लोकसभा में पारित नया आयकर विधेयक 2025 और कराधान संशोधन विधेयक: कर प्रणाली में बड़े बदलाव
लोकसभा में दो अहम वित्तीय विधेयक पारित
“मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में सोमवार को विपक्षी सदस्यों के विरोध और नारेबाजी के बीच दो महत्वपूर्ण वित्तीय विधेयक पारित किए गए —
- आयकर विधेयक, 2025
- कराधान कानून (संशोधन) विधेयक, 2025
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दोनों विधेयक सदन में पेश किए और इन्हें पारित करने का आग्रह किया। शाम 4 बजे की कार्यवाही में दोनों विधेयक ध्वनिमत से पारित हो गए।”
आयकर विधेयक 2025: छह दशक पुराने कानून की जगह
आयकर विधेयक,
2025 आयकर अधिनियम,
1961 की जगह लेगा, जो पिछले लगभग 63 साल से लागू था।
- इसमें संसदीय चयन समिति (अध्यक्ष: भाजपा सांसद बैजयंत पांडा) की 285 से अधिक सिफारिशें शामिल हैं।
- कानून की भाषा को सरल और आधुनिक बनाया गया है।
- कटौतियों को स्पष्ट किया गया है और विभिन्न प्रावधानों के बीच क्रॉस-रेफरेंसिंग को मजबूत किया गया है।
मकान संपत्ति से जुड़ी स्पष्टता
नए विधेयक में मकान संपत्ति से होने वाली आय के मामलों में विशेष स्पष्टता दी गई है:
- मानक कटौती से जुड़े प्रावधान
- होम लोन पर प्री-कंस्ट्रक्शन ब्याज के नियम
- ‘पूंजीगत संपत्ति’, ‘लघु और छोटे उद्यम’ और ‘लाभार्थी स्वामी’ जैसे शब्दों की परिभाषाएं
पेंशन और अनुसंधान खर्च का समान कर उपचार
विधेयक में:
- पेंशन योगदान
- वैज्ञानिक अनुसंधान व्यय
दोनों के कर उपचार को एकसमान किया गया है, ताकि अलग-अलग क्षेत्रों में निवेश और अनुसंधान को प्रोत्साहन मिले।
लागू होने की तारीख:
1 अप्रैल
2026 से यह नया कानून प्रभावी होगा।
कराधान कानून (संशोधन) विधेयक 2025
इस विधेयक में लक्षित सुधार किए गए हैं, जिनका उद्देश्य मौजूदा कर कानून में लचीलापन और स्पष्टता लाना है।
प्रमुख प्रावधान:
- एकीकृत पेंशन योजना (UPS) के ग्राहकों को कर छूट
- अब UPS के लाभ राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) के बराबर होंगे।
- विदेशी निवेश को प्रोत्साहन
- सऊदी अरब के पब्लिक इनवेस्टमेंट फंड और उसकी सहायक कंपनियों को आयकर अधिनियम की धारा 10(23FE) के तहत प्रत्यक्ष कर छूट।
- ब्लॉक असेसमेंट में सुधार
- आयकर खोज मामलों में चल रहे असेसमेंट और री-असेसमेंट की प्रक्रियाओं को सरल और तेज बनाया गया है।
- तलाशी अभियान के दौरान समय पर और पारदर्शी निपटान का प्रावधान।
कर ढांचे के आधुनिकीकरण की दिशा में कदम
सरकार का मानना है कि ये दोनों विधेयक भारत की कर प्रणाली को आधुनिक और निवेशक-हितैषी बनाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
मुख्य फायदे:
- कर कानून की जटिलता में कमी
- निवेशकों और करदाताओं के लिए स्पष्टता
- विदेशी निवेश के लिए अनुकूल माहौल
- कर प्रशासन में पारदर्शिता और दक्षता
विपक्ष का विरोध
हालांकि विपक्ष ने इन विधेयकों पर चर्चा के दौरान विरोध और नारेबाजी की, लेकिन संख्याबल में कमी के कारण ये ध्वनिमत से पारित हो गए। विपक्ष का कहना था कि इन विधेयकों पर पर्याप्त बहस नहीं हुई और कई प्रावधानों को और स्पष्ट करने की आवश्यकता थी।
“आयकर विधेयक 2025 और कराधान कानून (संशोधन) विधेयक 2025 का पारित होना भारतीय कर व्यवस्था में एक ऐतिहासिक बदलाव है। यह न केवल कर कानून को सरल बनाएगा, बल्कि निवेश, पेंशन और विदेशी फंडिंग जैसे क्षेत्रों में भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा। सरकार को उम्मीद है कि 1 अप्रैल 2026 से लागू होने वाले इन प्रावधानों से कर संग्रह, अनुपालन और आर्थिक विकास में तेजी आएगी।”1