दिल्ली में शुरू हुआ वैश्विक तकनीकी सम्मेलन 2025: 40 से अधिक देशों के विशेषज्ञ कर रहे नई तकनीक पर चर्चा
“वैश्विक तकनीकी सम्मेलन 2025: दिल्ली में तकनीकी विचारों का महासंगम नई दिल्ली में 10 से 12 अप्रैल के बीच आयोजित वैश्विक तकनीकी सम्मेलन 2025 एक महत्त्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मंच है, जहां दुनियाभर के तकनीकी विशेषज्ञ, नीति निर्माता और नवाचारकर्ता एक साथ आकर भविष्य की तकनीकों पर विचार साझा कर रहे हैं। इस वर्ष का सम्मेलन ‘तकनीक में संभावना’ विषय पर केंद्रित है, जो नवाचार और वैश्विक सहयोग की दिशा में भारत की मजबूत भूमिका को उजागर करता है।”
भारत का प्रमुख भू-प्रौद्योगिकी संवाद मंच
यह सम्मेलन भारत सरकार के विदेश मंत्रालय (MEA) और कार्नेगी इंडिया की साझेदारी में आयोजित किया जाता है। यह मंच भू-प्रौद्योगिकी से जुड़े विषयों पर वैश्विक स्तर पर नीति संवाद को दिशा देने का कार्य करता है। सम्मेलन के पहले दिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत तकनीकी बदलाव में अग्रणी भूमिका निभा रहा है और आने वाले वर्षों में यह भूमिका और भी सशक्त होगी।
150 से अधिक वक्ताओं की भागीदारी
इस सम्मेलन में अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, ब्राजील, यूएई, नाइजीरिया, फिलीपींस और यूरोपीय संघ जैसे देशों से 150 से अधिक तकनीकी विशेषज्ञ और नीति निर्माता भाग ले रहे हैं। वे मौजूदा तकनीकी संकटों, अवसरों और सहयोग के नए रास्तों पर मंथन कर रहे हैं।
40+ सत्रों में व्यापक तकनीकी मुद्दों पर चर्चा
तीन दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन में 40 से अधिक सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें शामिल हैं:
- एआई गवर्नेंस (AI Governance)
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (Digital Public Infrastructure)
- डेटा संरक्षण और गोपनीयता
- साइबर सुरक्षा (Cybersecurity)
- अंतरिक्ष सुरक्षा (Space Security)
- वैश्विक दक्षिण में तकनीकी सहयोग
इन विषयों पर गहन चर्चा की जा रही है, जिससे तकनीक की दुनिया को ज्यादा सुरक्षित, न्यायसंगत और टिकाऊ बनाया जा सके।
वैश्विक दक्षिण के लिए तकनीकी विकास की दिशा
सम्मेलन का एक बड़ा फोकस वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों के लिए तकनीकी सहयोग को मजबूत करने पर है। भारत की ‘डिजिटल इंडिया’ मुहिम और अन्य नवाचार कार्यक्रम अब दूसरे विकासशील देशों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं। इन सत्रों के माध्यम से यह विचार सामने आ रहा है कि तकनीक सिर्फ विकसित देशों के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए समान रूप से सुलभ होनी चाहिए।
एआई और जिम्मेदार नवाचार पर विशेष ध्यान
इस बार का सम्मेलन जिम्मेदार एआई (Responsible AI) को लेकर भी बेहद महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का विकास इस तरह होना चाहिए कि वह मानव मूल्यों और सुरक्षा के अनुरूप हो। एआई नीति निर्माण में पारदर्शिता और वैश्विक समन्वय की आवश्यकता पर भी बल दिया जा रहा है।
युवाओं की भागीदारी से उज्ज्वल भविष्य
GTS यंग एंबेसडर प्रोग्राम के माध्यम से सम्मेलन में भारत के विभिन्न हिस्सों से आए छात्र और युवा पेशेवरों को भी नीति संवाद में भाग लेने का अवसर दिया गया है। वे डिजिटल भविष्य, जिम्मेदार तकनीक, और वैश्विक तकनीकी मानदंडों पर विचार साझा कर रहे हैं। यह पहल युवा पीढ़ी को तकनीकी नीति निर्माण से जोड़ने की दिशा में अहम कदम है।
भारत की भूमिका और रणनीतिक दृष्टिकोण
भारत इस सम्मेलन के माध्यम से यह संदेश दे रहा है कि वह न केवल तकनीकी विकास में अग्रणी बनना चाहता है, बल्कि वह एक ऐसा साझेदार भी बनना चाहता है जो वैश्विक तकनीकी नीतियों के निर्माण में सहयोगी भूमिका निभाए। नीति विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि भारत को एक प्रगतिशील, समावेशी और रणनीतिक तकनीकी भागीदार के रूप में देखना चाहिए।
