टीबी से लड़ाई में पोषण की ताकत: ICMR अध्ययन को WHO की वैश्विक मान्यता
टीबी नियंत्रण की कुंजी है पोषण, आईसीएमआर के अध्ययन को WHO ने दी वैश्विक मान्यता
“भारत ने वैश्विक स्वास्थ्य नीति में अपनी मजबूत भूमिका को एक बार फिर साबित किया है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा किए गए एक महत्वपूर्ण अध्ययन ने दिखाया कि पोषण सहायता टीबी (क्षयरोग) की रोकथाम में अत्यधिक प्रभावी हो सकती है। इस शोध को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मान्यता देते हुए अपनी वैश्विक टीबी नियंत्रण गाइडलाइन में शामिल किया है। यह न केवल भारत के लिए गौरव की बात है बल्कि दुनिया के लिए भी टीबी नियंत्रण की दिशा में एक नया मॉडल पेश करता है।”
झारखंड में हुआ अध्ययन
आईसीएमआर ने यह अध्ययन झारखंड के चार जिलों में किया। इसमें राष्ट्रीय क्षयरोग उन्मूलन कार्यक्रम
(NTEP) की
28 यूनिट्स से जुड़े लगभग
2800 मरीजों और उनके परिवारों को शामिल किया गया। अध्ययन का मुख्य उद्देश्य यह समझना था कि पोषण का असर केवल मरीज पर ही नहीं, बल्कि उसके पूरे परिवार पर टीबी संक्रमण को कम करने में कितना सहायक है।
द लैंसेट में प्रकाशित
यह दुनिया का पहला रैंडमाइज्ड ट्रायल है, जिसे प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित किया गया। शोध से पता चला कि पोषण सहयोग मिलने से परिवार के अन्य लोगों में टीबी संक्रमण के मामलों में
39-48 प्रतिशत तक कमी आई। यह अध्ययन दो वर्षों तक प्रतिभागियों के लगातार फॉलो-अप के बाद पूरा हुआ।
अध्ययन की प्रक्रिया
- मरीजों को 6 महीने तक प्रतिदिन 1200 किलो कैलोरी और 52 ग्राम प्रोटीन के साथ सूक्ष्म पोषक तत्व दिए गए।
- हस्तक्षेप समूह (Intervention Group) में मरीजों के परिवारों को भी हर महीने 750 किलो कैलोरी और 23 ग्राम प्रोटीन के साथ सूक्ष्म पोषक तत्व दिए गए।
- नियंत्रण समूह (Control Group) में केवल मरीजों को ही पोषण सहयोग मिला।
- सभी प्रतिभागियों की जांच शुरुआत में और फिर 31 जुलाई 2022 तक नियमित रूप से की गई।
परिणाम और तकनीकी विश्लेषण
परिणामों की पुष्टि स्वतंत्र मेडिकल टीम ने की। अध्ययन में
Cox Proportional Hazards Model और
Poisson Regression जैसी उन्नत सांख्यिकीय तकनीकों का उपयोग किया गया। इससे जोखिम अनुपात
(Hazard Ratios), समायोजित जोखिम अनुपात
(aHRs) और प्रसार दर अनुपात
(IRRs) निकाले गए।
WHO की मान्यता
WHO ने इस अध्ययन को “लैंडमार्क स्टडी” कहा और माना कि यह “बायोसोशल इंटरवेंशन” उन देशों के लिए बेहद अहम है, जहां टीबी और कुपोषण दोनों बड़ी चुनौतियां हैं। WHO का मानना है कि यह अध्ययन न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए टीबी नियंत्रण रणनीति का नया रास्ता दिखा सकता है।
भारत के लिए महत्व
भारत लंबे समय से टीबी मुक्त भारत
2025 का लक्ष्य लेकर काम कर रहा है। आईसीएमआर का यह अध्ययन इस लक्ष्य को और मजबूत करता है। यह स्पष्ट करता है कि केवल दवाइयों पर निर्भर रहने की बजाय पोषण और सामाजिक सहयोग भी बीमारी की रोकथाम में उतना ही महत्वपूर्ण है।
वैश्विक प्रभाव
यह अध्ययन उन सभी देशों के लिए उपयोगी है, जहां गरीबी, कुपोषण और टीबी एक साथ बड़ी समस्या बने हुए हैं। अफ्रीका और एशिया के कई देशों में यह मॉडल टीबी उन्मूलन की प्रक्रिया को तेज कर सकता है।