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पश्चिम बंगाल के फुलिया में आईआईएचटी का नया परिसर उद्घाटन, हथकरघा बुनकरों के बच्चों को मिलेगा बेहतर शिक्षा का अवसर

केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने रविवार को पश्चिम बंगाल के नादिया जिले के फुलिया में भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान (IIHT) के नए परिसर का उद्घाटन किया। यह संस्थान पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और सिक्किम के छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकी शिक्षा प्रदान करेगा।

इस नए परिसर का निर्माण 5.38 एकड़ भूमि पर अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके किया गया है। इस परियोजना पर 75.95 करोड़ रुपये की लागत आई है। उद्घाटन समारोह के दौरान केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की कि संस्थान में प्रवेश के लिए सीटों की संख्या मौजूदा 33 से बढ़ाकर 66 की जाएगी।

इस अवसर पर सभी 6 केंद्रीय IIHT के लिए एकीकृत वेबसाइट का भी शुभारंभ किया गया। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री ने “जैक्वार्ड बुनाई के लिए कंप्यूटर-सहायता प्राप्त फीगर्ड ग्राफ डिजाइनिंग” नामक पुस्तक का विमोचन किया।

गिरिराज सिंह ने अपने भाषण में कहा कि इस संस्थान से हथकरघा बुनकरों के बच्चों को अपने कौशल को बेहतर बनाने का अवसर मिलेगा। यह संस्थान फ्लैक्स और लिनन जैसे कच्चे माल का उपयोग करके वस्त्र मूल्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण योगदान देगा। इसके लिए कोलकाता स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT) से डिजाइन संबंधी जानकारी साझा की जाएगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल की हथकरघा बुनाई का समृद्ध इतिहास रहा है। उन्होंने बताया कि औद्योगिक क्रांति से पहले बंगाल के हथकरघा उत्पादों की मांग मैनचेस्टर के कपड़ों से भी अधिक थी। उन्होंने कहा कि बंगाल के हथकरघा वस्‍त्र इतने बारीक होते थे कि एक साड़ी को एक अंगूठी के अंदर से गुजारा जा सकता था।

गिरिराज सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक भारतीय वस्त्र उद्योग का बाजार आकार 300 बिलियन डॉलर तक पहुंचाया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि इस क्षेत्र में 6 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करने की योजना है।‘

गिरिराज सिंह ने कहा, “यह भवन केवल एक इमारत नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जहां से हथकरघा बुनकरों के बच्चे अपने सपनों को साकार कर सकते हैं। छात्रों को उच्च कौशल प्रदान करके हथकरघा शिल्प को टिकाऊ बनाया जाएगा और इसे वैश्विक पहचान मिलेगी। यह सादगी, परंपरा और प्रौद्योगिकी का संगम है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने की दिशा में एक संयुक्त कदम है।”

  • हथकरघा बुनकरों के बच्चों को बेहतर शिक्षा और कौशल विकास का अवसर।
  • पश्चिम बंगाल के साथ-साथ बिहार, झारखंड और सिक्किम के छात्रों की शैक्षिक जरूरतों को पूरा करना।
  • वस्त्र क्षेत्र में नवाचार और डिजाइन को बढ़ावा देना।
  • देश की समृद्ध हथकरघा विरासत को पुनर्जीवित करना और इसे वैश्विक पहचान दिलाना।

फुलिया में आईआईएचटी का नया परिसर न केवल छात्रों के लिए बेहतर शिक्षा का अवसर प्रदान करेगा, बल्कि यह हथकरघा उद्योग को भी नई दिशा देगा। यह पहल आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूत करेगी और देश के हस्तशिल्प उद्योग को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक होगी।

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सुनील शर्मा

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