टमाटर, प्याज और आलू जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थों की दरों में।
- टमाटर की कीमत जुलाई 2024 में जहां ₹66 प्रति किलोग्राम थी, वहीं जुलाई 2025 में यह घटकर ₹42 प्रति किलोग्राम हो गई — यानी 36% की गिरावट।
- प्याज की कीमतों में 36% की गिरावट आई है। एक साल पहले के मुकाबले उत्पादन में 18-20% की वृद्धि ने इसकी दरें नीचे लाई हैं।
- आलू की कीमतें भी 30% तक गिरीं, क्योंकि 2024 में झुलसा रोग और मौसम से उत्पादन घटा था, जिससे अब उच्च उत्पादन के चलते दाम कम हुए हैं।
दालों और चावल की कीमतों में भी राहत
दालों की कीमतों में
14% की गिरावट आई है। यह गिरावट अधिक उत्पादन और पर्याप्त स्टॉक के कारण दर्ज की गई है।
4%
वहीं चावल की कीमतों में भी की गिरावट रही, जिससे थाली की कुल लागत और घट गई।
मांसाहारी थाली क्यों हुई सस्ती?
मांसाहारी थाली की लागत में
13% की गिरावट का मुख्य कारण ब्रॉयलर (चिकन) की कीमतों में
12% की गिरावट है। ब्रॉयलर का योगदान मांसाहारी थाली की कुल लागत में लगभग
50% होता है।
इसके अलावा, सब्जियों की कीमतों में आई गिरावट का असर मांसाहारी थाली पर भी पड़ा है, क्योंकि यह थाली भी सब्जियों पर काफी निर्भर होती है।
कहां नहीं मिली राहत?
हालांकि, अधिकांश खाद्य सामग्रियों की कीमतों में गिरावट रही, फिर भी कुछ वस्तुओं में वृद्धि देखी गई:
- वनस्पति तेल की कीमतों में 20% की वृद्धि हुई, भले ही कच्चे खाद्य तेलों पर बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) कम कर दी गई हो। इसका मुख्य कारण यह है कि BCD में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाया।
- एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में 6% की वृद्धि हुई है, जिसने कुल लागत में थोड़ी बढ़ोतरी की और थाली की कीमत में संभावित और गिरावट को सीमित कर दिया।
उच्च आधार प्रभाव का भी रहा असर
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कीमतों में यह गिरावट “उच्च आधार प्रभाव” के कारण भी देखने को मिली है। पिछले साल, यानी जुलाई-अगस्त
2024 में मौसम संबंधी कारणों से सब्जियों की कीमतों में असामान्य उछाल आया था, जिससे इस साल की तुलना में गिरावट अधिक दिख रही है।
खाद्य मुद्रास्फीति को काबू में रखने में मदद
जुलाई
2025 में देखी गई यह गिरावट खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में सहायक रही है। यह सरकार की उन नीतियों का भी परिणाम है, जो उत्पादन और सप्लाई चेन को सुचारू बनाए रखने पर केंद्रित हैं।
घर की रसोई पर क्या असर पड़ेगा?
- आम परिवारों का मासिक बजट कुछ हल्का होगा, क्योंकि थाली की कीमतें कम हुई हैं।
- दैनिक खर्च पर नियंत्रण आएगा, जिससे लोग अन्य ज़रूरी चीज़ों पर खर्च बढ़ा सकते हैं।
- शहरी और ग्रामीण दोनों वर्गों को इस गिरावट से लाभ होगा, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ खाद्य मुद्रास्फीति अधिक थी।
भविष्य की दिशा क्या हो सकती है?
अगर इस गिरावट का ट्रेंड अगले कुछ महीनों तक बना रहता है, तो यह भारतीय उपभोक्ताओं के लिए लंबी अवधि की राहत बन सकता है। साथ ही, अगर सरकार बीसीडी में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक जल्दी पहुंचाने में सफल होती है, तो तेल जैसी जरूरी वस्तुएं भी सस्ती हो सकती हैं।
"जुलाई
2025 में थाली की कीमतों में आई यह
14% तक की गिरावट, एक सकारात्मक संकेत है कि भारतीय खाद्य अर्थव्यवस्था स्थिर हो रही है और उत्पादन से लेकर सप्लाई तक, सभी स्तरों पर सुधार आ रहा है। हालांकि कुछ वस्तुओं की कीमतें अब भी बढ़ी हुई हैं, फिर भी कुल मिलाकर यह खबर घरेलू उपभोक्ताओं के लिए राहतभरी है।"