भारत से ब्रिटेन को चमड़ा और जूता निर्यात 2027 तक पहुंचेगा 1 अरब डॉलर: व्यापार समझौते से बढ़ेगा कारोबार
भारत से ब्रिटेन चमड़ा और जूता निर्यात में होगा जबरदस्त उछाल: व्यापार समझौते से मिलेगी नई रफ्तार
“भारत और ब्रिटेन के बीच हाल ही में हुए व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA) से चमड़ा और जूता उद्योग को बड़ा लाभ मिलने की संभावना है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जानकारी दी है कि इस समझौते के तहत 2024 में 49.4 करोड़ डॉलर का जो निर्यात हुआ है, वह अगले तीन वर्षों में दोगुना होकर 1 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। यह समझौता भारत के लिए निर्यात के नए द्वार खोलता है और खासकर चमड़ा एवं फुटवियर उद्योग के लिए यह एक बड़ा अवसर बनकर सामने आया है। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह बदलाव कैसे आएगा और इससे किसे क्या फायदा होगा।”
व्यापार समझौता कैसे देगा निर्यात को बढ़ावा
भारत-यूके व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) के अंतर्गत, ब्रिटेन ने भारतीय उत्पादों पर लगाए गए आयात शुल्क को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। पहले यह शुल्क विभिन्न उत्पादों के लिए अलग-अलग था — जैसे चमड़े के सामान पर 2% से 8%, चमड़े के जूतों पर 4.5% और गैर-चमड़े के जूतों पर 11.9% तक का शुल्क लगता था। अब यह शून्य हो गया है। इससे भारतीय उत्पादों की कीमत प्रतिस्पर्धी देशों के मुकाबले अधिक आकर्षक होगी, जिससे ब्रिटेन में इनकी मांग तेजी से बढ़ सकती है।
ब्रिटेन का बड़ा बाजार और भारत की बढ़ती हिस्सेदारी
ब्रिटेन का चमड़ा और जूता बाजार लगभग 8.7 अरब डॉलर का है। अब जब भारत के उत्पादों को इस बाजार में टैक्स फ्री एंट्री मिलेगी, तो यह भारतीय निर्यातकों के लिए सुनहरा अवसर है। विशेष रूप से भारतीय पारंपरिक उत्पाद जैसे कोल्हापुरी चप्पल और मोजरी को अब ब्रिटेन में पहचान मिलेगी, क्योंकि समझौते के तहत इन GI (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग वाले उत्पादों को कानूनी सुरक्षा भी दी गई है।
MSME, महिला उद्यमियों और युवाओं के लिए अवसर
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि इस समझौते से भारत के विभिन्न हिस्सों में मौजूद छोटे और मझोले उद्यमों (MSMEs), महिला उद्यमियों और युवा नेतृत्व वाले व्यवसायों को खास फायदा मिलेगा। मांग में संभावित वृद्धि से हजारों नई नौकरियों के सृजन की उम्मीद जताई जा रही है।
प्रमुख उत्पादन केंद्रों को मिलेगा सीधा लाभ
चमड़ा और जूता उद्योग के प्रमुख हब जैसे कानपुर, आगरा, चेन्नई, कोलकाता, और तमिलनाडु के कई हिस्सों में इस समझौते के चलते निर्यात में तेजी आएगी। साथ ही सरकार की योजनाएं जैसे ‘भारतीय फुटवियर और चमड़ा विकास कार्यक्रम (IFLDP)’ इन केंद्रों को तकनीकी उन्नयन, मेगा क्लस्टर निर्माण, डिज़ाइन स्टूडियो और ब्रांडिंग में मदद करेंगी।
प्रतिस्पर्धी देशों के बराबरी का मौका
इस समझौते से भारत को बांग्लादेश, कंबोडिया और वियतनाम जैसे देशों के बराबरी का मौका मिलेगा, जिन्हें पहले से ही ब्रिटेन में आयात शुल्क में छूट मिल रही थी। अब भारत को भी वह स्तर मिल गया है, जिससे प्रतिस्पर्धा का मैदान समान हो गया है।
सरकारी सहयोग और रणनीतिक योजनाएं
सरकार ने 1,700 करोड़ रुपये का बजट IFLDP कार्यक्रम के लिए तय किया है, जिससे चमड़ा और जूता उद्योग को बुनियादी ढांचे में सुधार, नवाचार और डिजाइन की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा केंद्रित उत्पाद योजना के तहत निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विशेष रणनीतियां बनाई जा रही हैं।
वस्त्र उद्योग को भी मिलेगा लाभ
इस समझौते का लाभ सिर्फ चमड़ा और फुटवियर तक सीमित नहीं है। भारत के वस्त्र उद्योग को भी इसका फायदा मिलेगा। तिरुपुर, जयपुर, सूरत, लुधियाना, पानीपत, भदोही और मुरादाबाद जैसे प्रमुख वस्त्र क्लस्टर इस व्यापार समझौते से नई ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं।
“भारत से ब्रिटेन चमड़ा और जूता निर्यात को लेकर सरकार की नीतियां और व्यापार समझौता सही दिशा में मजबूत कदम हैं। इससे न केवल निर्यात को दोगुना करने का लक्ष्य संभव नजर आता है, बल्कि यह छोटे उद्यमियों, कारीगरों और स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने में भी मदद करेगा। आने वाले तीन वर्षों में अगर यह रणनीति सही तरीके से लागू होती है, तो भारत ब्रिटेन के बाजार में अपनी मजबूत हिस्सेदारी बना सकता है और हजारों लोगों के लिए रोजगार और आय का साधन बन सकता है।”
