भारत में विश्व की 60% जंगली हाथी आबादी, संरक्षण में अग्रणी: कीर्ति वर्धन सिंह
भारत में विश्व की 60% जंगली हाथी आबादी, संरक्षण में अग्रणी: कीर्ति वर्धन सिंह
“तमिलनाडु के कोयंबटूर में आयोजित विश्व हाथी दिवस 2025 समारोह का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने भारत की हाथी संरक्षण में वैश्विक नेतृत्व की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि देश में विश्व की लगभग 60% जंगली हाथी आबादी निवास करती है, जिससे यह संरक्षण के क्षेत्र में अग्रणी बन गया है।”
पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक का संगम
अपने संबोधन में मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत हाथियों के आवास संरक्षण के लिए एआई, रिमोट सेंसिंग, भू-स्थानिक मानचित्रण जैसी उन्नत तकनीकों को पारंपरिक ज्ञान के साथ जोड़ रहा है। उद्देश्य है – हाथियों के लिए एक स्थायी और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करना।
उन्होंने मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के लिए सामुदायिक भागीदारी, बहु-क्षेत्रीय सहयोग और वैज्ञानिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
कानूनी सुरक्षा और सांस्कृतिक सम्मान
कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि भारत में 33 हाथी अभयारण्य, 150 वैज्ञानिक रूप से चिन्हित गलियारे और कानूनी सुरक्षा व्यवस्था है। यह सब हाथियों के साथ सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को संभव बनाता है।
हाथी भारत के राष्ट्रीय धरोहर पशु हैं और धार्मिक व सांस्कृतिक परंपराओं में उनका गहरा स्थान है—भीमबेटका की प्राचीन गुफाओं से लेकर दक्षिण भारत के मंदिरों तक, वे शक्ति, बुद्धिमत्ता और सौभाग्य के प्रतीक हैं।
तमिलनाडु की भूमिका
जैव विविधता से समृद्ध तमिलनाडु में हाथियों की बड़ी आबादी रहती है और यह राज्य मानव-हाथी संघर्ष कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
गज गौरव पुरस्कार और नई पहल
समारोह में हाथी संरक्षण में उत्कृष्ट योगदान देने वालों को गज गौरव पुरस्कार प्रदान किए गए, जिनमें अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के महावत, सहायक महावत और वन कर्मी शामिल थे।
एक विशेष दस्तावेज़ “स्वस्थ पैर, स्वस्थ हाथी” भी जारी किया गया, जो बंदी हाथियों के पैरों की देखभाल, स्वच्छता, निवारक उपाय और शीघ्र जांच के बारे में मार्गदर्शन देता है।
राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान
कार्यक्रम में एक राष्ट्रव्यापी हाथी संरक्षण जागरूकता अभियान की शुरुआत की गई, जिसमें लगभग 5,000 स्कूलों के करीब 12 लाख छात्र शामिल हुए। इस पहल का उद्देश्य मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलित और सामंजस्यपूर्ण संबंध स्थापित करना है।
