हरियाणा: कुरुक्षेत्र में महायज्ञ के दौरान बवाल, पत्थरबाजी और फायरिंग
कुरुक्षेत्र, 22 मार्च 2025 — हरियाणा के पवित्र तीर्थस्थल कुरुक्षेत्र में आयोजित एक महायज्ञ के दौरान उस समय स्थिति बेकाबू हो गई जब दो गुटों के बीच तीखा विवाद हुआ और देखते ही देखते मामला पत्थरबाजी और फायरिंग तक पहुँच गया। यह घटना धार्मिक आस्था, प्रशासनिक चूक और सामाजिक तनाव के त्रिकोण में उलझती जा रही है।
घटना में कई लोग घायल हो गए हैं, जिनमें कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। पुलिस ने इलाके में धारा 144 लागू कर दी है और कई लोगों को हिरासत में लिया गया है। पूरा मामला अब राजनीतिक रंग भी लेता जा रहा है।
इस लेख में हम इस पूरी घटना का विस्तार से विश्लेषण करेंगे — पृष्ठभूमि, घटना का विवरण, घायल और गिरफ्तार लोगों की स्थिति, प्रशासन की कार्रवाई, स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया और इसके संभावित सामाजिक एवं राजनीतिक असर।
घटना की पृष्ठभूमि
कुरुक्षेत्र, जो कि महाभारत काल से जुड़ा एक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, वहाँ प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में धार्मिक आयोजनों का आयोजन होता है। इस वर्ष एक बड़े महायज्ञ का आयोजन एक स्थानीय संत और उनके समर्थकों द्वारा किया गया था। यह यज्ञ “धर्म रक्षा और समाज कल्याण” के उद्देश्य से आयोजित किया गया था और इसमें हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति की उम्मीद थी।
यज्ञ स्थल पर सुरक्षा के व्यापक इंतज़ाम किए गए थे, लेकिन इसके बावजूद कुछ सामाजिक संगठनों ने इस आयोजन पर आपत्ति जताई थी। उनका आरोप था कि आयोजक द्वारा स्थानीय समुदाय विशेष को निशाना बनाकर भाषणबाज़ी की जाती रही है और धार्मिक भावनाओं को भड़काया गया है।
यही असहमति, जो कई हफ्तों से दबी हुई थी, आखिरकार यज्ञ के दूसरे दिन खुले संघर्ष में बदल गई।
क्या हुआ यज्ञ के दिन?
21 मार्च की दोपहर करीब 1 बजे, जब यज्ञ के दूसरे चरण का आयोजन चल रहा था और मुख्य यज्ञाचार्य वेदपाठ कर रहे थे, तभी भीड़ में अचानक हलचल मच गई। एक गुट, जो यज्ञ स्थल के बाहर विरोध कर रहा था, ने नारेबाज़ी शुरू कर दी। स्थिति को देखते हुए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर उन्हें हटाने की कोशिश की, लेकिन तभी पत्थरबाजी शुरू हो गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, “पहले कुछ लोग यज्ञ पंडाल की ओर बढ़े और मंच पर चढ़ने की कोशिश की। आयोजकों के स्वयंसेवकों ने उन्हें रोका, जिसके बाद दोनों पक्षों में मारपीट और फिर पत्थरबाजी शुरू हो गई।”
कुछ ही मिनटों में पथराव इतना उग्र हो गया कि यज्ञ स्थल के पास लगे पंडाल और कुर्सियाँ टूटने लगीं। आगजनी की भी घटनाएं सामने आईं। पुलिस के अनुसार फायरिंग भी की गई, जिसमें तीन लोग घायल हुए। हालाँकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि गोली किसने चलाई।
घायलों की स्थिति
अब तक मिली जानकारी के अनुसार:
- 12 लोग घायल हुए हैं, जिनमें 3 को गोली लगी है।
- 2 पुलिसकर्मी भी चोटिल हुए हैं जब वे हालात काबू में लाने की कोशिश कर रहे थे।
- घायलों को कुरुक्षेत्र के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि गंभीर रूप से घायलों को चंडीगढ़ रेफर किया गया है।
डॉक्टरों के अनुसार गोली लगे लोगों में से एक की हालत बेहद गंभीर है और उसका ऑपरेशन चल रहा है।
प्रशासन की कार्रवाई
जैसे ही स्थिति बिगड़ी, कुरुक्षेत्र प्रशासन हरकत में आ गया। जिले के डीसी और एसपी तुरंत मौके पर पहुंचे और बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। एंटी-रायट दस्ता और ड्रोन कैमरों से निगरानी शुरू कर दी गई।
प्रशासन ने तुरंत:
- धारा 144 लागू की (भीड़ जुटने पर रोक)
- इंटरनेट सेवाएँ कुछ घंटों के लिए बंद की
- 30 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया
- पूरे इलाके में फ्लैग मार्च करवाया गया
कुरुक्षेत्र के जिला अधिकारी मनीष यादव ने प्रेस को बताया:
“हम किसी को भी कानून हाथ में लेने नहीं देंगे। स्थिति अब नियंत्रण में है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, चाहे वे किसी भी पक्ष से हों।“
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: एक और बहाना टकराव का?
