स्वर्ण मुद्रीकरण योजना में बड़ा बदलाव: सरकार ने बंद की लंबी अवधि की जमा योजनाएं
“भारत सरकार ने स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (Gold Monetisation Scheme – GMS) में एक बड़ा और नीतिगत बदलाव करते हुए घोषणा की है कि 26 मार्च 2025 से मध्यम और दीर्घकालिक सरकारी जमा योजनाओं को बंद कर दिया जाएगा।“
इस फैसले से अब केवल 1 से 3 वर्ष की अल्पकालिक स्वर्ण जमा योजनाएं ही जारी रहेंगी, जिन्हें बैंक अपने स्तर पर पेश कर सकते हैं।
यह निर्णय बाजार की स्थितियों और योजना के प्रदर्शन की समीक्षा के बाद लिया गया है।
🔹 क्या है स्वर्ण मुद्रीकरण योजना (GMS)?
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना की शुरुआत 15 सितंबर 2015 को की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य था:
- देश में घरों, संस्थानों और ट्रस्टों द्वारा रखे गए निष्क्रिय सोने को आर्थिक रूप से उपयोगी बनाना
- सोने के आयात पर देश की निर्भरता को घटाना
- सोना रखने वालों को उस पर ब्याज कमाने का अवसर देना
- बैंकों को सोना जमा करवाकर उसे उधार या बिक्री के लिए उपयोग करने की अनुमति देना
🔹 योजना के तीन प्रमुख प्रकार
- अल्पकालिक बैंक जमा (STBD) – 1 से 3 वर्ष तक
- मध्यम अवधि सरकारी जमा (MTGD) – 5 से 7 वर्ष तक
- दीर्घकालिक सरकारी जमा (LTGD) – 12 से 15 वर्ष तक
अब सरकार ने दूसरे और तीसरे प्रकार के डिपॉजिट, यानी MTGD और LTGD को बंद करने का निर्णय लिया है।
🔹 26 मार्च 2025 से क्या होगा बंद?
- मध्यम और दीर्घकालिक स्वर्ण जमा योजना में नया निवेश स्वीकार नहीं किया जाएगा
- बैंक शाखाएं, कलेक्शन एंड प्योरिटी टेस्टिंग सेंटर (CPTC), या GMS मोबिलाइजेशन सेंटर कोई नया स्वर्ण डिपॉजिट स्वीकार नहीं करेंगे
- मौजूदा जमा योजना की शर्तों के अनुसार जारी रहेंगे और उनके परिपक्व होने पर रिडीम किए जा सकेंगे
🔹 अल्पकालिक स्वर्ण जमा (STBD) क्या जारी रहेंगी?
हां। सरकार ने स्पष्ट किया है कि:
- बैंकों को 1 से 3 वर्ष की अवधि वाली अल्पकालिक योजनाएं चालू रखने की छूट है
- ये योजनाएं बैंक की व्यावसायिक विवेक पर आधारित होंगी
- इन योजनाओं के लिए RBI के दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा
🔹 योजना के तहत कितना सोना जमा हुआ?
वित्त मंत्रालय के मुताबिक:
- नवंबर 2024 तक योजना के तहत करीब 31,164 किलोग्राम सोना जमा किया गया
- यह दिखाता है कि योजना को आंशिक सफलता मिली, लेकिन लंबी अवधि की योजनाएं अपेक्षित गति नहीं पकड़ सकीं
🔹 सोने में निवेश क्यों लोकप्रिय है?
भारत में सोना न केवल सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह:
- सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में देखा जाता है
- भू-राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता में स्थिरता प्रदान करता है
- 2025 में सोने की कीमत ने 16 बार रिकॉर्ड ऊंचाई छुई और 4 बार 3000 डॉलर प्रति औंस से ऊपर पहुंची
🔹 इस फैसले के पीछे कारण क्या हैं?
- बाजार की बदलती परिस्थितियाँ
- निवेशकों की प्राथमिकता में बदलाव
- दीर्घकालिक योजनाओं में रुचि कम
- कम प्रतिसाद
- STBD के मुकाबले MLTGD में कम भागीदारी देखी गई
- प्रशासनिक खर्च और संचालन में जटिलता
- लंबी अवधि के लिए संचालन और सोने की सुरक्षा चुनौतीपूर्ण
- सोने की वैश्विक कीमतों में उतार-चढ़ाव
- निवेशक शॉर्ट टर्म में अधिक लाभ चाहते हैं
🔹 इसका असर क्या होगा?
| पहलू | असर |
|---|---|
| निवेशक | दीर्घकालिक विकल्प बंद होने से विकल्प सीमित होंगे |
| बैंकिंग प्रणाली | फोकस अब अल्पकालिक डिपॉजिट पर रहेगा |
| सोने का बाजार | बाजार में ज्यादा सक्रियता देखने को मिल सकती है |
| सरकार की नीति | स्वर्ण भंडारण को नए रूप से डिजाइन किया जा सकता है |
🔹 निवेशकों के लिए सलाह
- जिनके पास MLTGD में मौजूदा निवेश हैं, वे घबराएं नहीं – आपकी जमा मियाद पूरी होने तक वैध रहेगी
- नए निवेशक केवल STBD विकल्प को चुन सकते हैं
- सोने में निवेश से पहले ब्याज दर, जोखिम और समयसीमा को ध्यान में रखें
- सोने की डिजिटल योजनाएं, जैसे SGB (Sovereign Gold Bonds), भी एक अच्छा विकल्प हो सकती हैं
🔹 आगे की राह
सरकार अब:
- डिजिटल गोल्ड या सोवरेन गोल्ड बॉन्ड्स जैसे विकल्पों पर ध्यान दे सकती है
- ज्वेलरी सेक्टर और MSME के लिए सोना आधारित ऋण योजनाओं पर काम कर सकती है
- ग्रामीण क्षेत्रों में सोने की वित्तीय उत्पादकता बढ़ाने के लिए नई पहल कर सकती है
निष्कर्ष
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना में यह बदलाव भारत सरकार की विकसित होती आर्थिक रणनीति को दर्शाता है। दीर्घकालिक योजनाओं को बंद करना एक नीतिगत निर्णय है, जो बाज़ार की मांग, निवेशक व्यवहार और परिचालन लागतों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
अब निवेशकों को सतर्क रहकर उचित विकल्प चुनने होंगे और सरकार को सोने की बेहतर वित्तीय उपयोगिता सुनिश्चित करनी होगी।
