भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 692.72 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर: निर्यात में तेजी और अर्थव्यवस्था को मजबूती
"भारत ने वैश्विक वित्तीय अस्थिरता के बीच आर्थिक स्थिरता और मुद्रा मजबूती की दिशा में एक और मजबूत कदम बढ़ाया है। 23 मई को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6.99 अरब डॉलर बढ़कर 692.72 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो अब तक का रिकॉर्ड स्तर है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, यह वृद्धि विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों, स्वर्ण भंडार, SDRs, और IMF में आरक्षित स्थिति के कारण दर्ज की गई है।"
विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि के प्रमुख कारण
1. विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA):
4.52 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज की गईअब कुल राशि: 586.17 अरब डॉलर
FCA में डॉलर, यूरो, पौंड और येन जैसे अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं में निवेश शामिल होता है। इसमें हुई वृद्धि भारत की मुद्रा स्थिरता और निवेशकों के भरोसे का संकेत है।
2. स्वर्ण भंडार:
2.37 अरब डॉलर की तेज़ बढ़ोतरीकुल मूल्य: 83.58 अरब डॉलर
यह दर्शाता है कि भारत सोने को सुरक्षित निवेश के रूप में अपनाकर अपने आरक्षित संसाधनों को विविध रूप में रख रहा है।
3. स्पेशल ड्रॉइंग राइट्स (SDRs):
81 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरीकुल SDRs: 18.571 अरब डॉलर
4. IMF में आरक्षित स्थिति:
30 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरीकुल: 4.401 अरब डॉलर
पिछले सप्ताह का तुलनात्मक विश्लेषण
16 मई को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 4.89 अरब डॉलर घटकर 685.73 अरब डॉलर रह गया था। उससे पहले 9 मई को यह 4.5 अरब डॉलर बढ़कर 690.62 अरब डॉलर पहुंचा था।
यह उतार-चढ़ाव वैश्विक बाजार में डॉलर की स्थिति, तेल की कीमतों, और विदेशी निवेश की चाल के कारण होते हैं।
मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार: क्यों है यह जरूरी?
● भारतीय रुपये की स्थिरता:
RBI विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग डॉलर की आपूर्ति बढ़ाकर बाजार में हस्तक्षेप के लिए कर सकता है, जिससे रुपये की गिरावट रोकी जा सकती है।
● आर्थिक संकट के समय सुरक्षा कवच:
एक बड़ा भंडार भारत को भविष्य के वैश्विक आर्थिक संकट या तेल की ऊंची कीमतों से बचाने में सक्षम बनाता है।
● निवेशकों का विश्वास बढ़ाता है:
विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने से भारत की क्रेडिट रेटिंग और विदेशी निवेश की संभावनाएं बेहतर होती हैं।
भारत का निर्यात भी दिखा रहा है मजबूती के संकेत
अप्रैल 2025 के निर्यात आंकड़े:
कुल निर्यात: 73.8 अरब डॉलर
→ पिछले वर्ष अप्रैल: 65.48 अरब डॉलर
→ वृद्धि: 12.7%
प्रमुख क्षेत्रों में वृद्धि:
1. वस्तु निर्यात:
38.49 अरब डॉलरवृद्धि: 9.03%
2. इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात:
वृद्धि: 39.51%वर्तमान: 3.69 अरब डॉलर (पिछले साल: 2.65 अरब डॉलर)
3. इंजीनियरिंग उत्पाद:
वृद्धि: 11.28%वर्तमान: 9.51 अरब डॉलर
4. आभूषण निर्यात:
वृद्धि: 10.74%वर्तमान: 2.5 अरब डॉलर
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि भारत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है और विनिर्माण निर्यात अब देश की विदेशी मुद्रा आय का एक मजबूत आधार बनता जा रहा है।
RBI की भूमिका और मुद्रा बाजार
RBI के पास अब इतना भंडार है कि वह विदेशी मुद्रा की मांग और आपूर्ति को नियंत्रित करके रुपये की कीमत को स्थिर बनाए रख सकता है। इससे निवेशकों को यह भरोसा मिलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था लचीली और टिकाऊ है।
भारत की वैश्विक स्थिति में सुधार
FDI और FPI को आकर्षित करने में भारत की स्थिति मजबूत हुई हैवैश्विक आर्थिक मंचों पर भारत की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा में वृद्धिक्रेडिट रेटिंग एजेंसियां अब भारत की वित्तीय स्थिति को और बेहतर नजरिए से देख सकती हैं
नीति निर्धारण और आगे की संभावनाएं
सरकार को चाहिए कि वह इस मौके का लाभ उठाकर:
आयात घटाकर निर्यात को और बढ़ावा देनवाचार और टेक्नोलॉजी आधारित मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाएविदेश व्यापार समझौतों को सशक्त बनाए
"भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अब 692.72 अरब डॉलर के ऐतिहासिक उच्च स्तर पर है। यह केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक स्थिरता, वैश्विक स्वीकार्यता और आत्मनिर्भरता का प्रमाण है। साथ ही, निर्यात के बढ़ते आंकड़े बताते हैं कि भारत अब “मेड इन इंडिया” के जरिए वैश्विक व्यापार का अहम खिलाड़ी बन रहा है।"