घटना के तुरंत बाद यह मामला राजनीतिक रंग भी लेने लगा। विभिन्न दलों ने अपने-अपने हिसाब से बयान देना शुरू कर दिया।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा:
“यह घटना राज्य सरकार की प्रशासनिक विफलता का परिणाम है। धार्मिक आयोजन में हिंसा की घटना शर्मनाक है। दोषियों पर तुरंत कार्रवाई हो।”
कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा:
“हरियाणा में सामाजिक ताना–बाना बिगड़ रहा है। सरकार सिर्फ बयानबाज़ी कर रही है, ज़मीन पर शांति बनाए रखने में असफल है।”
आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया:
“सरकार को पहले से जानकारी थी कि तनाव बढ़ रहा है, फिर भी सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम नहीं किए गए। इसका जिम्मेदार कौन?”
इन बयानों से स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में यह घटना केवल कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि चुनावी हथियार भी बन सकती है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
घटना के बाद स्थानीय जनता में भय और आक्रोश दोनों है। कई लोगों का कहना है कि धार्मिक आयोजन में हिंसा एक बेहद चिंताजनक संकेत है।
रमेश चौहान (स्थानीय दुकानदार) ने कहा:
“हम यज्ञ में सेवा कर रहे थे। अचानक पत्थर उड़ने लगे, लोग इधर–उधर भागने लगे। हम तो सोच भी नहीं सकते थे कि ऐसा कुछ होगा।”
नसीम अहमद (स्थानीय निवासी) ने कहा:
“हर बार कोई न कोई विवाद खड़ा किया जाता है। सरकार और प्रशासन को ऐसे आयोजनों की निगरानी पहले से करनी चाहिए।”
सोशल मीडिया पर उबाल
जैसे ही खबर वायरल हुई, सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। दो स्पष्ट गुटों में लोग बंटे दिखे — एक पक्ष आयोजकों के समर्थन में, तो दूसरा पक्ष इसे ‘धार्मिक कट्टरता’ और ‘सामाजिक ध्रुवीकरण’ का परिणाम बता रहा है।
कुछ पोस्ट्स में घटना को “पूर्व-नियोजित” बताया जा रहा है, जबकि कुछ इसे “पुलिस की विफलता” कह रहे हैं। वीडियो फुटेज भी सामने आए हैं जिनमें पथराव और भगदड़ के दृश्य देखे जा सकते हैं।
धार्मिक आयोजनों पर निगरानी: अब ज़रूरी?
यह पहली बार नहीं है जब धार्मिक आयोजनों में बवाल हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जब:
- धार्मिक जुलूसों में झड़पें हुईं
- मंदिर या दरगाह के कार्यक्रमों में टकराव हुआ
- सोशल मीडिया के ज़रिए तनाव फैलाया गया
विशेषज्ञ मानते हैं कि अब समय आ गया है कि हर बड़े धार्मिक आयोजन की अनुमति देने से पहले प्रशासनिक मूल्यांकन हो, खुफिया रिपोर्ट पर गौर किया जाए और विशेष निगरानी रखी जाए।
क्या कहती है पुलिस?
कुरुक्षेत्र के पुलिस अधीक्षक विशाल कौशिक ने बयान दिया:
“हम जांच कर रहे हैं कि किस पक्ष ने हिंसा शुरू की। सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल वीडियो खंगाले जा रहे हैं। फिलहाल 30 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है और उनसे पूछताछ जारी है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फायरिंग किसने की, इस पर अभी पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन फॉरेंसिक टीम मौके से गोलियों के खोखे और हथियारों के सुराग इकट्ठा कर रही है।
आगे की दिशा: क्या शांति लौटेगी?
प्रशासन की कोशिश है कि जल्द से जल्द स्थिति सामान्य हो, लेकिन लोगों के मन में डर और असंतोष अभी भी बना हुआ है। आयोजकों ने यज्ञ को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता और पंचायतें शांति बहाल करने के लिए बैठकें कर रही हैं।
कुरुक्षेत्र प्रशासन ने अगले तीन दिनों तक धार्मिक या राजनीतिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया है।
निष्कर्ष: धर्म के नाम पर हिंसा, एक और शर्मनाक अध्याय
कुरुक्षेत्र जैसे पवित्र स्थान पर, जहाँ श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म का उपदेश दिया था, वहीं आज धर्म के नाम पर पत्थरबाजी और फायरिंग होना भारतीय समाज के लिए एक चिंताजनक संकेत है। इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं:
- क्या धार्मिक आयोजन अब भी सौहार्द के प्रतीक हैं?
- क्या राजनीति इन आयोजनों का उपयोग अपने हितों के लिए कर रही है?
- क्या प्रशासनिक तंत्र इन संवेदनशील मौकों पर तैयार नहीं होता?
ये सवाल सिर्फ हरियाणा के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रासंगिक हैं। अब ज़रूरत है कि समाज, सरकार और संत वर्ग मिलकर सोचें कि धर्म को जोड़ने का माध्यम बनाना है या तोड़ने का?