2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ेगा ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर्स का दबदबा, योगदान पहुंचेगा 5% तक
“भारत में तेजी से बढ़ रहे ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर्स (GCCs) अब केवल सपोर्ट ऑफिस नहीं रह गए हैं — ये देश की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा बनते जा रहे हैं। अनुमान है कि 2030 तक इन सेंटर्स का भारतीय GDP में योगदान 5% तक पहुंच सकता है।”
यह वृद्धि न केवल व्यापार और तकनीक के क्षेत्र में क्रांति ला रही है, बल्कि लाखों युवाओं के लिए नए रोजगार के अवसर भी खोल रही है।
🔍 ग्लोबल कैपेसिटी सेंटर्स (GCC) क्या होते हैं?
GCCs वे केंद्र होते हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भारत जैसे देशों में खोलती हैं। यहां पर वे टेक्नोलॉजी, डेटा एनालिटिक्स, AI, साइबर सुरक्षा, फाइनेंस, रिसर्च और डेवलपमेंट जैसे काम करती हैं।
पहले इन्हें “बैक ऑफिस” माना जाता था, लेकिन अब ये इनफॉर्मेशन इनोवेशन हब बन चुके हैं।
📊 मौजूदा स्थिति: भारत में GCCs की स्थिति
- भारत में 1,600+ GCCs हैं
- करीब 1.7 मिलियन लोग इनमें कार्यरत हैं
- हर साल यह संख्या तेजी से बढ़ रही है
- BFSI, हेल्थकेयर, रिटेल, मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ रही है
🧠 क्यों बढ़ रहा है GCCs का दबदबा?
1. टेक्नोलॉजी में भारत की बढ़त
भारत में डेटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग जैसे क्षेत्रों में तेज़ी से स्किल डेवलप हो रहे हैं।
2. मजबूत टैलेंट पूल
भारत के इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स और IT प्रोफेशनल्स की गुणवत्ता और मात्रा दुनियाभर में मशहूर है।
3. सरकार की डिजिटल पॉलिसी और इंफ्रास्ट्रक्चर
‘डिजिटल इंडिया’, ‘मेक इन इंडिया’, और GIFT सिटी जैसी योजनाएं GCCs को आकर्षित कर रही हैं।
4. लोअर ऑपरेशनल कॉस्ट
पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में संचालन लागत काफी कम होती है, जिससे निवेशक आकर्षित होते हैं।
📈 2030 तक 5% योगदान कैसे होगा संभव?
🚀 तेज़ विस्तार दर
विशेषज्ञों का मानना है कि GCC सेक्टर सालाना 10–12% की दर से बढ़ रहा है। इस ग्रोथ के साथ 2030 तक भारत की GDP में इनका योगदान 5% तक पहुंच सकता है।
💼 रोज़गार सृजन
2030 तक GCCs में 30 लाख से अधिक नौकरियों के अवसर पैदा हो सकते हैं, जो भारत की युवा आबादी के लिए बड़ा अवसर होगा।
🌐 इनोवेशन हब के रूप में उभरना
अब GCCs केवल प्रोसेसिंग ही नहीं, बल्कि स्ट्रैटेजिक इनोवेशन, प्रोडक्ट डिजाइन और ग्लोबल रिसर्च का भी केंद्र बन रहे हैं।
💬 विशेषज्ञों की राय
NASSCOM के अनुसार:
“GCCs अब केवल लागत-कटौती का साधन नहीं, बल्कि रणनीतिक ग्रोथ का स्तंभ बन चुके हैं।”
EY रिपोर्ट के मुताबिक:
“2030 तक भारत में लगभग हर बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी का कम से कम एक GCC ऑपरेशन होगा।”
🌎 भारत का ग्लोबल इकोनॉमिक रोल
भारत की भूमिका एक नॉलेज एंड इनोवेशन हब के रूप में बढ़ रही है। ग्लोबल कंपनियां अब भारत को केवल आउटसोर्सिंग हब नहीं, बल्कि बिज़नेस ट्रांसफॉर्मेशन सेंटर के रूप में देख रही हैं।
🧭 आने वाले अवसर
- नए शहरों में GCCs की स्थापना (जैसे इंदौर, कोच्चि, भुवनेश्वर)
- Tier-2 और Tier-3 शहरों में स्किल अपग्रेडेशन
- सरकारी सहयोग से इनोवेशन क्लस्टर्स का निर्माण
- स्टार्टअप्स और GCCs के बीच सहयोग बढ़ेगा
निष्कर्ष
2030 तक भारत का GCC इकोसिस्टम ना केवल आर्थिक दृष्टिकोण से, बल्कि तकनीकी, सामाजिक और व्यावसायिक पहलुओं से भी देश को मजबूत बनाएगा। यह एक ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है।
