भारत का पहला स्वदेशी मलेरिया वैक्सीन – मलेरिया उन्मूलन में बड़ी कामयाबी
भारत का पहला स्वदेशी मलेरिया वैक्सीन: नई उम्मीद की शुरुआत
“भारत का पहला स्वदेशी मलेरिया वैक्सीन अब तैयार हो चुका है, जो देश के मलेरिया उन्मूलन अभियान को नई गति देगा। यह सफलता सिर्फ एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह वैक्सीन न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि समुदाय स्तर पर संक्रमण के प्रसार को भी रोकने की क्षमता रखता है।”
ICMR की अगुवाई में हुआ वैक्सीन का निर्माण
इस टीके को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (
ICMR) और भुवनेश्वर स्थित क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र (
RMRC) ने मिलकर विकसित किया है। मलेरिया परजीवी प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम के खिलाफ प्रभावी यह टीका एडफाल्सीवैक्स नाम से पहचाना जा रहा है।
एडफाल्सीवैक्स: कैसे करता है काम
- यह टीका रक्त में संक्रमण पहुंचने से पहले ही मलेरिया परजीवी को निष्क्रिय कर देता है।
- साथ ही यह ट्रांसमिशन-ब्लॉकिंग प्रभाव भी डालता है यानी संक्रमित व्यक्ति से दूसरों में रोग फैलने से रोकता है।
- इससे वैक्सीनेशन के माध्यम से समुदाय स्तर पर रोग को रोका जा सकता है।
वैक्सीन निर्माण में इस्तेमाल हुआ लैक्टोकोकस लैक्टिस
इस टीके के उत्पादन में लैक्टोकोकस लैक्टिस नामक जीवाणु का प्रयोग किया गया है, जो कि छाछ और पनीर जैसे डेयरी उत्पादों में भी प्रयोग होता है। यह जीवाणु सुरक्षित और व्यापक रूप से प्रयोग में लाया गया है, जिससे इस वैक्सीन को बनाने की प्रक्रिया भी सस्ती और व्यावहारिक हो गई है।
मौजूदा मलेरिया टीकों से कैसे है अलग
विशेषता | भारत का स्वदेशी टीका | RTS,S/RT21 (वैश्विक) |
---|---|---|
निर्माण स्थान | भारत | ऑक्सफोर्ड, WHO |
लागत | कम, स्वदेशी | ₹800 प्रति खुराक |
प्रभाव | पूर्व रक्त चरण + ट्रांसमिशन रोकथाम | आंशिक प्रभाव (33-67%) |
उपयोग में सरल | हां | सीमित देशों में |
पूर्व-नैदानिक परीक्षण में मिला सफल परिणाम
राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान संस्थान (
NIMR) और राष्ट्रीय प्रतिरक्षा विज्ञान संस्थान (
NII) के साथ मिलकर हुए परीक्षणों में यह पाया गया कि यह टीका संक्रमण के खिलाफ शक्तिशाली एंटीबॉडी बनाता है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और मलेरिया परजीवी को शरीर में प्रवेश करने से रोकता है।
वैश्विक मलेरिया आंकड़ों की रोशनी में भारत की भूमिका
- 2023 में 260 मिलियन मलेरिया केस वैश्विक स्तर पर सामने आए।
- इनमें से लगभग 50% दक्षिण-पूर्व एशिया से थे, और भारत सबसे प्रभावित देशों में शामिल रहा।
- भारत का यह वैक्सीन न केवल घरेलू जनसंख्या के लिए बल्कि ग्लोबल मलेरिया एलिमिनेशन अभियान में भी सहायक होगा।
ICMR और सरकार की रणनीति: उत्पादन से वितरण तक
आईसीएमआर ने वैक्सीन के तेज़ उत्पादन और वितरण के लिए निजी कंपनियों से साझेदारी शुरू कर दी है। आने वाले समय में यह टीका राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा बन सकता है।
डेंगू और चिकनगुनिया जैसे रोगों से पहले मलेरिया पर नियंत्रण संभव
आईसीएमआर के अनुसार मलेरिया पर नियंत्रण अब डेंगू और चिकनगुनिया जैसे अन्य मच्छर जनित रोगों से पहले किया जा सकता है, क्योंकि अब भारत के पास एक सशक्त हथियार है।
क्यों जरूरी है मलेरिया उन्मूलन
- मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो लाखों लोगों को हर साल प्रभावित करती है।
- यह गरीब और ग्रामीण आबादी में ज्यादा प्रचलित है, जहां चिकित्सा सुविधाएं सीमित होती हैं।
- इसके उन्मूलन से राष्ट्रीय स्वास्थ्य खर्चों में कमी और कार्यबल की उत्पादकता में वृद्धि होगी।
वैक्सीन का भविष्य: वैश्विक वितरण और उपयोग की संभावनाएं
भारत सरकार इस टीके को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने और
WHO प्रीक्वालिफिकेशन के लिए प्रक्रिया में है। इससे यह टीका अफ्रीका और दक्षिण एशिया जैसे मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में भी पहुंच सकेगा।