भारत-चीन संबंध: यूएन महासचिव ने द्विपक्षीय कूटनीतिक प्रयासों का किया स्वागत
” संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत और चीन के बीच बढ़ते कूटनीतिक संवाद और समझौतों के प्रयासों का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह पहल दोनों देशों के बीच तनाव कम करने और शांति स्थापित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।”
भारत-चीन संबंधों की पृष्ठभूमि
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लंबे समय से तनाव बना हुआ है। दोनों देशों ने हाल के वर्षों में सीमा विवाद को लेकर कई दौर की वार्ताएं की हैं। हालांकि, कूटनीतिक संवाद और सैन्य स्तर की बैठकों के माध्यम से इस तनाव को कम करने के प्रयास लगातार जारी हैं।
यूएन महासचिव का बयान
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अपने बयान में कहा:
“भारत और चीन जैसे बड़े और प्रभावशाली देशों के बीच कूटनीतिक संवाद का जारी रहना वैश्विक स्थिरता और विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। संयुक्त राष्ट्र इन शांति प्रयासों का समर्थन करता है और आशा करता है कि दोनों देश अपने मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएंगे।”
कूटनीतिक प्रयासों पर जोर
भारत और चीन दोनों देशों ने हाल ही में सीमा विवाद के समाधान के लिए आपसी संवाद और समझ को प्राथमिकता देने की बात कही है। कूटनीतिक बैठकों में मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
- सीमा विवाद का हल शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से निकालना।
- वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति और स्थिरता बनाए रखना।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना।
वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण कदम
यूएन चीफ ने कहा कि भारत और चीन के बीच अच्छे संबंध केवल द्विपक्षीय लाभ तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि यह वैश्विक शांति और आर्थिक स्थिरता के लिए भी फायदेमंद साबित होंगे। उन्होंने उम्मीद जताई कि इन प्रयासों से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तनाव कम होगा और सामंजस्यपूर्ण विकास को बढ़ावा मिलेगा।
दोनों देशों की प्रतिक्रिया
- भारत: भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से सभी मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है और क्षेत्र में स्थिरता चाहता है।
- चीन: चीन ने भी कहा कि दोनों देशों को “विकास सहयोग और संवाद” के जरिए शांति बनाए रखनी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय महत्व
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत और चीन के बीच तनाव में कमी से वैश्विक व्यापार, आर्थिक विकास और रणनीतिक स्थिरता को फायदा होगा। साथ ही, इससे अन्य देशों को भी सकारात्मक संदेश जाएगा कि विवादों का हल शांतिपूर्ण संवाद से संभव है।