भारत बन सकता है ग्लोबल सबमरीन केबल हब: डेटा कनेक्टिविटी में नई क्रांति
डिजिटल युग में डेटा कनेक्टिविटी किसी भी राष्ट्र की रीढ़ बन चुकी है। अब यह केवल इंटरनेट की बात नहीं है, बल्कि व्यापार, संचार, सुरक्षा और वैश्विक कनेक्शन की बुनियाद भी बन चुका है। ऐसे में भारत के पास एक सुनहरा मौका है कि वह सबमरीन केबल नेटवर्क का ग्लोबल ट्रांजिट हब बन सके।
ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम (BIF) की अध्यक्ष अरुणा सुंदरराजन ने हाल ही में हुए एक सम्मेलन में कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति और तकनीकी उन्नति इसे सबमरीन डेटा नेटवर्क का वैश्विक केंद्र बना सकती है।
🔹 सबमरीन केबल नेटवर्क क्या है?
सबमरीन केबल नेटवर्क वे समुद्री केबल्स होती हैं, जो देशों को इंटरनेट और डेटा ट्रैफिक के लिए आपस में जोड़ती हैं। आज के समय में विश्व का 95% से अधिक डेटा ट्रैफिक इन्हीं केबल्स के माध्यम से चलता है।
सबमरीन केबल्स क्यों जरूरी हैं?
- तेज़ और सुरक्षित डेटा ट्रांसफर
- वैश्विक व्यापार और संचार का आधार
- क्लाउड सर्विसेज और इंटरनेट कंपनियों के लिए जीवनरेखा
- डिजिटल इकोनॉमी के विकास के लिए अनिवार्य
🔹 भारत की स्थिति क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत की भौगोलिक स्थिति एशिया, मध्य पूर्व, यूरोप और अफ्रीका के बीच में है, जो इसे एक प्राकृतिक ट्रांजिट पॉइंट बनाता है। इसके साथ ही भारत का उभरता हुआ डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और तेजी से बढ़ती डेटा खपत इसे इस भूमिका के लिए तैयार करते हैं।
भारत में मौजूद हैं 14 सबमरीन केबल लैंडिंग स्टेशन:
| शहर | मुख्य लैंडिंग स्टेशन |
|---|---|
| मुंबई | कई अंतरराष्ट्रीय केबल्स का केंद्र |
| चेन्नई | एशिया और ऑस्ट्रेलिया से जुड़ाव |
| कोचीन | खाड़ी और यूरोप कनेक्टिविटी |
| तूतीकोरिन | दक्षिणी देशों से लिंक |
| त्रिवेंद्रम | बढ़ते टेलीकॉम ऑपरेशंस का हिस्सा |
🔹 कितना बढ़ाना होगा इंफ्रास्ट्रक्चर?
अरुणा सुंदरराजन के अनुसार, भारत को अपना सबमरीन केबल इंफ्रास्ट्रक्चर कम से कम 4 से 5 गुना बढ़ाना होगा, ताकि वह ग्लोबल ट्रैफिक का बड़ा हिस्सा संभाल सके।
जरूरी कदम:
- नए लैंडिंग स्टेशन बनाना
- केबल की क्षमता (Bandwidth) बढ़ाना
- इंटरनेशनल डेटा गेटवे बनाना
- डेटा सुरक्षा और साइबर इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना
🔹 कौन-कौन सी कंपनियाँ शामिल हैं?
भारत में कई प्रमुख टेलीकॉम और क्लाउड कंपनियां सबमरीन केबल नेटवर्क के संचालन में लगी हैं:
- टाटा कम्युनिकेशंस
- भारती एयरटेल
- बीएसएनएल
- ग्लोबल क्लाउड एक्सचेंज
- मेटा (फेसबुक) – प्रोजेक्ट Waterwarth के ज़रिए
📌 नवीनतम प्रोजेक्ट:
CEA-ME-WE 6 सबमरीन केबल:
भारती एयरटेल ने चेन्नई में यह केबल स्थापित की है, जिससे देश की इंटरनेशनल कनेक्टिविटी और मजबूत हुई है।
🔹 भू-राजनीतिक महत्व
तेजी से बदलती वैश्विक परिस्थितियों में, डेटा सुरक्षा और निर्बाध कनेक्टिविटी अत्यंत आवश्यक हो चुकी है। सबमरीन केबल्स पर कई बार हमलों या रुकावटों के चलते:
- वैश्विक नेटवर्क बाधित हुए
- डेटा सेंटर प्रभावित हुए
- करोड़ों यूजर्स का कनेक्शन टूटा
भारत जैसे स्थिर लोकतंत्र के लिए यह एक अवसर है कि वह ट्रस्टेड डेटा रूट के रूप में उभरे।
🔹 भविष्य के लिए रणनीति
भारत को सबमरीन केबल हब बनाने के लिए कुछ प्रमुख पहलें जरूरी हैं:
- नीति समर्थन (Policy Support):
सबमरीन केबल्स के लिए आसान परमिट, भूमि उपयोग और सुरक्षा नियम बनाना। - टेक्नोलॉजी निवेश:
उन्नत केबल तकनीक, टेराबाइट/सेकंड गति और लो-लेटनसी सिस्टम। - पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप:
निजी कंपनियों और सरकार के साझा प्रयास। - साइबर सुरक्षा इकोसिस्टम:
डेटा सेंटर, DNS सुरक्षा, फायरवॉल और क्लाउड कनेक्शन को सुरक्षित करना।
🔹 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की भूमिका
भारत पहले से ही कई अंतरराष्ट्रीय सबमरीन केबल नेटवर्क का हिस्सा है, जैसे:
- SEA-ME-WE 5 & 6
- TGN (Tata Global Network)
- i2i Cable Network
- BBG (Bay of Bengal Gateway)
अब मेटा का प्रोजेक्ट Waterwarth भारत, अमेरिका, ब्राज़ील और साउथ अफ्रीका को जोड़ते हुए ग्लोबल डेटा रोडमैप बनाने वाला है।
🔹 रोजगार और आर्थिक अवसर
सबमरीन केबल इन्फ्रास्ट्रक्चर से:
- डाटा सेंटर इंडस्ट्री में निवेश बढ़ेगा
- हजारों तकनीकी नौकरियाँ पैदा होंगी
- लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बल मिलेगा
- इंटरनेट स्पीड और विश्वसनीयता बढ़ेगी
निष्कर्ष
भारत की डिजिटल शक्ति अब केवल स्थानीय जरूरतों तक सीमित नहीं रही। ग्लोबल ट्रांजिट हब बनने की दिशा में सबमरीन केबल नेटवर्क का विस्तार एक बड़ा कदम हो सकता है। रणनीतिक स्थिति, नीतिगत समर्थन और प्रौद्योगिकी में निवेश के साथ भारत वैश्विक डेटा ट्रैफिक की रीढ़ बन सकता है।
अब समय आ गया है कि भारत सिर्फ डेटा का उपभोक्ता न होकर, उसका कनेक्टर और संरक्षक भी बने।
